उर्वरा शक्ति बढ़ाएं, खेतों में न जलाएं अवशेष: डीएम

गुरुवार को डीएम ने जिला स्तरीय फसल अवशेष प्रबंधन गोष्ठी में किसानों का आह्वान करते हुए कहा कि भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के बारे में सोचें फसल अवशेष खेतों में जलाकर सूक्ष्म जीवाणुओं को क्षति न पहुंचाएं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 17 Sep 2021 05:15 AM (IST) Updated:Fri, 17 Sep 2021 05:15 AM (IST)
उर्वरा शक्ति बढ़ाएं, खेतों में न जलाएं अवशेष: डीएम
उर्वरा शक्ति बढ़ाएं, खेतों में न जलाएं अवशेष: डीएम

जासं, मैनपुरी : गुरुवार को डीएम ने जिला स्तरीय फसल अवशेष प्रबंधन गोष्ठी में किसानों का आह्वान करते हुए कहा कि भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के बारे में सोचें, फसल अवशेष खेतों में जलाकर सूक्ष्म जीवाणुओं को क्षति न पहुंचाएं।

कलक्ट्रेट सभागार में हुई गोष्ठी में डीएम महेंद्र बहादुर सिंह ने कहा कि किसान पराली का प्रयोग जैविक खाद बनाने में करें, अपनी समीपवर्ती गोशाला को दान करें, ऐसा काम नहीं करें, जिससे कार्रवाई के लिए विवश होना पड़े। उन्होंने कहा कि केंद्र, प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को कृषि यंत्र क्रय करने पर अनुदान दिया जा रहा है, पराली प्रबंधन के लिए सुपर स्ट्रा, वेपर आदि कृषि यंत्रों पर शासन द्वारा 50 फीसद अनुदान दिया जा रहा है। कृषक इन्हें खरीदें, फसल अवशेष को खाद के रूप में प्रयोग कर खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ाएं।

उन्होंने ने कहा कि फसल अवशेष जलाने से सामान्य वायु की गुणवत्ता में कमी होती है, भूमि के बंजर होने का खतरा बना हुआ है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेशानुसार खेतों में फसल अवशेष जलाना दंडनीय अपराध है। जिन कृषकों द्वारा पराली व फसल के अपशिष्ट जलाने की घटना प्रकाश में आएगी उनके विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई होगी। सीडीओ विनोद कुमार ने कहा कि रसायनिक खादों की अंधाधुंध प्रयोग से भूमि के बंजर होने का खतरा बना है, इसलिए सभी कृषक जैविक खाद को अपनाएं, कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने की सोचें।

उप निदेशक कृषि डीवी. सिंह ने बताया कि फसल अवशेष न जलाएं। धान कटाई एसएमएस लगी मशीन से ही करें, पराली को जलाए नहीं, बल्कि उसका सदुपयोग करें। कृषि वैज्ञानिक डा. विकास रंजन चौधरी ने मृदा सेहत और कृषि वैज्ञानिक डा. एस.के. पांडे ने पशुपालन के बारे में कृषकों को बताया। इस अवसर पर जिला कृषि अधिकारी डा. सूर्य प्रताप सहित बड़ी संख्या में कृषक उपस्थित रहे।

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