शरीर को स्वस्थ और ताकवर बनाता है योग
भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के योग शिक्षक संत कुमार वर्मा ने बताया कि भस्त्रिका प्राणायाम हमारी आंतरिक शक्तियों व ऊर्जा का स्त्रोत है। भस्त्रिका प्राणायाम के समय शरीर व मन से शान्त होकर पलथी मारकर बैठ जाएं। रीड़ की हड्डी सीधी रहना जरूरी है। गहरी सांस लें। फेफड़ों को पूरी तरह सांस से भर लें और फिर गहरी सांस छोड़ें। सांस लेते समय पेट नहीं फूलना चाहिए। पेट और छाती के बीच की झिल्ली (डायफाम) तक ही जाएं उससे आगे नहीं।
महराजगंज: शरीर की आंतरिक ऊर्जा को जागृत कर उसे स्वस्थ, संतुलित और सक्रिय बनाने में योग की सैकड़ों विधियां हैं। पर कामकाजी जीवन में उनमें से योग की सात ही विधियां पर्याप्त हैं। जिनसे हम अपनी इम्युनिटी पावर को बढ़ाकर कोरोना जैसी महामारी को लड़ने में अपने शरीर को सक्षम और ताकतवर बना सकते हैं।
भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के योग शिक्षक संत कुमार वर्मा ने बताया कि भस्त्रिका प्राणायाम हमारी आंतरिक शक्तियों व ऊर्जा का स्त्रोत है। भस्त्रिका प्राणायाम के समय शरीर व मन से शान्त होकर पलथी मारकर बैठ जाएं। रीड़ की हड्डी सीधी रहना जरूरी है। गहरी सांस लें। फेफड़ों को पूरी तरह सांस से भर लें और फिर गहरी सांस छोड़ें। सांस लेते समय पेट नहीं फूलना चाहिए। पेट और छाती के बीच की झिल्ली (डायफाम) तक ही जाएं, उससे आगे नहीं। सांस लेने के तुरंत बाद गहरी सांस छोड़ें, इतनी गहरी छोड़ें कि फेफड़े पूरी तरह खाली हो जाए। सांस भीतर रोकना नहीं है, तुरंत छोड़ना है। यह एक प्राणायाम हुआ। यह एक प्रक्रिया पूरी होते ही दूसरी शुरू कर दी जाए। सांस लेते समय मन में यह भावना करें कि ब्रह्मांड में फैली दिव्य शक्ति अपने भीतर जा रही है और ऊर्जावान बना रही है। सांस छोड़ते समय भावना करें कि अपने भीतर के दोष, विकार बाहर निकल रहे हैं, उनसे छुटकारा मिल रहा है। मन निर्मल और पवित्र होता जा रहा है। तीन से पांच मिनट तक यह प्राणायाम दोहराएं। जो उच्च रक्तचाप और हृदय रोगी हो उसे भस्त्रिका प्राणायाम क्रिया धीमे करनी चाहिए या सावधानी बरतनी चाहिए।