नहीं बनी बात, थम गए एंबुलेंसों के पहिए
आखिरकार एंबुलेंस कर्मियों और सरकार के बीच बात नहीं बनी। तीन दिनों से धरना दे रहे कर्मचारियों ने 26 जुलाई से एंबुलेंस का चक्का जाम करने की चेतावनी दी है। इससे इमरजेंसी सेवाएं ठप होने से मरीजों की जिदगी पर खतरा मंडराने लगा है। जिले में संचालित होने वाली 54 एंबुलेंस में से चार एएलएस पहले से ही ठप कर दी गई हैं। प्रशासन वैकल्पिक व्यवस्था कराने में लगा हुआ है।
जासं, मैनपुरी: आखिरकार एंबुलेंस कर्मियों और सरकार के बीच बात नहीं बनी। तीन दिनों से धरना दे रहे कर्मचारियों ने 26 जुलाई से एंबुलेंस का चक्का जाम करने की चेतावनी दी है। इससे इमरजेंसी सेवाएं ठप होने से मरीजों की जिदगी पर खतरा मंडराने लगा है। जिले में संचालित होने वाली 54 एंबुलेंस में से चार एएलएस पहले से ही ठप कर दी गई हैं। प्रशासन वैकल्पिक व्यवस्था कराने में लगा हुआ है।
जीवन दायिनी स्वास्थ्य विभाग एंबुलेंस कर्मचारी संगठन के कर्मचारियों द्वारा रविवार की दोपहर जिला अस्पताल परिसर में धरना दिया गया। संगठन के जिलाध्यक्ष विजय यादव ने कहा कि सरकार मनमानी कर रही है। अब ठेका प्रथा पर एंबुलेंस व्यवस्था को कर दिया गया है। जो ठेकेदार आए हैं वे नए सिरे से कर्मचारियों की भर्ती कर रहे हैं। ऐसे में जो कर्मचारी पांच सालों से सेवाएं दे रहे हैं उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
कर्मचारियों का कहना है कि अपनी मांगों को लेकर वे लगातार सरकार से बात करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है। दोपहर में कर्मचारियों ने अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन विधायक किशनी बृजेश कठेरिया को सौंपा। कर्मचारियों ने कहा कि वे रविवार देर रात 12 बजे से सभी 102 और 108 एंबुलेंसों का संचालन ठप कर दिया है। धरने में अनुज यादव, नवीन पाठक, रवींद्र कुमार, शिवरतन, रंजीत यादव, संजीत कुमार, राजेंद्र यादव, संजय चतुर्वेदी, रंजीत मिश्रा, धर्म सिंह, मोहित, शैलेंद्र, भूपेंद्र, विवेक आदि उपस्थित थे। ये है जिले की स्थिति
102 एंबुलेंस - 30
108 एंबुलेंस - 20
एएलएस एंबुलेंस - चार बढ़ जाएगी मुसीबत
संगठन के जिलाध्यक्ष का कहना है कि प्रतिदिन जिले से वे लगभग 100 मरीजों को लाते और ले जाते हैं। इनमें से कई को सैफई रेफर किया जाता है। चार एएलएस एंबुलेंसों का संचालन तीन दिनों से बंद होने की वजह से वेंटीलेटर सपोर्ट पर रहने वाले मरीजों को हायर सेंटर ले जाने के लिए परेशानी हो रही है। मजबूरी में तीमारदार प्राइवेट एंबुलेंसों की मदद ले रहे हैं। अगर 102 और 108 एंबुलेंसों का संचालन भी ठप कर दिया जाता है तो मरीजों की जिदगी खतरे में पड़ जाएगी। 102 एंबुलेंसों की मदद से गर्भवती महिलाओं और बच्चों को लाया और ले जाया जाता है। तीन 108 एंबुलेंस देंगी मदद
धरने पर बैठे कर्मचारियों का कहना है कि जिले में सिर्फ तीन 108 एंबुलेंस को चालू रखा जाएगा। यदि कहीं कोई सड़क हादसा होता है या फिर बेहद गंभीर घटना होती है तो धरने पर रहते हुए उनके कर्मचारी मरीजों की सेवा करेंगे।
- इस संबंध में उच्चाधिकारियों को भी जानकारी दी गई है। लगातार बात की जा रही है। यदि फिर भी वे नहीं मानते हैं तो वैकल्पिक प्रबंधों के तौर प्राइवेट एंबुलेंस चालकों की मदद से मरीजों को अस्पतालों तक पहुंचाया जाएगा। हम मरीजों को किसी प्रकार की समस्या नहीं होने देंगे।
डा. पीपी सिंह, सीएमओ।