डाक बंगला मैदान में खड़ी हुईं 27 एंबुलेंस, लोग परेशान
जागरण संवाददाता महोबा पाठा गांव की सुमित्रा को दो दिन पहले चरखारी के मैटरनिटी विग मे
जागरण संवाददाता, महोबा: पाठा गांव की सुमित्रा को दो दिन पहले चरखारी के मैटरनिटी विग में प्रसव हुआ था। सोमवार को उसे अपने गांव जाना था। घर की महिलाएं सुबह से वाहन के इंतजार में दोपहर तक बैठी रहीं। बाद में तीन हजार रुपये खर्च करके एक प्राइवेट वाहन से अपने गांव पहुंच सकी। सोमवार को एंबुलेंस संचालकों के चक्का जाम ऐलान से कई मरीजों और उनके तीमारदारों की जान पर संकट बन आया। वैसे आपातकाल के लिए संचालनों की ओर से तीन एंबुलेंस संचालित रखी गईं। इससे कई गंभीर घायलों को समय से अस्पताल पहुंचाया जा सका।
विभिन्न मांगों को लेकर सोमवार से शहर के डाक बंगला मैदान में एंबुलेंस कर्मचारी संघ के कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी। धरना के दौरान जिलाध्यक्ष संदीप कुमार ने कहा कि एंबुलेंस का चक्का जाम जरूर किया गया है लेकिन आपातकाल में सभी कर्मचारी सेवाएं देंगे। डाक बंगला मैदान में 27 एंबुलेंस खड़ी कर पायलट और ईएमटी ने जमकर नारेबाजी की और धरना दिया। जिला अध्यक्ष ने कहा चेताने के बाद भी हमारी मांगें नहीं मानी जा रही हैं। मांग है कि ठेका प्रथा को बंद किया जाए। कोरोना काल में शहीद हुए एंबुलेंस कर्मियों को 50 लाख बीमा प्रदान किया जाए। इस दौरान निर्मल, सतीश, विनय, शिवप्रताप, भगवानदास, प्रभा, विनोद, जीतू, शिवकुमार, अमित, आलोक आदि मौजूद रहे।
इंसेट: जब जान पर बन आई
कबरई मकरबई निवासी पंकज के पुत्र की तबीयत सोमावार को अचानक बिगड़ गई। उसे सांस लेने में दिक्कत थी। प्राइवेट वाहन से जिला अस्पताल आए पीड़ित ने बताया कि रात को बच्चे की हालत खराब होने पर एंबुलेंस को फोन किया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। आखिर सुबह जैसे-तैसे पड़ोसी की बाइक से यहां पहुंचे। इसी तरह भरवारा के सोनी की पत्नी के पेट में भीषण दर्द होने से वह तड़प रही थी। महिला अस्पताल पहुंचे पीड़ित ने बताया कि वह टेंपो किराए पर करके यहां पहुंच सका।