कमीशन के खेल में उलझे डूडा के आवास

नगला रते में लाभार्थियों के जारी हुए वीडियो दलालों पर सुविधाशुल्क का आरोप परियोजना अधिकारी डूडा से भी की गई लिखित शिकायत जारी है जांच

By JagranEdited By: Publish:Tue, 23 Nov 2021 06:47 AM (IST) Updated:Tue, 23 Nov 2021 06:47 AM (IST)
कमीशन के खेल में उलझे डूडा के आवास
कमीशन के खेल में उलझे डूडा के आवास

केस एक : शहर के नगला रते निवासी मधु पत्नी तेजपाल के एक वीडियो में महिला द्वारा दलालों को सर्वे के नाम पर टुकड़ों में सात हजार रुपये देने की बात कही जा रही है। हालांकि, महिला इस बात को स्वीकारती हैं कि पहले रुपये न देने पर उनका नाम पात्रता सूची से अपात्र बताकर काट दिया गया था। अब दोबारा आवेदन पर रुपये देने के बाद नाम शामिल कर लिया गया है। केस दो : कालोनी निवासी श्यामा देवी पत्नी स्व. कृपाल सिंह द्वारा भी वीडियो में दलाल को 10 हजार रुपये दिए जाने की बात कही जा रही है। दो किस्त जारी हो चुकी हैं जिसमें उन्होंने दलालों को मकान के लिए 20 हजार रुपये दिए हैं। अब तीसरी किस्त सुविधा शुल्क न दे पाने की वजह से अटकी होने की बात बताती हैं। जासं, मैनपुरी : भाजपा सरकार दावे कर रही है कि जरूरतमंदों को निश्शुल्क आवास उपलब्ध कराए जा रहे हैं, लेकिन जिले में डूडा से साठ-गांठ के चलते योजना कमीशन की भेंट चढ़ रही है। शहर के आगरा रोड स्थित नगला रते के इंटरनेट पर अपलोड वीडियो में लाभार्थी महिलाओं द्वारा प्रधानमंत्री शहरी आवास के लिए दलालों को सुविधाशुल्क दिए जाने की बात स्वीकारी जा रही है। कालोनी निवासी नीतू पत्नी रामकुमार और क्रांति पत्नी प्रवीण कुमार ने भी विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए शिकायत की है। आरोप है कि साल भर पहले उन्होंने आवेदन किया था। सर्वे के नाम पर राजेश नामक एक युवक ने उनसे आवास स्वीकृत कराने के लिए 10-10 हजार रुपये लिए थे, लेकिन आज तक उनका आवास स्वीकृत नहीं हुआ है। आवासों के नाम पर सभासद हैं सक्रिय

शहरी आवास योजना में डूडा कार्यालय पर नगर पालिका के सभासदों की सक्रियता सर्वाधिक है। ज्यादातर सभासद आवेदकों की फाइलें लेकर यहां दिनभर बैठे रहते हैं। जबकि विभाग का कहना है कि पूरी योजना से सभासदों का कोई लेना-देना ही नहीं है। बावजूद इसके सभासदों द्वारा सौंपी जाने वाली फाइलों पर विभागीय कर्मचारी ज्यादा मेहरबान रहते हैं। ये है स्थिति

डूडा कार्यालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 2019 से अब तक 13307 लाभार्थियों को चुना गया है। इनमें से 12691 की जियो टैगिग कराई जा चुकी है। 11 हजार के खातों में आवासों के निर्माण की पहली किस्त भेजी जा चुकी है। ये है नियम

डूडा कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार कोई भी व्यक्ति जिसका कच्चा मकान हो या फिर छप्पर पड़ा हो या वर्षों पुराना जीर्णशीण मकान हो, वे आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के बाद जिले में नामित सरयू बाबू संस्था के कर्मचारियों द्वारा सर्वे किया जाएगा। जियो टैग में पात्र होने के बाद डीपीआर तैयार कराई जाएगी। बाद में अधिशासी अधिकारी नगर पालिका द्वारा इसे प्रमाणित किया जाएगा। पूरे कार्य में सभासदों का कोई रोल होता ही नहीं है। अंतिम सर्वे लेखपाल द्वारा किया जाता है। शिकायत मिली है। उसकी जांच कराई जा रही है। प्रारंभिक तौर पर सामने आया है कि जमीन का कुछ हिस्सा जिला पंचायत के अधिकार क्षेत्र में भी है। बार-बार लोगों से कहा जाता है कि वे सर्वे के नाम पर दलालों के चक्कर में न पडे़ं। जो वास्तविक पात्र हैं, उन्हें लाभ दिया जा रहा है।

आरके सिंह, परियोजना अधिकारी डूडा

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