कैसे रुकेगा कोरोना, न डाक्टर और न जांच के इंतजाम

दैनिक जागरण द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं का हाल पर अभियान चलाया जा रहा है। जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज के इंतजाम नहीं हैं। कहीं डाक्टर कम तो कहीं गैरहाजिरी हैं। फार्मासिस्टों के हाथ कमान है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 04:15 AM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 04:15 AM (IST)
कैसे रुकेगा कोरोना, न डाक्टर और न जांच के इंतजाम
कैसे रुकेगा कोरोना, न डाक्टर और न जांच के इंतजाम

जागरण टीम, मैनपुरी: ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं को सक्षम और संसाधनयुक्त करने के दावे धरातल पर नाकाम नजर आ रहे हैं। चुनौती कोरोना जैसी महामारी से निपटने की है, परंतु स्वास्थ्य केंद्रों पर सामान्य रोगों तक के उपचार की सुविधा नहीं मिल रही। केंद्रों पर चिकित्सक की ही तैनाती नहीं है। जहां तैनाती है, वहां गैरहाजिरी की मनमानी चल रही है। दोनों ही स्थिति में मरीजों के उपचार का जिम्मा फार्मासिस्ट ही संभाल रहे हैं। दवाओं की उपलब्धता की स्थिति जरूर सुधरी है, परंतु जांच के इंतजाम अब भी आधे-अधूरे ही हैं। ऐसे में गांव तक पुख्ता स्वास्थ्य ढांचा खड़ा करने का लक्ष्य अभी बहुत दूर नजर आ रहा है।

औंछा सीएचसी पर फार्मासिस्ट देख रहे थे मरीज

संसू, औंछा: गुरुवार को जागरण टीम सुबह 11 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र औंछा पहुंची तो वहां फार्मासिस्ट रमेश चन्द्र व जितेंद्र सिंह मरीज देख रहे थे। दवाएं दे रहे थे। इस सीएचसी पर क्षेत्र के करीब 50 गांवों के मरीज आते हैं। ओपीडी में मरीजों की प्रतिदिन संख्या औसतन 50 रहती है। फार्मासिस्टों ने बताया कि सीएचसी के चिकित्साधीक्षक प्रदीप कुमार का दो माह पूर्व स्थानांतरण हो गया था, इसके बाद से किसी की तैनाती की गई है। सीएचसी पर डा. राहुल कुमार व डा. नितिन सलोनिया की तैनाती है, परंतु वह स्वास्थ्य केंद्र पर उपस्थित नहीं थे। प्रभारी चिकित्साधिकारी उमानंद चतुर्वेदी अपने कक्ष में मौजूद थे। बताया गया कि वह आनलाइन प्रशिक्षण में व्यस्त हैं, इस कारण मरीज नहीं देख रहे। कुछ मरीजों ने बताया कि स्वास्थ्य केंद्र पर अक्सर कोई डाक्टर नहीं मिलता, उनको फार्मासिस्ट से ही उपचार कराना पड़ता है। अधिकांशत: डाक्टर के न मिलने पर लौटना पड़ता है। केंद्र में कोई भी चिकित्सक रात को नहीं रुकता। हालांकि उनके लिए आवास बने हैं, परंतु वह किसी के न रहने से बदहाल हो रहे हैं। दबंगों ने इन पर कब्जा कर रखा है। नहीं होती कोई भी जांच

सीएचसी पर एक्सरे अल्ट्रासाउंड की सुविधा तो दूर खून की सामान्य जांच तक नहीं हो रही। स्टाफ ने बताया कि केंद्र पर दो साल से किसी लैब तकनीशियन की तैनाती नहीं है। ऐसे में जांचें ठप हैं। मरीजों को बाहर से जांच कराकर लाने की सलाह दी जाती है। बहुत मरीज कोरोना जांच के लिए भी पहुंचते हैं। परंतु यह सुविधा भी सीएचसी पर नहीं मिल रही है।

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विशेषज्ञों की कमी से जूझ रहा किशनी सीएचसी

संवाद सूत्र, किशनी: गुरुवार को सुबह 10.30 बजे जागरण टीम सीएचसी किशनी पहुंची। 30 शैय्या वाले इस अस्पताल में प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक डा. अजय कुमार मरीजों को देख रहे थे। अन्य कोई चिकित्सक मौजूद नहीं था। पूछने पर बताया कि पहले तैनात एक अन्य चिकित्सक डा. शशि कौशल का तबादला हो चुका है। उसके बाद किसी की तैनाती नहीं हुई है। नियमानुसार सात विशेषज्ञ चिकित्सक होने चाहिए, पंरतु फिलहाल वह अकेले ही जिम्मा निभा रहे हैं। एक अस्थाई महिला चिकित्सक की भी तैनाती है। उनके अलावा तीन फार्मासिस्ट ओर दो वार्ड ब्वाय भी तैनात है। गुरुवार को एक दर्जन से अधिक मरीजों को परामर्श दिया गया। तीन मरीजों के खून की जांच भी की गई। अस्पताल के संबंध में बताया कि मरीजों को जरूरत पड़ने पर भर्ती किया जाता है। बीते माह करीब पांच दर्जन मरीज भर्ती हुए थे। अस्पताल में प्रतिदिन 50 से अधिक मरीजों की कोरोना जांच भी की जा रही है। प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि संसाधनों की कमी के बाद भी हर मरीज को उचित उपचार देने का प्रयास किया जा रहा है। न एक्सरे न अल्ट्रासाउंड

सीएचसी किशनी पर एक्सरे और अल्ट्रासाउंड की कोई सुविधा नहीं है। स्थानीय लोगों ने बताया कि पूर्व में जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने कई बार वादा किया है, पंरतु यह सुविधाएं अब तक मुहैया नहीं हो पाई है। मजबूरी में लोगों को निजी केंद्रों पर जांच करानी पड़ती हैं। ---

प्रवस कराने को महिला डाक्टर ही नहीं

संवाद सूत्र, बिछवां: गुरुवार को जागरण टीम सुबह 10.30 बजे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सुल्तानगंज पहुंची। यहां पता चला कि पूरा केंद्र केवल एक डाक्टर के सहारे चल रहा है। यहां चिकित्सक हैं डा. जयप्रकाश वर्मा। टीम पहुंची तो वह अपने कक्ष में बैठकर मरीज देख रहे थे। बताया गया कि केंद्र पर एक महिला चिकित्सक सहित कई अन्य चिकित्सकों के भी पद हैं, परंतु उन पर कोई तैनाती नहीं है। इसी दौरान बिछवां निवासी गर्भवती सुल्ताना केंद्र पर पहुंची। परंतु जब पता चला कि केंद्र पर कोई महिला डाक्टर नहीं है तो वह अपने स्वजन के साथ वापस लौट गईं। मौजूद मरीजों ने बताया कि केंद्र पर स्टाफ नर्स और एएनएम द्वारा प्रसव कराए जाते हैं। हालांकि प्रसव कक्ष में बारिश की सीलन से प्लास्टर उखड़ रहा था। स्वास्थ्य केंद्र पर वर्तमान में जांच की कोई सुविधा नहीं। स्टाफ ने बताया कि लैब तकनीशियन की कोरोना संक्रमण की रोकथाम में ड्यूटी लगी होने के कारण जांच नहीं हो रही है। केंद्र पर साफ-सफाई का भी अभाव था। चारों ओर गंदगी बिखरी हुई थी। बताया कि चिकित्सकों की तैनाती और अन्य सुविधाओं के संबंध में उच्चाधिकारियों को प्रस्ताव भेजा गया है। सामान्य दवाएं तक नहीं

केंद्र पर दवाओं की कमी बताई गई। स्थानीय लोगों ने बताया कि अक्सर केंद्र पर दवाएं नहीं मिलती हैं। खुजली के रोगों जैसी सामान्य दवाएं भी उपलब्ध नहीं हो रहीं।

सलूकनगर में नहीं है जांच के इंतजाम

संवाद सूत्र, बरनाहल: गुरुवार को जागरण टीम सुबह 11 बजे बरनाहल क्षेत्र के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सलूकनगर पहुंची। यहां 30 बेड का अस्पताल बना है। केंद्र में चिकित्सा अधीक्षक डा. सरवर इकबाल उपस्थित थे। स्टाफ के विषय में बताया गया कि फार्मासिस्ट रविन्द्र सिंह, लैब असिस्टेंट केपी सिंह, सहित एक बार्ड ब्वाय की तैनाती है। फिलहाल रोजाना औसतन 20 से 30 मरीज आ रहे हैं। अस्पताल परिसर में भी महिलाओं का प्रसव केंद्र बना हुआ है। वहां दो महिला भर्ती मिलीं, परंतु दोनों ने ही मास्क नहीं लगाया हुआ था। पूछने पर पता चला कि प्रसव केंद्र के प्रभारी डा. केशव सिंह उपस्थित नहीं हैं। प्रसव केंद्र में साफ-सफाई का भी अभाव नजर आया। मरीजों की जांच के संबंध में पूछने पर पता चला कि वर्तमान में कोई भी जांच नहीं हो रही है। हालांकि परिसर में पैथालोजी बनी हुई हैं और लैब तकनीशियन की भी तैनाती है। स्टाफ ने बताया कि पैथालोजी बनने के बाद यहां जांच संबंधी उपकरण ही उपलब्ध नहीं कराए गए। करीब पांच साल से यही स्थिति है। हर बार केंद्र ही तरफ से मांग भेजी जाती है। परंतु इस मांग को कभी पूरा नहीं किया गया। अस्पताल परिसर में पेयजल का भी कोई इंतजाम नहीं है। वहां लगा हैंडपंप खराब पड़ा था। मरीजों को प्यास बुझाने के लिए भटकना पड़ता है। रात में इलाज का नहीं कोई इंतजाम

सीएचसी सलूकनगर पर रात में इमरजेंसी उपचार का भी कोई इंतजाम नहीं। स्थानीय लोगों ने बताया कि कोई भी डाक्टर या कर्मचारी रात में अस्पताल में नहीं रुकता है। इमरजेंसी होने मरीजों को पीएचसी बरनाहल तक दौड़ लगानी पड़ती है।

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