दूध पर ही निर्भर बच्चा तो रुक जाएगा विकास

बाल स्वास्थ्य पोषण माह के दौरान चिकित्सक बोले कि शिशुओं को पर्याप्त पोषण नहीं मिलता है। इसके लिए संतुलित आहार देना जरूरी है। पूरे महीने जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 04:37 AM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 04:37 AM (IST)
दूध पर ही निर्भर बच्चा तो रुक जाएगा विकास
दूध पर ही निर्भर बच्चा तो रुक जाएगा विकास

जासं, मैनपुरी : शिशुओं की देखभाल को लेकर अभी भी अधिकांश लोग जागरूक नहीं हैं। ज्यादातर अभिभावकों द्वारा गाय और भैंस के दूध को ही बच्चों के विकास के लिए पर्याप्त पोषक आहार समझा जाता है। जबकि, चिकित्सक इसे बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बेहतर नहीं मानते हैं। अब बाल स्वास्थ्य पोषण माह के तहत अस्पताल आने वाले अभिभावकों को पोषण से संबंधित सलाह दी गई।

गुरुवार को इसकी शुरुआत हुई। 100 शैया चिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ डा. संदीप कुमार का कहना है कि बदलते समय के साथ ज्यादातर माताएं अपने बच्चों को स्वयं का दूध नहीं पिलाती हैं। वे गाय या भैंस के दूध पर ही बच्चे को निर्भर कर देती हैं। जबकि, यह स्थिति बच्चे के लिए ठीक नहीं है। उनका कहना है कि भूख लगने पर यदि हम बच्चे को हर बार दूध पिलाते हैं तो उसकी भूख तो मिटती है, लेकिन उसकी किसी अन्य खाद्य पदार्थ को ग्रहण करने की क्षमता भी खत्म होने लगती है। लगातार दूध पर ही निर्भर रहने वाले बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास नहीं हो पाता है।

बाल रोग चिकित्सक डा. अभिषेक दुबे का कहना है कि बच्चा यदि कुछ खाने लगा है तो बेहतर है कि उसके भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करें। सब्जियों और फलों में पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व होते हैं जो बच्चे के विकास के लिए जरूरी होते हैं। इनके सेवन से हड्डियों में कमजोरी की समस्या दूर हो जाती है। उम्र और वजन भी है महत्वपूर्ण

अभिभावकों का दायित्व है कि वे समय-समय पर अस्पताल ले जाकर बच्चों का वजन कराएं। कई बार बच्चे शारीरिक तौर पर तो बढ़ते हैं, लेकिन उनके वजन में बढ़ोतरी नहीं होती है। बच्चों की उम्र के अनुसार उनकी लंबाई और वजन का भी अपना अलग महत्व होता है। इसकी जानकारी न होने पर बच्चों का विकास प्रभावित हो सकता है। कुछ यूं तैयार करें डाइट चार्ट

- बच्चों को सुबह छह बजे नींद से जगाकर उन्हें सूर्य की रोशनी में धूप दिखाएं। सुबह की धूप में बच्चों के शरीर में विटामिन-डी की कमी पूरी होती है।

- लगभग एक घंटे बाद नहलाकर हर हाल में सुबह आठ बजे तक नाश्ता दें जिसमें रोटी, पराठे, सब्जी या फल आदि शामिल हों।

- नाश्ता के एक घंटे बाद तक कुछ भी न दें। दो घंटों के बाद यदि बच्चा मांगे तो एक गिलास दूध में काजू, बादाम और किसमिस आदि मिलाकर दें।

- दोपहर 12 बजे भोजन में चावल, रोटी, सभी प्रकार की दालों के साथ सब्जी और सलाद भी खिलाएं।

- शाम चार बजे फिर हल्के नाश्ते में आहार और जूस को शामिल करें।

- इसके बाद रात को आठ बजे तक भोजन देकर नौ बजे तक बच्चों को सुला दें।

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