बुंदेलों के शौर्य एवं पराक्रम की याद दिलाती है गोरों की समाधि

अभिषेक द्विवेदी महोबा बुंदेलों ने अपने शौर्य एवं पराक्रम से अंग्रेजी हुकूमत के छक्के छुड़ा

By JagranEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 06:47 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 06:47 PM (IST)
बुंदेलों के शौर्य एवं पराक्रम की याद दिलाती है गोरों की समाधि
बुंदेलों के शौर्य एवं पराक्रम की याद दिलाती है गोरों की समाधि

अभिषेक द्विवेदी, महोबा : बुंदेलों ने अपने शौर्य एवं पराक्रम से अंग्रेजी हुकूमत के छक्के छुड़ा दिए थे। उनकी वीरता की याद आज भी करीब दो हजार फीट ऊपर पहाड़ में बनी समाधि दिलाती है। इसे गोरों की समाधि कहा जाता है। यहां पांच अंग्रेजों को बरेदियों ने मौत की नींद सुला दिया था। ---

बात 1857 की गदर की है। तब यहां के बुंदेलों ने अंग्रेजी हुकूमत से डटकर लोहा लिया। बुंदेली वीरों का पराक्रम देख अंग्रेज जान बचाकर भागे थे। उनमें पांच अंग्रेज भटककर ऐतिहासिक गोरखगिरि पर्वत के ऊपर जा पहुंचे। बाद में ग्वाले व बरेदियों ने उनकी हत्या कर दी थी। उन गोरों को पहाड़ पर ही दफना दिया गया। उसे ही गोरों की समाधि कहा जाता है। शहर के पुलिस लाइन के पास स्थित प्राचीन शिवतांडव मंदिर के पीछे स्थित गोरखगिरि पर्वत पर स्थित तलैया बनी हुई है। इसके पास में ऊंचा पहाड़ का पठार है।

समाजसेवी तारा पाटकर व महाविद्यालय के प्रवक्ता डा. एलसी अनुरागी बताते हैं कि इस ऊंचे पठार को देखकर लगता है कि यह सैनिक दृष्टि से शत्रुओं को दूर तक देखने के लिए निर्मित किया गया होगा। इसी की उत्तरी दिशा में एक वर्गाकार समाधि है जो चार फिट ऊंची व 10 फिट लंबी व चौड़ी कटावदार पत्थरों पर चबूतरे के रूप में बनी है। गुरु पूर्णिमा में होने वाले भंडारा व परिक्रमा करने आने वाले लोग गोरों की समाधि पर जरूर जाते हैं।

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