कूड़े संग लगा रहे स्वास्थ्य व स्वच्छ भारत को आग

झाड़ू लगाकर सड़कों के किनारे ही कूड़ा जला रहे सफाई कर्मचारी, मॉर्निंग वॉक पर निकले लोगों को हो रही दिक्कत, धुआं से बढ़ी समस्या।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 18 Jan 2019 10:07 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jan 2019 10:07 PM (IST)
कूड़े संग लगा रहे स्वास्थ्य व स्वच्छ भारत को आग
कूड़े संग लगा रहे स्वास्थ्य व स्वच्छ भारत को आग

दृश्य एक : कचहरी रोड

समय सुबह 4:50 बजे। नाक-मुंह पर कपड़ा बांध सफाई कर्मचारी ने कूड़ा समेटकर सड़क किनारे एकत्रित कर दिया। फिर उसमें आग लगा दी। देखते ही देखते धुआं का गुबार उठने लगा। दृश्य दो : स्टेशन रोड

समय सुबह 5:25 बजे। जगह-जगह कचरे के ढेर में आग लगा दी गई थी। धुआं के कारण वहां मार्निग वॉक कर रहे लोगों को मुंह पर कपड़ा रखना पड़ गया था। वीरभान सिंह, मैनपुरी। पालिका के कर्मचारी कूड़े के साथ ही स्वच्छ भारत के सपने को भी आग लगा रहे हैं। सफाई कर्मचारी कचरा एकत्रित कर सुबह-सुबह उसमें आग लगा देते हैं। मॉर्निंग वॉक करने वाले लोगों को स्वच्छ हवा के स्थान पर दमघोंटू धुआं मिल रहा है। मजबूरी में उन्हें वॉक के दौरान मुंह और नाक पर कपड़ा रखना पड़ता है। हवा में घुल रही जहरीली गैसें: नेशनल पीजी कॉलेज भोगांव में रसायन विभाग की प्रोफेसर डॉ. नेहा शाक्य का कहना है कि कूडे़ में पॉलीथिन, डिस्पोजेबल प्लास्टिक, कई प्रकार के कार्ड बोर्ड आदि शामिल होते हैं। इस कूडे़ को जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोक्साइड जैसी हानिकारक गैस निकलती हैं। फेफड़े व आंखें हो सकते हैं खराब: जिला अस्पताल के वरिष्ठ जनरल फिजीशियन डॉ. आरके ¨सह का कहना है कि कूड़े से निकलने वाली खतरनाक गैसें फेफड़ों की ऑक्सीजन संवहन क्षमता प्रभावित करती हैं। स्नायु तंत्र पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। लगातार संपर्क में रहने से सोचने की क्षमता क्षीण होने लगती है। नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक यादव का कहना है कि धुआं आंखों के लिए हानिकारक होता है। प्लास्टिक के जलने पर उठे धुआं के संपर्क में रहने वालों की आंखों की रोशनी भी जा सकती है।

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