बदले हालात तो फिर बदला आशियाना
जागरण संवाददाता महोबा हालात बदल रहे हैं इसलिए अब अपना गांव ही सबसे सुरक्षित लग रहा है।
जागरण संवाददाता, महोबा: हालात बदल रहे हैं इसलिए अब अपना गांव ही सबसे सुरक्षित लग रहा है। चार से छह माह पहले दूसरे शहर काम करने के लिए गए लोग तेजी के साथ अपने गांवों को लौटने लगे हैं। इन लोगों का कहना है कि इस समय बाहर रह कर भय जैसा लग रहा है। भूखे पेट रह लेंगे लेकिन अपने बच्चों को खतरे में नहीं डाल सकते। बाहर से लौट रहे लोगें में भय और चिता साफ झलक रही है।
रतौलिया गांव की नीरज बोरी में सामान आदि लेकर दिल्ली से वापस लौट आई है। उसके पति शंकर अभी वहीं हैं। वह कुछ दिन बाद लौटेंगे। वह कहती हैं कि गांव में बच्चे सास-ससुर के साथ हैं। पांच माह पहले दिल्ली गई थी। पति-पत्नी दोनों मजदूरी करते हैं। जो पैसा मिला उसी में संतोष है। वह इसलिए भी गांव लौट आईं हैं कि बाहर रहना सुरक्षित नहीं लग रहा था। पिछले साल वह वहां फंस गई थीं। इसलिए पति ने इस बार पहले उन्हें भेज दिया है वह बाद में आ जाएंगे। रहेलिया निवासी ललिता भी दिल्ली से लौट आई हैं। वह एक प्राइवेट फैक्ट्री में मजदूरी करती थीं। दीपावली के बाद गांव से गई थीं। अचानक मरीजों की संख्या बढ़ने से भय लगने लगा कि कहीं ऐसा न हो कि यहां फंस जाएं और घर भी न जाने को मिले। वहां किराए का कमरा लेकर गृहस्थी बना ली थी। अब तो वहीं आशियाना था लेकिन हालात बदले तो आशियाना भी बदल देना पड़ा। वैसे जब हालात सुधरेंगे तो वह दोबारा लौट जाएंगी।