होलिकाष्टक से मचेगा फाग गायकी का धमाल

होली पर्व पर रसिया और भजनों से गायक हुनर दिखाएंगे। ढोलक पर थाप से आनंद आएगा। गांवों में गायक पहले मृतकों के यहां गायन की रिवाज निभाएंगे।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 13 Mar 2021 04:25 AM (IST) Updated:Sat, 13 Mar 2021 04:25 AM (IST)
होलिकाष्टक से मचेगा फाग गायकी का धमाल
होलिकाष्टक से मचेगा फाग गायकी का धमाल

जासं, मैनपुरी : आधुनिकता की बयार में आज जहां हर ओर बदलाव नजर आ रहा है। वहीं, जिले में गांव और देहात में फाग गायन की अनोखी रिवाज बरकरार चली आ रही है। फाल्गुन माह चल रहा है तो गायक भी हुनर दिखाने को तैयार बैठे हैं। होलिकाष्टक से रसिया और होली के गीतों का गायन शुरू हो जाएगा। मृतक नागरिकों के यहां होली के गीत गाए जाएंगे।

शहर और कस्बों में होली से जुड़े भजन, रसिया और गीत गायन का रिवाज सिमट रहा है, लेकिन गांव और देहात में यह रिवाज आज भी बना हुआ है। गांवों में यह परंपरा आज भी कायम है। ऐसे गायन की गांवों में शुरूआत होलिकाष्टक से शुरू होती है। इसकी शुरूआत मृतक ग्रामीण के घर पर गायन से करते हैं, इसे होली का त्योहार उठाना भी कहा जाता है। इसके बाद ही गांव में होली गायन का दौर होता है। चौपाल और सार्वजनिक स्थानों पर बुजुर्गों के साथ युवा गायकी का हुनर दिखाते हैं। ढोलक ही काफी

गांवों में फाग गायन के लिए साज कोई जरूरी नहीं होता। गायक मुख से ही रसिया गाकर मजा बांधते हैं तो कहीं-कहीं ढोलक के साथ गायकी के सुरों को सजाया जाता है। कहीं-कहीं इस गायन के लिए हारमोनियम का भी इस्तेमाल होता है। भाव से भरे होते है रसिया

गांवों में फाग गायकी के दौरान गाए जाने वाले रसिया गायन में भाव का समावेश होता है। इसमें भगवान और धार्मिक वृतांत को गायकी में शामिल किया जाता है। बृज का असर होने से ज्यादातर रसिया धार्मिकता से भरे होते हैं। ग्रामीणों की बात-

गांवों में फाग गायन होलिकाष्टक से शुरू होता है। गायकों की टोली गांव की शोकग्रस्त परिवार में जाकर गायन करती है। यह सालों से चला आ रहा है।

राजेंद्र सिंह, मुहल्ला गुड़ी घिरोर। गांवों में आज भी फाग गायकी की रिवाज कायम है। होलिकाष्टक के बाद से गांव-गांव होली रसिया गायन का दौर शुरू हो जाएगा।

पप्पू शाक्य, मुहल्ला शाक्यान।

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