संयुक्त निदेशक कृषि ने निरीक्षण कर जांची खाद-बीज की उपलब्धता

जागरण संवाददाता उन्नाव खाद बीज की मांग और उपलब्धता को लेकर चल रही रस्साकसी को देखते

By JagranEdited By: Publish:Tue, 30 Nov 2021 11:35 PM (IST) Updated:Tue, 30 Nov 2021 11:35 PM (IST)
संयुक्त निदेशक कृषि ने निरीक्षण कर जांची खाद-बीज की उपलब्धता
संयुक्त निदेशक कृषि ने निरीक्षण कर जांची खाद-बीज की उपलब्धता

जागरण संवाददाता, उन्नाव : खाद, बीज की मांग और उपलब्धता को लेकर चल रही रस्साकसी को देखते हुए मंगलवार को संयुक्त निदेशक कृषि लखनऊ मंडल देवेंद्र प्रताप सिंह ने खाद, बीज की जांच के लिए दुकानों और गोदाम आदि का औचक निरीक्षण किया। इस बीच उन्होंने उपलब्ध स्टाक को देखा और किसानों से बात की। इसके बाद कृषि विभागीय अधिकारियों के साथ विभागीय योजनाओं की समीक्षा करते हुए उनकी प्रगति देखी।

मंगलवार को संयुक्त निदेशक ने नवाबगंज स्थित राजकीय बीज भंडार का निरीक्षण किया। जहां उन्होंने उपलब्ध स्टाक और बीज वितरण संबंधी जानकारी ली। इसके बाद उन्होंने मां फर्टिलाइजर्स को देखा। दुकान का स्टाक रजिस्टर जांचा और विक्रेता से उपलब्धता के संबंध में बात की। इसके बाद संयुक्त निदेशक आइएफडीसी सेंटर मखदूमपुर, पीसीएफ बफर गोदाम दही चौकी, राजकीय प्रक्षेत्र कुशैला का निरीक्षण किया। जिला कृषि अधिकारी के अनुसार संयुक्त निदेशक को सभी स्थानों पर स्थिति सामान्य मिली। उन्होंने निरीक्षण के दौरान संतोष प्रकट करते हुए कुछ सुधार के निर्देश भी दिये। निरीक्षण पूरा करने के बाद शाम संयुक्त निदेशक देवेंद्र प्रताप सिंह ने उपनिदेशक कृषि कार्यालय में विभागीय अधिकारियों के साथ शासन की विभिन्न योजनाओं की समीक्षा बैठक करते हुए जिले में उनकी प्रगति को देखा। इस दौरान उन्होंने आवश्यक निर्देश देते हुए उन योजनाओं की रिपोर्ट समय से उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।

घाटमपुर केंद्र पर नहीं पहुंचा नमी मापक यंत्र, किसान परेशान

संवाद सूत्र, बीघापुर : घाटमपुर कला केंद्र पर अब तक मात्र तीन टन धान की खरीद हुई है। जब कि समर्थन मूल्य पर किसानों से धान की खरीद एक नवंबर से शुरू की गई है। 18 नवंबर से खरीद प्रारंभ हुई तो केंद्र पर अभी तक नमी मापक यंत्र भी उपलब्ध नहीं हो पाया है। इससे क्रय केंद्र के प्रभारी को किसानों के धान का सैंपल भगवंत नगर स्थित मिलर के पास जांच कराने के लिए भेजना पड़ता है। जहां से सैंपल पास होने के बाद ही धान की खरीद की जाती है। इससे किसानों को काफी लंबा इंतजार करना पड़ता है।

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