वसूली के बाद भी राजस्व खाते में नहीं पहुंचे 17 करोड़

जागरण संवाददाता महोबा 17 करोड़ रुपये की बिजली बकायेदारी को वसूलने के बाद भी 18 माह में ज

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 06:31 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 06:31 PM (IST)
वसूली के बाद भी राजस्व खाते में नहीं पहुंचे 17 करोड़
वसूली के बाद भी राजस्व खाते में नहीं पहुंचे 17 करोड़

जागरण संवाददाता, महोबा : 17 करोड़ रुपये की बिजली बकायेदारी को वसूलने के बाद भी 18 माह में जांच टीमें रकम को राजस्व खाते में जमा नहीं करा सकी हैं। जांच कर रहीं टीमों ने भी रिपोर्ट दी, पर आधी अधूरी। उच्चस्तरीय जांच की मांग के बाद दिसंबर में दूसरी टीम ने भी मिलकर जांच की, लेकिन दोनों टीम सात माह में बैंक डिटेल इकट्ठा नहीं कर सकीं। जांच की धीमी गति से साफ है कि इसमें अधिकारी ही अड़ंगा डाल रहे हैं। इससे साफ है कि पूरे प्रकरण में कई अधिकारी भी लपेटे में आ सकते हैं। वहीं आरोपित को बाउचर की हेराफेरी के एक दूसरे मामले में पहले ही निलंबित कर मुकदमा दर्ज कराया गया था। यह था मामला

बिजली विभाग में कैशियर पद पर तैनात रहे श्यामनारायण ने 31 अक्टूबर 2019 से

लेकर करीब एक साल तक के बिल की वसूली के रुपये विभिन्न क्षेत्रों से जमा तो किया लेकिन उसको बिजली कारपोरेशन के खाते में जमा करने की रसीद नहीं दिखा सके। अधीक्षण अभियंता (एसी) महेंद्र कुमार के निर्देश पर राठ एक्सइएन विमल कुमार तथा एक राठ के ही कर्मचारी यशपाल को जांच दी गई थी। जांच में 17 करोड़ के बाउचरों का न मिलना सामने आया। टीम ने इसमें उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी। इसमें एसी महेंद्र कुमार और एकाउंट आफीसर बृजेंद्र कुमार ने जांच शुरू की।

पहले भी आरोपित ने की थी गड़बड़ी

आरोपित श्यामनारायण के खिलाफ एक और मामला डेढ़ साल पहले प्रकाश में आया था। उसने उपभोक्ताओं के बिल का रुपया जमा करने के दौरान कार्बन कापी नहीं लगाई थी। बिल जमा करने के दौरान कई उपभोक्ताओं से रुपये ज्यादा लिए लेकिन विभाग में दर्ज कम किए थे। एक्सइएन ग्रामीण डीआर विमलेश ने बताया कि इस मामले में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे निलंबित कर दिया गया था।

कहां फंसी जांच

एसी के अनुसार जांच के दौरान बैंक से सभी प्रपत्र नहीं मिले हैं। पूरे दस्तावेज के बाद ही पता चलेगा कि कितने रुपयों का गबन हुआ। बिजली विभाग के उपभोक्ताओं के बिल की वसूली बैंक ऑफ बड़ौदा और एचडीएफसी बैंक में जमा होती है। इन बैंकों से दस्तावेज मांगे गए थे, लेकिन सभी कागज नहीं मिले हैं। अभी तक जो जांच हो चुकी है उससे साफ है कि गबन तो हुआ है।

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