20 महिला समूह लिखेंगे स्वयं सहायता की नई कहानी

सुल्तानगंज और किशनी ब्लाक क्षेत्र की दो सौ महिलाएं घर-आंगन में मशरूम उगाएंगी। कुरसंडा गांव के समूह ने शुरुआत कर आत्मनिर्भर की नई राह दिखाई है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 13 Aug 2021 05:37 AM (IST) Updated:Fri, 13 Aug 2021 05:37 AM (IST)
20 महिला समूह लिखेंगे स्वयं सहायता की नई कहानी
20 महिला समूह लिखेंगे स्वयं सहायता की नई कहानी

श्रवण शर्मा, मैनपुरी: घर-गृहस्थी के काम से फुरसत मिलते ही आय के साधन जुटाने वाले महिला स्वयं सहायता समूह एक और आयाम स्थापित करने वाले हैं। इनके पास विशालकाय खेत या फार्म हाउस तो नहीं है मगर, दो सौ महिलाएं घर-आंगन में मशरूम की खेती कर आत्मनिर्भर की कहानी जरूर लिखेंगी। किशनी क्षेत्र के कुरसंडा की महिलाएं हालांकि इसकी शुरुआत कर चुकी हैं।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़े कुरसंडा गांव में समूह की दस महिलाओं ने अलग-अलग 10-10 पाली बैग में मशरूम का बीज (स्पोन) डाला था। माल तैयार होने पर आंगनबाड़ी केंद्रों, बेसिक के स्कूलों के साथ ही बाजार में बेचा था। पूर्व मुख्य विकास अधिकारी ईशा प्रिया ने जिले के अन्य समूहों को इसके लिए प्रेरित किया। किशनी और सुल्तानगंज ब्लाक क्षेत्र के 20 अन्य समूहों ने इसमें उत्सुकता दिखाई। इन समूहों से जुड़ीं दो सौ महिलाओ को फीरोजाबाद में प्रशिक्षण दिलाया। इसके बाद इसी जून माह में कृषि विज्ञान केंद्र में भी प्रशिक्षित कराया गया। अब ये महिलाएं पाली बैग में 20 अगस्त को मशरूम के बीज (स्पोन) डालेंगी। एक बैग से दोगुनी आय

एक पाली बैग से बीज डालने के बाद भूसा आदि पर सौ से डेढ़ सौ रुपये का खर्चा आता है। दो से ढाई महीने में मशरूम तैयार हो जाती है। एक बैग में दो किलो तक मशरूम होता है। बाजार में ये डेढ़ सौ से दो सौ रुपये किलो तक में बिकता है। एक बैग से दो बार उत्पादन लिया जाता है । मशरूम में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। कुपोषणग्रस्त महिलाओं और बच्चों के लिए यह काफी फायदेमंद हैं। अब दो ब्लाक की 20 समूहो से जुड़ीं दो सौ महिलाएं इस काम को करेंगी।

-पीसी राम, स्वत: रोजगार उपायुक्त।

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