सड़कों पर आवारा पशुओं के रूप में घूम रही मौत

बंदर अ ौर श्वान के काटने से रोजाना कई लोग हो रहे घायल जिले भर में इन पर नहीं हुई सख्ती

By JagranEdited By: Publish:Mon, 28 Sep 2020 06:15 AM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 06:15 AM (IST)
सड़कों पर आवारा पशुओं के रूप में घूम रही मौत
सड़कों पर आवारा पशुओं के रूप में घूम रही मौत

केस एक : एलाऊ थाना क्षेत्र के गांव बझेरा निवासी अखिल (11) घर के बाहर खेल रहे थे। गली में घूम रहे श्वान ने उन्हें हमला कर घायल कर दिया।

केस दो: घिरोर कस्बा निवासी प्रवीन (32) छत पर बैठे थे। तभी बंदरों ने अगस्त में उन पर हमला कर दिया। कई जगहों पर दांत और पंजों से प्रहार करने से वे घायल हो गए।

जासं, मैनपुरी : लाख दावों के बावजूद आवारा पशुओं के आतंक पर काबू नहीं हो पा रहा है। जिले में श्वान और बंदरों की बेलगाम होती संख्या इंसानी जिदगी पर भारी पड़ने लगी है। रोजाना लगभग आधा सैकड़ा लोग इनके हमले से घायल होकर सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। हर बार इन्हें पकड़वाने की मांग की जाती रही है, लेकिन पालिका प्रशासन द्वारा इस गंभीर समस्या को गंभीरता से नहीं लिया गया।

अब दो दिन लगते हैं इंजेक्शन: जिला अस्पताल में सोमवार और शुक्रवार दो दिन ही बंदर और श्वान के काटे मरीजों को एआरवी के इंजेक्शन लगाने के प्रबंध कराए गए हैं। अस्पताल प्रशासन के अनुसार इस समय एआरवी की 528 वॉइल उपलब्ध हैं। एक वॉइल से चार मरीजों को उपचार दिया जा सकता है।

ढाई साल पहले हो चुकी है मौत: एलाऊ थाना क्षेत्र के गांव पढ़ीना निवासी साधना (12) पुत्री प्रमोद को चार फरवरी 2018 को खेलते समय श्वान ने काट लिया था। गले में घाव होने से स्वजन ने बालिका को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भोगांव ले जाकर उपचार दिलाया था। उसे एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाया गया था। लेकिन मार्च 2018 में बालिका ही हाइड्रोफोबिया की वजह से मौत हो गई थी।

घरेलू उपचार पड़ सकता है भारी: जिला अस्पताल के फिजीशियन डॉ. जेजे राम का कहना है कि अक्सर श्वान और बंदरों के काटने से घायल लोग घर पर ही देसी तरीकों से उपचार कराते हैं जो घातक होता है। यदि समय पर एआरवी का इंजेक्शन न लगाया जाए तो वायरस अपना असर दिखाने लगता है।

ऐसे करें बचाव: कुत्ता के काटने के बाद सबसे पहले घाव को साबुन से धोया जाए। घाव को सुखाने के लिए उस पर एंटीबायोटिक का लेप लगाएं। यदि खून में रेबीज पहुंच जाता है तो पीड़ित में वह कभी भी असर दिखा सकता है।

आवारा श्वान और बंदरों को पकड़वाने के लिए प्रयास कराए जाएंगे। इसके लिए सफाई कर्मियों और एक्सपर्ट टीम की मदद ली जाएगी। वन विभाग से भी संपर्क साधा जाएगा। मनोरमा, चेयरमैन नगर पालिका।

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