कागजों में स्वास्थ्य सेवाएं, हकीकत बदहाल

जिले में डेंगू लोगों को डरा रहा है। सैकड़ों की संख्या में लोग बुखार और डेंगू की चपेट में हैं। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य अधिकारी दावा कर रहे हैं कि सभी सीएचसी और पीएचसी पर पर्याप्त इंतजाम हैं लेकिन जागरण की पड़ताल में स्वास्थ्य केंद्रों की पोल खुल गई। रविवार को जिले में ज्यादातर स्वास्थ्य केंद्र या तो बंद मिले या फिर वहां चिकित्सक और अन्य स्वास्थ्यकर्मी गायब रहे। बुखार से परेशान मरीज काफी देर तक इंतजार करने के बाद गांव के झोलाछाप और निजी नर्सिंग होम पर उपचार के लिए पहुंच गए। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की वजह से मरीजों को बेहतर उपचार नहीं मिल पा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 04:20 AM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 04:20 AM (IST)
कागजों में स्वास्थ्य सेवाएं, हकीकत बदहाल
कागजों में स्वास्थ्य सेवाएं, हकीकत बदहाल

जासं, मैनपुरी: दृश्य एक :

सीएचसी करहल में रविवार को ओपीडी में चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी गायब रहे। बुखार से पीड़ित मरीज यहां पहुंचे, लेकिन डाक्टरों के अभाव में उन्हें बिना उपचार के ही लौटना पड़ा। लोगों ने बताया कि यहां सामान्य दिनों में भी चिकित्सक कम ही मिलते हैं। ऐसे में मरीजों को झोलाछाप के पास ही जाना पड़ता है। दृश्य दो :

पीएचसी घिरोर में भी रविवार को स्वास्थ्य सेवाएं सिसकती मिलीं। यहां न तो चिकित्सक दिखे और न ही स्वास्थ्यकर्मी। कमरों में ताला लगा हुआ था। यहां भी मरीज पहुंचे थे, लेकिन चिकित्सक के न होने के कारण उन्हें निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ा।

जिले में डेंगू लोगों को डरा रहा है। सैकड़ों की संख्या में लोग बुखार और डेंगू की चपेट में हैं। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य अधिकारी दावा कर रहे हैं कि सभी सीएचसी और पीएचसी पर पर्याप्त इंतजाम हैं, लेकिन जागरण की पड़ताल में स्वास्थ्य केंद्रों की पोल खुल गई। रविवार को जिले में ज्यादातर स्वास्थ्य केंद्र या तो बंद मिले या फिर वहां चिकित्सक और अन्य स्वास्थ्यकर्मी गायब रहे। बुखार से परेशान मरीज काफी देर तक इंतजार करने के बाद गांव के झोलाछाप और निजी नर्सिंग होम पर उपचार के लिए पहुंच गए। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की वजह से मरीजों को बेहतर उपचार नहीं मिल पा रहा है। ये है शासन का निर्देश

संक्रामक बीमारियों के प्रकोप को देखते हुए शासन स्तर से निर्देश दिए गए हैं कि सभी सीएचसी और पीएचसी का 24 घंटे संचालन कराया जाए। चिकित्सक और स्टाफ उपस्थित रहें, ताकि किसी भी मरीज को बगैर उपचार के लौटना न पडे़। यदि मरीजों की स्थिति गंभीर मिलती है तो एंबुलेंस की मदद से उन्हें जिला अस्पताल के लिए रेफर किया जाए। सभी सीएचसी और पीएचसी के चिकित्सा अधीक्षकों को निर्देशित किया जा चुका है कि वे अपने तैनाती स्थलों पर ही रुककर मरीजों को उपचार देंगे। यदि ऐसा नहीं हो रहा है और मरीजों के द्वारा कोई शिकायत की जाती है तो कार्रवाई कराई जाएगी।

डा. पीपी सिंह, सीएमओ।

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