डीएपी के लाले, समितियों पर ताले
रबी फसल बोआई का सीजन शुरू हो गया है लेकिन किसानों को डीएपी नहीं मिल रही है। सहकारी समितियों पर ताले लटके हुए हैं तो कृभको इफ्को के अधिकृत बिक्री केंद्रों पर स्टाक शून्य है।
जागरण टीम, मैनपुरी: रबी फसल बोआई का सीजन शुरू हो गया है, लेकिन किसानों को डीएपी नहीं मिल रही है। सहकारी समितियों पर ताले लटके हुए हैं तो कृभको, इफ्को के अधिकृत बिक्री केंद्रों पर स्टाक शून्य है।
डीएपी नहीं मिलने से बेवर क्षेत्र के अगैती आलू उत्पादक किसान परेशान हैं। कोल्ड स्टोर में रखे आलू से कोई उम्मीद नहीं है। उर्वरक न मिलने से अगैती फसल लेट हो रही है। क्षेत्र में 12 सौ हेक्टेयर क्षेत्रफल में अगैती आलू की फसल उगाई जाती है, लेकिन डीएपी किसी कीमत पर उपलब्ध नहीं है। अधिकृत बिक्री केंद्र पर बीते साल सात दिन से डीएपी नहीं आई है। चार सहकारी समितियों पर एक सप्ताह से ताला लटक रहा है।
किसान प्रमोद सिंह का कहना है कि सरकार के झूठे आश्वासन किसानों की मुसीबतें बढ़ा रहे हैं। आलू, सरसों और लहसुन उत्पादक किसान परेशान हैं। संजीव कुमार का कहना है कि डीएपी बिना आलू की बोआई नहीं हो सकती है। खजुरिया के अमर सिंह का कहना है कि सहकारी समितियों ताले लटक रहे हैं। डीएपी कब तक आएगी कोई बताने वाला भी नहीं है। कुसमरा समिति पर खाद न मिलने से किसानों को परेशानी उठानी पड़ रही है। गांव से कुसमरा आने पर समिति पर ताला लटका मिलता है। कस्बा स्थित गोदाम पर पांच दिन से खाद का वितरण नहीं किया गया है। मजबूरी में किसानों को बाजार से खाद महंगी दर पर खरीदनी पड़ रही है। किसानों का कहना है कि जरूरत के वक्त गोदाम से वितरण बंद है। दुकानों से खाद खरीदने पर उन्हें अतिरिक्त रुपये देने पड़ रहे हैं। किसान महिपाल, मुबीन, कमलकांत आदि ने बताया कि इस समय बोआई के लिए फसलों के लिए डीएपी की जरूरत है, लेकिन गोदाम पर डीएपी का वितरण नहीं हो रहा है। वह निरंतर चक्कर लगा रहे हैं।