विकास के नाम पर हरियाली का बलिदान
दस साल में बढ़ने के बजाय हरियाली और कम हो गई। विकास के लिए पेड़ काटे ग
जासं, मैनपुरी: दस साल में बढ़ने के बजाय हरियाली और कम हो गई। विकास के लिए पेड़ काटे गए तो अवैध कटान ने भी पुराने पेड़ों की बलि ले ली। इस साल धरा की हरियाली सहेजने को भले ही खूब प्रयास हुए हों, लेकिन अवैध कटान पर अंकुश नहीं लग सका। तमाम प्रजातियों के पेड़ बिना अनुमति काटे तो नए भी कम रोपे गए। वहीं विकास, सड़क चौड़ीकरण की खातिर पेड़ों की बलि चढ़ी। हरियाली को सहेजने के लिए चौकीदार की जरूरत है। जिससे कि हरे पेड़ों का कटान रुक सके।
च्यवन ऋषि, मयन ऋषि, महर्षि मार्कंडेय की तपोभूमि की विरासत सहेजने वाले मैनपुरी में जंगल लगभग खत्म हो चुके हैं। पर्यावरण को सुरक्षित बनाने के लिए जो पेड़-पौधे हैं, उन्हें भी काटा जा रहा है। हरे पेड़ों की कटाई रोकने के लिए उतनी सख्ती नहीं की जा रही है, जितनी जरूरत है। यही वजह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी कटाई जोरों पर है। शहर में बस रहीं बस्तियां, सड़कें भी हरियाली को निगल रही हैं।
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नहीं रुका अवैध कटान-
जिले में पुराने पेड़ों पर माफिया की लगातार आरी चल रही है। सुल्तानगंज और बिछवां में तो रोज हरियाली को कुल्हाड़ी से कम किया जा रहा है। यहां शीशम, आम और अन्य कीमती लकड़ी वाले पेड़ माफिया के हाथों समाप्त हो रहे हैं। सबसे ज्यादा मामले यहीं से साल भर मिलते हैं।
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हरित पट्टिंका नाम बाकी-
आम के बागों की बहुतायत होने से कुरावली क्षेत्र की पहचान कभी हरित पट्टिका के नाम से होती थी। एक दशक पहले सक्रिय हुए माफिया ने क्षेत्र से आम के पेड़ों को लगभग समाप्त ही कर दिया। अब क्षेत्र में गिने-चुने आम के बाग रह गए हैं।
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मैनपुरी में कटे, फीरोजाबाद में लगेंगे
कुरावली से लेकर नवीगंज तक हाईवे चौड़ीकरण के दौरान 11377 पेड़ काटे गए। जिले में पौधारोपण को हाईवे के किनारे जमीन नहीं मिली। जिसके बाद फीरोजाबाद में जमीन चिन्हित की गई है। यानी मैनपुरी में कटने वाले पेड़ों के एवज में फीरोजाबाद में हरियाली रोपी जाएगी।
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अब आया यह नियम-
हरा वृक्ष काटने के एवज में अब 10 नए पौधे रोपकर उनका संरक्षण करना होगा। शपथपत्र भी देना पड़ेगा। वन विभाग की टीम निगरानी करेगी। जंगल वृक्ष संरक्षण अधिनियम में हुए संशोधन के बाद 29 प्रजातियों के पेड़ों पर यह शर्त लागू हो गई। साथ ही शुल्क भी दोगुना बढ़कर 200 रुपये प्रति पेड़ कर दी गई।
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आबादी बढ़ी- हरियाली घटी-
जिले में दस साल के भीतर खूब विकास हुआ। नई आबादी विकसित हुई तो सड़क और अन्य विकास हुआ। ऐसे काम में केवल हरियाली को ही निशाना बनाया गया। यहीं वजह है कि एक दशक में जिले में केवल 0.5 फीसद वन क्षेत्र बढ़ सका। --
अपील-
पर्यावरण के लिए हरियाली भी जरूरी है। पौधे लगाने से वातावरण ठीक रहता है तो आवोहवा स्वच्छ मिलती है। कोरोना संक्रमण ने पेड़ों की महत्ता को याद दिलाया है। इसलिए धरा को हरा-भरा बनाने के लिए दैनिक जागरण द्वारा की जा रही पहल सराहनीय है।
-सुनील अग्रवाल।
पेड़ कम होते चले जा रहे हैं। इसके लिए इंसान ही जिम्मेदार है। नए पौधे लगाए जा रहे हैं, लेकिन संरक्षण की कमी भी है। दैनिक जागरण लगातार जागरूकता में जुटा है, इसका प्रभाव भी दिखाई देता है। आज नागरिक हरियाली के प्रति जागरूक हो रहे हैं।
-हेमंत चांदना। जागरण के अभियान में सहभागी बनी घिरोर नगर पंचायत: दैनिक जागरण की मुहिम 'आओ रोपें-अच्छे पौधे' में नगर पंचायत घिरोर भी सहभागिता करेगी। मंगलवार को चेयरमैन प्रतिनिधि दिनेश जाटव ने बैठकर पौधारोपण की रूपरेखा तैयार की।
नगर पंचायत कार्यालय में स्टाफ के साथ हुई बैठक में चेयरमैन प्रतिनिधि दिनेश जाटव ने कहा कि आक्सीजन की कमी होने का कारण वृक्षों का कटान है। हम सभी को प्रदूषण कम करने और पर्यावरण को बेहतर करने के लिए अधिक से अधिक पौधारोपण करना चाहिए। हरियाली से ही वातावरण में आक्सीजन की मात्रा बढ़ेगी। दिनेश जाटव ने बताया कि जागरण के अभियान के तहत नगर पंचायत की और से 28 जून को पौधारोपण कराया जाएगा। उन्होंने सभी से दैनिक जागरण के अभियान के तहत पौधारोपण में शामिल होने की अपील की।