महोबा में रफ्तार की जंग में दांव पर लगी जिदगी

जागरण संवाददाता महोबा बरानाला के तीन किमी. परिक्षेत्र का दायरा मार्ग दुर्घटना

By JagranEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 05:52 PM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 05:52 PM (IST)
महोबा में रफ्तार की जंग में दांव पर लगी जिदगी
महोबा में रफ्तार की जंग में दांव पर लगी जिदगी

जागरण संवाददाता, महोबा :

बरानाला के तीन किमी. परिक्षेत्र का दायरा मार्ग दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र है। दोनों ओर हाईवे प्रबंधन ने बोर्ड भी लगा रखा है। इसके बाद भी यहां तेज रफ्तार वाहन चालक तेज भागने की जंग में अपनी जिदगी दांव पर लगा देते हैं। यहां हर साल कोई न कोई बड़ा दर्दनाक हादसा होता है। कानपुर-सागर हाईवे पर वैसे और भी कई प्वाइंट ऐसे हैं जहां आए दिन घटनाएं होती ही रहती हैं। इसमें ओवरलोड वाहन, सड़क पर खड़े ट्रक या तेज रफ्तार ही सबसे बड़ा कारण होती है।

बीते तीन साल के दौरान करीब 620 विभिन्न सड़क दुर्घटनाएं हुई। इसमें अधिकांश हाईवे पर ही हुई हैं। सबसे अधिक घटनाएं महोबा से श्रीनगर क्षेत्र के बीच कानपुर-सागर हाईवे पर हुईं। इस पर भी बरा नाला और महोबा का डाक बंगला क्षेत्र इस मामले में सबसे खतरनाक माना जा सकता है। ये हैं ब्लैक स्पॉट

श्रीनगर कस्बा से करीब आठ किलो मीटर दूर बरा नाला क्षेत्र के दो से तीन किलो मीटर के परिधि में दुर्घटनाएं बहुत होती हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो साल में एक या दो बड़े हादसे होते ही हैं। यहां अगस्त माह में कार में सवार चार दोस्तों की मौत हो गई थी। 2015 में आठ लोगों की एक साथ मौत हो गई थी। 2016-17 में पांच लोग एक ही परिवार के मौत के गाल में समा गए थे। और भी वाहन पलटने, लड़ने से घटनाएं होती रही हैं। इसी तरह पनवाड़ी का महुआ मोड़ भी दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र है। चरखारी के पास सूपा गांव के पास का मोड़, करेहरा गांव के पास सड़क पर भी बहुत घटनाएं होती हैं। कबरई में बांदा तिराहा, कुनेहटा जाने वाली सड़क पर भी दुर्घटनाएं बहुत होती हैं। सुरक्षा मानक की अनदेखी

जिले में दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्रों में कहीं भी संकेतक के अलावा और कोई इंतजाम नहीं हैं। बरानाला के पास बनी पुलिस काफी सकरी है। इसे बड़ा करने की जरूरत है। यहां रिफ्लेक्टर, सिग्नल भी लगाया जाना चाहिए। वैसे दोनों तरफ सूचना लगी है लेकिन वाहन चालक भी इसकी अनदेखी कर रफ्तार धीमी नहीं करते। कुनेहटा के पास तो सड़क ही काफी खराब है। यहां बाइक सवार उछल कर गिर जाते हैं और कई बार जिदगी से हाथ धो बैठते हैं। महोबा में डाक बंगला के पास आबादी क्षेत्र होने के बाद भी यहां वाहनों की गति तेज रहती है। इसकी वजह से लोग दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। यहां रिफ्लेक्टर या ट्रैफिक सिग्नल की जरूरत है। नशेबाजी भी बड़ा कारण

मार्ग दुर्घटनाओं में अधिकांश मामले नशे में वाहन चलाने के दौरान घटित होते हैं। ऐसे लोग अपनी जान की परवाह न करते हुए दूसरों के लिए भी खतरा बन जाते हैं। इनकी जांच के लिए कोई सख्त नियम न होने के कारण ही इस तरह के मामलों को बढ़ावा मिल रहा है। कड़े कदम उठाने की जरूरत

कृति शोध संस्थान के निदेशक मनोज कुमार कहते हैं कि आम जनता को स्वयं सचेत रहने की जरूरत है। वाहन नशे की हालत में न चलाएं। पुलिस को चाहिए कि चेकिग के दौरान सख्त नियम बनाएं और नशे की हालत में ड्राइविग करने वालों पर सख्त जुर्माना लगाएं तभी इस तरह के मामलों पर कमी आएगी। यातायात माह के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों के साथ चौराहों, स्कूलों में आयोजन कराए जा रहे हैं, लोगों से अपील भी की जाती है कि वह ड्राइविग करने के दौरान नियमों का पालन करें, नशे की हालत में कतई गाड़ी न चलाएं।

अरविद मिश्र, टीएसआइ

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