खेतों में फसल के अवशेष ना जलाएं, इसका उपयोग करें
जागरण संवाददाता महोबा खेत में फसल के अवशेष जलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति तो कम होती ही
जागरण संवाददाता, महोबा: खेत में फसल के अवशेष जलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति तो कम होती ही है, पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है। महोबा के चरखारी तहसील क्षेत्र के छेदीमऊ में किसानों को चौपाल के माध्यम से जागरूक किया गया। इसमें ग्राम ज्योति संस्थान ने भी सहयोग किया। प्रशासन की ओर पहले ही किसानों को फसल के अवशेष खेत में न जाने की हिदायत दी जा चुकी है।
महोबा में धान मात्र 150 हेक्टेयर में ही होता है। इससे निकलने वाली पयार को गोशाला में भेजने व किसानों को स्वयं के मवेशियों के लिए चारा के उपयोग में लाने की सलाह दी गई है। सोमवार को आयोजित चौपाल के दौरान किसानों को समझाया गया कि धान की पयार और फसल के अवशेष खेत में न जला कर उन्हें खाद के रूप में खेत में पानी लगा कर सड़ा दें। इससे प्रदूषण भी नहीं होगा और लाभ भी होगा।
कृषि विभाग के कृषि वैज्ञानिक रमन शुक्ला ने कहा कि यदि पयार है तो उसे खेत में गोबर के साथ मिला कर सड़ा दें। वह बेहतर खाद का काम करेगी। आजाद शेखर, टीएसी आशीष कुमार ने उन्नत बीजों का उपयोग करने, सही समय में बोआई करने की सलाह दी। लोकहित संस्थान के उपाध्यक्ष गया प्रसाद कुशवाहा ने कहा कि खरीफ की फसल के बचे अवशेष को खेतों में ना जलाएं बल्कि इसे नजदीकी गोशाला में पहुंचाएं व इसकी खाद बनाने लिए उपयोग करें। लुहारी के ग्राम प्रधान भान सिंह ने कहा कि कम पानी वाली फसल बोएं व अच्छी उपज पाएं।