गुमान बिहारी मंदिर के खजाने से चरखारी का हो सकता कायाकल्प

संवाद सहयोगी चरखारी (महोबा) बुंदेलखंड के मिनी वृंदावन के रूप में विख्यात कस्बा चरखारी के

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 07:18 PM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 07:18 PM (IST)
गुमान बिहारी मंदिर के खजाने से चरखारी का हो सकता कायाकल्प
गुमान बिहारी मंदिर के खजाने से चरखारी का हो सकता कायाकल्प

संवाद सहयोगी, चरखारी (महोबा): बुंदेलखंड के मिनी वृंदावन के रूप में विख्यात कस्बा चरखारी के गुमान बिहारी मंदिर के ट्रस्ट की संपत्तियों का सही उपयोग किया जाए तो शहर का कायाकल्प हो सकता है। लोगों ने मंदिर ट्रस्ट के सचिव तहसीलदार से पहल करने की अपेक्षा की है। उन्होंने जल्द बैठक बुलाकर आवश्यक कदम उठाने का आश्वासन दिया है।

वर्ष 1890 में चरखारी रियासत के शासक जुझार सिंह ने अपनी महारानी गुमान कुंवर की स्मृति में गुमान बिहारी तालाब के तट पर मंदिर का निर्माण कराया था। करोड़ों की संपत्ति मंदिर के नाम कर दी थी। आजादी के गुमान रायनपुर मंदिर ट्रस्ट बना कर राज्यपाल को इसका संरक्षक, जिलाधिकारी को अध्यक्ष बनाया गया था। तहसीलदार इसके सचिव होते हैं। शासन की ओर से मनोनीत तीन ट्रस्टी व राजपरिवार का उत्तराधिकारी पदेन सदस्य होता है। वर्तमान में मंदिर की संपत्ति का सही उपयोग ना होने से जहां मंदिर की आय प्रभावित हो रही है। मंदिर के रियासत कालीन दर्जनों आलीशान भवन ट्रस्ट की ओर से किराए पर उठाए गए थे। इलाहाबाद बैंक, पुराना पावर हाउस सहित कई सरकारी दफ्तर भी ट्स्ट के भवनों में ही संचालित होते रहे हैं। कई किराएदार अपने नाम आवंटित भवन दूसरों को किराए पर दिये हैं। समाजसेवी पीयूष खरें, कुलदीप कुमार सक्सेना, ने सचिव, तहसीलदार परशुराम पटेल से कहा कि मंदिर ट्रस्ट की खाली पड़ी असुरक्षित भूमि का सही उपयोग किया जाए तो शहर का कायाकल्प हो सकता है। रायपुर मंदिर की टाकीज तिराहा पर पुराने इलाहाबाद बैंक परिसर भूमि बीपार्क स्थित पुराने पावर हाउस स्थित खाली भूमि पर बिग बाजार जैसा एक व्यवसायिक कांप्लेक्स बनवा दिया जाए। इससे मंदिर की आए बढ़ेगी वहीं कस्बा का शहरीकरण के रूप में विकास होगा। विधायक ने मांगा संपत्ति का विवरण

चरखारी विधायक पदेन ट्रस्टी बृजभूषण सिंह उर्फ गुड्डू राजपूत ने मंदिर ट्रस्ट सचिव तहसीलदार परशुराम पटेल से गुमान बिहारी मंदिर ट्रस्ट की चल अचल संपत्ति, कृषि भूमि, व्यवसायिक भूमि, मुद्रा आय-व्यय के साथ बकाएदारों की जानकारी ली। किस व्यक्ति ने मंदिर का कितना कर्ज लिया कब जमा किया, कितने लोग अभी बकाएदार चल रहे हैं उनसे वसूला जाए। तथा मंदिर का विकास कराया जाए।

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