सात माह के कड़े संघर्ष बाद कोरोना शून्य हुआ जिला

इस साल भी जिले में कोरोना ने कहर बरपाया। सरकारी रिकार्ड में 23010 लोग इसकी चपेट में आए थे जिसमें 105 अपनों को छोड़ गए। ये तो सरकारी आंकड़ा है जबकि असल हकीकत बिल्कुल अलग है। जिले में लगभग पांच सैकड़ा लोगों की मौत दम घुटने से हुई थी। इनमें ज्यादातर में मौत की वजह आक्सीजन की कमी रही थी। हाल यह था कि लोगों ने अपनों से ही दूरी बना ली थी। अब सात माह के लंबे संघर्ष के बाद फिलहाल जिले से वायरस पूरी तरह खत्म हो चुका है। स्वास्थ्य विभाग ने भी जिले को कोरोना शून्य घोषित कर दिया है। हालात भले ही स्थिर हो गए हैं लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। सीएमओ डा. पीपी सिंह का कहना है कि हमें सतर्क रहने की जरूरत है। कोविड प्रोटोकाल का पालन ही हमें इस वायरस से सुरक्षित रख सकता है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 04:12 AM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 04:12 AM (IST)
सात माह के कड़े संघर्ष बाद कोरोना शून्य हुआ जिला
सात माह के कड़े संघर्ष बाद कोरोना शून्य हुआ जिला

जागरण संवाददाता, मैनपुरी: इस साल भी जिले में कोरोना ने कहर बरपाया। सरकारी रिकार्ड में 23010 लोग इसकी चपेट में आए थे, जिसमें 105 अपनों को छोड़ गए। ये तो सरकारी आंकड़ा है, जबकि असल हकीकत बिल्कुल अलग है। जिले में लगभग पांच सैकड़ा लोगों की मौत दम घुटने से हुई थी। इनमें ज्यादातर में मौत की वजह आक्सीजन की कमी रही थी। हाल यह था कि लोगों ने अपनों से ही दूरी बना ली थी। अब सात माह के लंबे संघर्ष के बाद फिलहाल जिले से वायरस पूरी तरह खत्म हो चुका है। स्वास्थ्य विभाग ने भी जिले को कोरोना शून्य घोषित कर दिया है। हालात भले ही स्थिर हो गए हैं, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। सीएमओ डा. पीपी सिंह का कहना है कि हमें सतर्क रहने की जरूरत है। कोविड प्रोटोकाल का पालन ही हमें इस वायरस से सुरक्षित रख सकता है। दो महीने पडे़ थे व्यवस्था पर भारी

कोरोना की दूसरी लहर ने अप्रैल और मई में जबरदस्त कोहराम मचाया था। स्थिति यह रही कि जिला अस्पताल के एल-2 आइसोलेशन अस्पताल में हर दिन चार से पांच लोगों की मौत हो रही थी। अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती मरीज भी दम तोड़ रहे थे। आक्सीजन की किल्लत इस कदर बढ़ी थी कि लोगों को दिल्ली तक दौड़ लगानी पड़ गई थी। पूरे जिले में आक्सीजन के सिलिडरों की कमी पड़ने पर खुद प्रशासन को व्यवस्था संभालनी पड़ी थी। जिले की स्वास्थ्य सुविधा भी सबके सामने आ गई थीं। हेल्थ वर्कर्स ने झोंका था दम

दूसरी लहर में हेल्थ वर्कर्स ने अपना पूरा दम झोंक दिया था। ओपीडी सेवाएं बंद थीं, लेकिन इमरजेंसी में भीड़ नहीं थम रही थी। संविदा नर्सिंग स्टाफ के हाथों में संदिग्ध मरीजों के उपचार और जांच की जिम्मेदारी थी। हर जिम्मेदारी को उन्होंने बखूबी निभाया। कई स्वास्थ्य कर्मी और चिकित्सक भी संक्रमण की चपेट में आकर होम आइसोलेट हुए थे, जबकि कई स्वास्थ्य कर्मियों की जान चली गई थी। ब्लैक फंगस ने भी डराया

कोरोना के साथ ही जिले में ब्लैक फंगस ने भी खूब डराया था। आवास विकास कालोनी निवासी महिला की ब्लैक फंगस की चपेट में आने से मौत हो गई थी। यह जिले की पहली मौत थी। उसके बाद लगभग 32 कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस के लक्षण मिल थे। सभी को बेहतर इलाज के लिए हायर सेंटरों के लिए रेफर किया गया था। आंकड़ों में कोरोना

23010 जिले में पाजिटिव हुए थे लोग

105 लोगों की संक्रमण से हुई थीं जिले में मौत

7647 लोग होम आइसोलेट हुए

583 सर्विलांस टीमों की संख्या

844705 लोगों के लिए गए थे सैंपल

2828 कुल कंटेनमेंट जोन बनाए गए थे जिले में

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