अदृश्य हुई चंद्रावल नदी यादों में सिमटी
अजय दीक्षित महोबा चंदेलकालीन विरासतों में प्राचीन किला खंडहर हो चुकी हवेलियां तथा अन्य क
अजय दीक्षित, महोबा : चंदेलकालीन विरासतों में प्राचीन किला, खंडहर हो चुकी हवेलियां तथा अन्य कलाकृतियों के साथ जो सबसे अधिक अचंभित करने देने वाली चीज है। वह है, अदभुत जल संरक्षण व्यवस्था। सात नदियों में ऐसी ही एक नदी है- चंद्रावल। करीब तीस किलोमीटर के भू-भाग तक विस्तारित इस नदी के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। पानी तो कहीं बचा नहीं अब नदी के निशान भी धूल धूसरित होने लगे हैं।
महोबा शहर से करीब चार किलोमीटर दूर चांदौ गांव तक कभी कीरतसागर की सीमा फैली थी। कीरतसागर के उफनाने पर इसका पानी चंद्रावल नदी में जाता था। पूरे साल यह नदी पानी से लबरेज रहती थी। चांदौ गांव से निकलते हुए यह नदी जिले के विभिन्न गांवों से गुजरते हुए हमीरपुर जिले की बेतवा नदी में मिल जाती है। नदी का एक बहाव बिलवई, छितारा से महराजपुरा में फिर से पहली धारा में जुड़ जाती थी। इससे बीच के हिस्से में पड़ने वाली भूमि को भी सिचाई की सुविधा मिल जाती थी। इस नदी की लंबाई करीब 67 किलेोमीटर तक है। इन गांव से निकली नदी
चांदौ के बाद चंद्रपुरा, कराहरा, प्रेमनगर, बगरौन, महराजपुरा, इमिलिया, डांग, बृजपुर, यहां चंद्रावल बांध में पानी जाता है। यहां से फिर शिवहार, कमलखेड़ा, सलुवा, सुरहा, कुनेहटा आदि गांवों से होते हुए नदी हमीरपुर की सीमा में बेतवा नदी में मिल जाती है।
चंद्रावल का इतिहास
राजा परमाल की बेटी का नाम राजकुमारी चंद्रावल था। उन्हीं के नाम पर इस क्षेत्रीय नदी का नामकरण किया गया। इससे पहले चांदौ गांव से निकली इस नदी को गांव के नाम से ही जानते थे। नदी महोबा से हमीरपुर और बांदा में केन नदी से मिल जाती है। यह महोबा में करीब 30 किमी, हमीरपुर में 35 किमी, बांदा में जसपुरा ब्लाक में पौने दो किमी तक विस्तारित है। बोले ग्रामीण नदी को संरक्षण की जरूरत है, इसको किसी नहर से जोड़ दिया जाए तो नदी को फिर किसानों के लिए उपयोगी बनाया जा सकता है।
- गोपाल राजपूत, पचपहरा
नदी को जीवित करने के लिए सिचाई विभाग को आगे आना चाहिए। हर साल करोड़ों रुपये नहर की सफाई में खप जाते हैं, वैसे ही इस नदी को भी संरक्षण दिया जाए।
- अमर चंद, पचपहरा
- नदी में यदि पूरे साल पानी आने लगेगा तो जो जमीन परती पड़ी है उसकी सिचाई हो सकेगी, किसानों को उसका भरपूर लाभ मिल सकेगा।
- भवानीदीन पाल, चांदौ
- चंद्रावल नदी पर जहां कब्जे हो रहे हैं उन्हें हटाया जाए, इसका पुराना नक्शा देख कर इसकी लंबाई और चौड़ाई को उसी के अनुरूप बनाया जाना चाहिए।
- परमेश्वरीदयाल कुशवाहा, चांदौ