खेतों में उड़ रही धूल, सूख रही धान नर्सरी

जून के आखिरी सप्ताह में रोपाई को तैयार नर्सरी अब खराब होने लगी है। आधी जुलाई निकलने के बाद बारिश के आसार नजर न आने से किसान परेशान हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 17 Jul 2021 04:38 AM (IST) Updated:Sat, 17 Jul 2021 04:38 AM (IST)
खेतों में उड़ रही धूल, सूख रही धान नर्सरी
खेतों में उड़ रही धूल, सूख रही धान नर्सरी

संसू, करहल, मैनपुरी: मानसून की बेरुखी से अन्नदाता बेहाल होने लगा है। आषाढ़ माह में भी बारिश नहीं होने से अन्नदाता के चेहरे पर शिकन नजर आने लगी है। खरीफ की बुआई का काम थमा हुआ है। वहीं धान की रोपाई बारिश के इंतजार में रुकी है। ऐसे में धान को तैयार की नर्सरी सूखने लगी है, खेतों में उड़ रही धूल किसानों की चिता को और बढ़ा रही है। बारिश लेट होने का असर धान के उत्पादन पर भी पड़ेगा।

जुलाई का महीना आधा बीत चुका है। इस माह में ही इतना पानी बरस जाता था कि खेतों में पानी भर जाने के बाद धान की रोपाई के लिए जुताई शुरू हो जाती थी। अभी तक पानी न बरसने से धान की नर्सरी तो तैयार है, लेकिन खेत खाली पड़े हैं। अभी तक धान की रोपाई के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। किसान चितित है। जिले में जहां अभी तक आधे से अधिक रकवा में धान की रोपाई हो जाया करती थी, लेकिन इस बार दो फीसद खेतों में भी रोपाई नहीं हो पाई है।

जिले में इस बार करीब 65 हजार हेक्टेयर में धान रोपाई का लक्ष्य था। ऐसे में जिन किसानों ने अभी तक पंपिग सेट से खेतों में पानी भर कर रोपाई कर ली है, वह अब आगे के हालातों को लेकर परेशान हैं। रजबहा होते हुए उसमें इतना पानी नहीं है कि खेतों में पानी भरा जा सके। रजबहा में पानी केवल तली में ही नजर आता है। रजबहा में छुड़वाओ पानी

ट्यूवेल और समर पंप भी बिजली के अभाव में बेकार साबित हो रहे हैं। किसानों ने एसडीएम रतन कुमार वर्मा से क्षेत्र को आने वाले सभी रजबहों में पूरा पानी छुड़वाने की मांग की है। एसडीएम ने किसानों को आश्वासन दिया है कि दो दिन में रजबहों में पानी आ जाएगा। पानी के अभाव में धान की रोपाई बहुत लेट हो गई है। इस समय तक लगभग 50 फीसद से अधिक रकवा में धान की रोपाई हो जाया करती थी, मगर अभी तक लपट चल रही है।

नकुल कुमार यादव, किसान। इस बार किसानों का कुदरत भी साथ नहीं दे रही है। सरकार को रजबहों में पानी छोड़ कर धान की रोपाई संबंधी समस्या का समाधान करना चाहिए।

लक्ष्मण सिह, किसान। जुलाई के महीने में खेतों में पानी भर जाता था। धान की रोपाई के लिए जुताई भी हो जाती थी। अगर यही हाल रहा तो धान की पैदावार इस बार बहुत कम होगी।

रामचंद्र यादव, किसान। आषाढ़ के महीने में जेठ के महीने का एहसास करा रहा है। दिन के समय जमकर लफ्ट चल रही है। बादल तो हो रहे हैं, मगर पानी ना बरसने से किसान बहुत चितित है।

मुरारी लाल, किसान।

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