उत्तम आर्जव धर्म अपनाने से राग-द्वेष रहित होता मन

मैनपुरी जासं। प्रतिज्ञा माताजी ने कहा कि आज का दिन उत्तम आर्जव धर्म का है। उत्तम आर्जव धर्म अपनाने से मन निष्कपट निश्चित और राग-द्वेष रहित हो जाता है। सरल हृदय व्यक्ति सुयश और सुगति को प्राप्त करता है। आज हम सभी को आर्जव धर्म के अनुरूप अपने हृदय में सच्ची सरलता को धारण करना चाहिए।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 13 Sep 2021 06:00 AM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 06:00 AM (IST)
उत्तम आर्जव धर्म अपनाने से राग-द्वेष रहित होता मन
उत्तम आर्जव धर्म अपनाने से राग-द्वेष रहित होता मन

जासं, मैनपुरी: प्रतिज्ञा माताजी ने कहा कि आज का दिन उत्तम आर्जव धर्म का है। उत्तम आर्जव धर्म अपनाने से मन निष्कपट, निश्चित और राग-द्वेष रहित हो जाता है। सरल हृदय व्यक्ति सुयश और सुगति को प्राप्त करता है। आज हम सभी को आर्जव धर्म के अनुरूप अपने हृदय में सच्ची सरलता को धारण करना चाहिए।

रविवार को यह बात उन्होंने शहर के मुहल्ला कटरा स्थित अजितनाथ जिनालय में दस लक्षण पर्व के तीसरे दिन कही। जिनालय में प्रतिज्ञा, परीक्षा और प्रेक्षा माताजी के सानिध्य में दस लक्षण महामंडल विधान का उत्तम आर्जव धर्म के विधान का आयोजन किया गया। विधान का सौभाग्य अनंत कुमार-रेखा जैन परिवार को मिला।

विधान की शुरूआत में सबसे पहले पूजा की गई। इसके बाद दस लक्षण महापर्व के तहत उत्तम आर्जव धर्म का संगीतमय विधान किया गया। प्रतिज्ञा माताजी ने कहा कि उत्तम और आर्जव धर्म कहता है कि मन की शांति के लिए शिकायत करना बंद करो। क्योंकि शिकायत करने से बेहतर है खुद को बदल लेना। माताजी के सानिध्य में विशेष शिक्षण शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें 80 से ज्यादा लोगों ने भाग लिया। सांयकालीन गुरु भक्ति आरती हुई, जिसमें लोगों ने दीप अर्ध समर्पित किए।

कार्यक्रम में प्रमुख सागर युवा मंच, सचि महिला मंडल, पुष्प प्रमुख चातुर्मास समिति का सहयोग रहा। संचालन पंडित कमल जैन ने किया। सहज जीवन जीने वाला ही करता आर्जव धर्म का पालन : विहसंत सागर

संसू, करहल: कस्बा के जैन मंदिर नसिया में जैन मुनि विहसंत सागर महाराज ने दस लक्षण पर्व के तीसरे दिन रविवार को धर्म सभा में प्रवचन दिए। उन्होंने कहा कि जिसने सरल और सहज जीवन जीना सीख लिया, वही व्यक्ति आर्जव धर्म का पालन कर सकता है, लेकिन आज लोग एक चेहरे पर चार तरह का आवरण करके रहते हैं। मंदिर में कुछ, घर पर कुछ, व्यापार में कुछ और सामाजिक स्तर पर कुछ और ही व्यवहार होता है, लेकिन आर्जव धर्म हमें यह बताता है कि जीवन को बड़े ही सरलता और हर क्षेत्र में एक ही व्यवहार करना चाहिए।

जैन मुनि ने कहा कि भगवान महावीर ने भी कहा है कि जिसके जीवन में गांठ होती है वह अर्थी के बांस की तरह है। वहीं जिसमें आर्जव धर्म होता है वह दुनिया को मधुर संगीत सुनाकर सभी को मीठा बना देता है। अपना जीवन बांस जैसा नहीं बनाओ, बांसुरी जैसा बनाओ, तभी आप जीवन में आर्जव धर्म को स्वीकार कर सकते हो। सुबह सात बजे श्रीजी का अभिषेक और शांतिधारा का सौभाग्य प्रवीन जैन परिवार ने प्राप्त किया। सायं काल सैकड़ों जैन धर्म के श्रद्धालुओं ने 1008 दीपों से श्रीजी की आरती के बाद संस्कृत कार्यक्रम हुए। कलाकारों को पुरस्कृत किया गया।

chat bot
आपका साथी