कोरोना से जंग को एक आवाज पर खड़े हुए थे जिले के वाशिंदे

बीते वर्ष 22 मार्च को पांच बजे हर गली में गूंजी थी शंख घंटों थाली और ताली की आवाज शहर और जिले में जमकर हुई थी आतिशबाजी 15 मिनट तक चला था सिलसिला

By JagranEdited By: Publish:Mon, 22 Mar 2021 06:56 AM (IST) Updated:Mon, 22 Mar 2021 06:56 AM (IST)
कोरोना से जंग को एक आवाज पर खड़े हुए थे जिले के वाशिंदे
कोरोना से जंग को एक आवाज पर खड़े हुए थे जिले के वाशिंदे

बीते वर्ष 22 मार्च को पांच बजे हर गली में गूंजी थी शंख, घंटों, थाली और ताली की आवाज, शहर और जिले में जमकर हुई थी आतिशबाजी, 15 मिनट तक चला था सिलसिला

जासं, मैनपुरी: ठीक एक साल पहले शहर, कस्बों और गांवों में ऐसा ही नजारा नजर आया था। दिन रविवार और तारीख 22 मार्च थी। घड़ी की सुई जैसे ही पांच पर पहुंची कि पूरे जिले में कोरोना वायरस से जंग का शंखनाद हुआ। एक साथ पूरे जिले में शंख-घंटों की ध्वनि के बीच थालियों-तालियों का शोर इस खतरे से जूझने का जज्बा बयां कर रहा था। उस दिन जिले वासियों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील का असर ऐसा था कि पांच मिनट के वक्त की सीमा पार हो गई और 15 मिनट तक इस उत्साह की गूंज धरती से आसमान तक गूंजती रही। उत्साही युवाओं ने आतिशबाजी चलाकर इस मुहिम को और व्यापक बनाया था।

एक साल पहले, 21 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस से जंग लड़ने में जान की बाजी लगाकर अहम भूमिका निभा रहे चिकित्सकों, चिकित्साकर्मियों, हास्पिटल के स्टाफ, विभिन्न विभागों के अधिकारी-कर्मचारियों का इस माध्यम से आभार जताने का आह्वान किया था। अपील की गई थी कि जनता क‌र्फ्यू के दौरान 22 मार्च को शाम पांच बजे सभी लोग अपने घरों के दरवाजों, छतों, खिड़कियों आदि पर खड़े होकर पांच मिनट तक तालियां, थालियां, घंटियां आदि बजाएं। शुक्रिया अदा करें। प्रधानमंत्री की इस अपील पर अमल करने के लिए लोगों में सुबह से ही एक अजब सा उत्साह नजर आ रहा था। शहर और कस्बों में शाम पांच बजते ही तमाम नागरिक छतों पर आ गए। किसी ने थाली बजाई तो किसी ने चम्मच से लोटे को ही बजाया। शहर के देवी रोड पर तो इस समय पर शंखनाद भी हुआ। वहीं, मंदिरों में भी शंखों की ध्वनि से माहौल को गूंजायमान किया गया।

गूंजे हूटर और सायरन

एक साल पहले शाम पांच बजते ही कोतवाली का सायरन बजना शुरू हुआ था तो जिला अस्पताल से 20 से ज्यादा एंबुलेंस हूटर बजाती हुई शहर में दौड़ने लगी थी। जीवन में कभी नहीं देखा था ऐसा माहौल

जासं, मैनपुरी: एक साल पहले पीएम नरेंद्र मोदी के आह्वान पर कोरोना वायरस का संक्रमण को रोकने के लिए जनता क‌र्फ्यू को जो समर्थन मिला, ऐसा कभी न देखा। तमाम बीमारी देखी, महामारी के प्रकोप देखे और सुने, लेकिन कोरोना को लेकर जागरूकता का ऐसा माहौल ताउम्र जेहन में बसा रहेगा। 22 मार्च 2020 की तिथि इतिहास बन गई है।

शहर के कई बुजुर्गों ने दैनिक जागरण के साथ बातचीत में अपने अनुभव व्यक्त किए। शहर के देवी रोड निवासी गोपाल प्रसाद इस माहौल को पीएम मोदी के आह्वान से जोड़ते हैं। उनका कहना था कि देश में तमाम बीमारी- महामारी समय-समय पर सुनने और देखने को मिली, लेकिन ऐसी जागरूकता का माहौल पहली ही बार दिखा।

बड़ी-बड़ी बीमारी और महामारी हुई, लेकिन ऐसी जागरूकता जीवन में पहली बार दिखी। नागरिकों ने इसे व्यापक समर्थन दिया। ऐसी ही जागरूकता से देश का मान-सम्मान बढ़ेगा। अभी खतरा कम नहीं हुआ है, इसलिए सुरक्षा का ख्याल रखना होगा। - कमलेश चंद्र चतुर्वेदी।

जीवन का यह खास अनुभव होगा। बाजारों में एक भी दुकान खुली नहीं दिखी, कोई घर से नहीं निकला। ऐसा समर्थन तो विश्व के किसी देश में जागरूकता को नहीं मिला होगा। अब भी इसको लेकर सावधानी बरतनी होगी। -सुरेंद्र पांडेय।

जागरूकता के प्रति सभी एक थे, यह पहली बार देखा। अब तक बाजार तमाम बार बंद हुए, लेकिन सुबह से रात तक बाजार बंद पहली बार देखे। कोरोना को लेकर अब भी जागरूकता जरूरी है। -दिलीप चतुर्वेदी।

दुकान-मकान तक जागरूकता के लिए बंद रहे, ऐसा अनुभव और ²श्य जीवन में कभी नहीं देखा था। आज लोग शिक्षित हो गए हैं, जागरूकता के लिए सुविधाएं होने से यह हुआ। मास्क लगाना तो अब भी जरूरी है। - सुरेंद्र वर्मा। केस-एक: राजा का बाग की शारदा चौहान शाम पांच बजे से पहले कई बार स्वजन से समय पूछ चुकीं थी। उन्होंने शाम पांच बजे खुद की शादी में मिली कांसे की थाली और किस्कुट के बेला को निकाल लिया। पांच बजते ही वह स्वजन के साथ मिलकर इनको बजाने लगी।

केस-दो: शहर में पंजाबी कालोनी की सुषमा ने तो एक दिन पहले ही घड़ियाल मंगाए थे। थाली और ताली से ध्वनि नहीं होती, इसलिए वायरस को भगाने के लए इसे खरीदा था। पीएम के बताए तय समय पर उन्होंने स्वजन के साथ इसे बजाया।

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