घबराइए नहीं, सिर्फ बुखार ही है, ठीक हो जाएंगे

बुखार के प्रकोप के बीच लोगों में फैली भ्रांतियों और भय को दूर करने के लिए डीएम की पहल कारगर साबित हो रही है। लगातार छठवें दिन जिला अस्पताल पहुंचकर मरीजों से संवाद किया। उन्हें समझाया कि बुखार को लेकर परेशान न हों। जिला अस्पताल में उपचार के बाद कई मरीज पूरी तरह से ठीक होकर घर गए हैं। उन्होंने अस्पताल प्रशासन को भी बेहतर उपचार देने के निर्देश दिए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 05:47 AM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 05:47 AM (IST)
घबराइए नहीं, सिर्फ बुखार ही है, ठीक हो जाएंगे
घबराइए नहीं, सिर्फ बुखार ही है, ठीक हो जाएंगे

जासं, मैनपुरी : बुखार के प्रकोप के बीच लोगों में फैली भ्रांतियों और भय को दूर करने के लिए डीएम की पहल कारगर साबित हो रही है। लगातार छठवें दिन जिला अस्पताल पहुंचकर मरीजों से संवाद किया। उन्हें समझाया कि बुखार को लेकर परेशान न हों। जिला अस्पताल में उपचार के बाद कई मरीज पूरी तरह से ठीक होकर घर गए हैं। उन्होंने अस्पताल प्रशासन को भी बेहतर उपचार देने के निर्देश दिए हैं।

डीएम महेंद्र बहादुर सिंह शनिवार की दोपहर को जिला अस्पताल की इमरजेंसी पहुंचे। यहां स्टाफ से मरीजों के बारे में जानकारी करने के बाद वार्ड में भर्ती मरीजों से बात की। बाद में इनडोर के ऊपरी वार्ड में भर्ती मरीजों, मेडिकल, सर्जिकल और आयुष्मान और बाल रोग वार्ड में भी पहुंचे। ज्यादातर मरीज बुखार के ही थे। डीएम ने कहा कि डेंगू बुखार को लेकर भय पैदा कर दिया गया है। प्लेटलेट्स कम दिखाकर मरीजों को परेशान किया जाता है। यह सामान्य बुखार ही है। जिला अस्पताल में इस बुखार का बेहतर उपचार है।

तीमारदारों ने भी बताया कि जिस स्थिति में उनके मरीजों को लाया गया था, उपचार के बाद अब बहुत ज्यादा सुधार है। उन्होंने चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ से कहा कि वे मरीजों के उपचार में कोई कसर न रखें। उनसे बातचीत में भी मधुर व्यवहार रखें। बुखार आए तो न घबराएं

डीएम ने कहा कि बुखार आने पर झोलाछाप अक्सर तीमारदारों को डरा देते हैं। ऐसे में प्रशिक्षित चिकित्सक से ही सलाह लें और पहले सामान्य उपचार से बुखार को ठीक करने का प्रयास करें। मरीज भी करें सहयोग

सीएमएस डा. अरविद कुमार गर्ग ने कहा कि मरीज और उनके तीमारदार भी सहयोग करें। वार्ड में सिर्फ एक ही तीमारदार रहें। वार्ड के बाहर जो डस्टबिन रखी गई हैं, उनमें पानी या फिर गीला पदार्थ न फेंकें। बर्तन आदि धोने के लिए बाहर लगे नल का इस्तेमाल करें। सफाईकर्मियों द्वारा दिन में तीन से चार बार कमरों की सफाई कराई जा रही है। तीमारदारों की भीड़ की वजह से भी कई बार अव्यवस्था होती है।

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