झाड़ू से 'बुहार' दी गरीबी

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को रफ्तार दे रहीं रसूलपुर गांव की महिलाएं

By JagranEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 11:41 PM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 11:41 PM (IST)
झाड़ू से 'बुहार' दी गरीबी
झाड़ू से 'बुहार' दी गरीबी

महराजगंज: कोरोना काल में घर की दहलीज पर बेरोजगारी ने दस्तक दी। आंगन में गरीबी खड़ी होने को तैयार थी। ऐसे में महिलाओं ने कमान संभाली। झाडू़ से इसे बुहारकर न केवल बाहर का रास्ता दिखाया बल्कि खुद भी आर्थिक समृद्धि की राह पर चल पड़ीं। यह हुआ महराजगंज सदर विकास खंड के गांव पिपरा रसूलपुर में।

यहां 14 महिलाओं के स्वयं सहायता समूह ने फूल झाड़ू बनाकर आर्थिक उन्नति का रास्ता साफ कर लिया। निर्माण से लेकर बिक्री तक का जिम्मा खुद संभालती हैं। प्रति झाड़ू 30 रुपये लागत आती है और बाहर के व्यापारी 40 रुपये में ले जाते हैं। झाडू़ बनाते ही महिलाओं को पांच रुपये मिलते हैं, बाद में मुनाफे में हिस्सा भी मिलता है। रोज 100 झाडू़ तैयार की जाती है। मांग बढ़ने पर गांव की 20 महिलाओं को भी काम दिया गया।

सचिव नीता देवी ने बताया कि कोरोना काल ने संघर्ष करने का जज्बा सिखाया। घर के पुरुष सदस्य बेरोजगार हो गए तो जीवन यापन मुश्किल हो गया। फिर हम लोगों ने काम करने का निर्णय लिया। जून में सामाजिक कार्यकर्ता सुनील पांडेय की मदद से झाड़ू बनाना सीखा। पहले बेचने में समस्या आई, लेकिन गुणवत्ता देखकर अब महराजगंज, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर जिले तक के व्यापारी झाड़ू खरीदकर ले जाते हैं। महराजगंज, पकड़ी, फरेंदा, सिसवा और घुघली के बाजारों में हम खुद पहुंचाते हैं। 14 हजार रुपये की पूंजी अब डेढ़ लाख हुई

कम लागत में काम शुरू करना था, इसलिए फूल झाड़ू बनाना सीखा। प्रशिक्षण के बाद सबने एक-एक हजार रुपये जोड़कर 14 हजार रुपये जुटाए। गोरखपुर से कच्चा माल मंगाया। आज यह पूंजी डेढ़ लाख रुपये हो गई है। इन्होंने लिखी सफलता की इबारत:

महिला किसान समूह की अध्यक्ष गीता देवी के नेतृत्व में दुर्गावती देवी, शारदा, लालमती, झिनका, शकुंतला, कुमकुम, कमली, अनीता, पूनम, शांति व सरिता आज स्वरोजगार की ओर रुख कर आर्थिक रूप से सबल बनीं हैं और परिवार को मजबूती दे रही हैं। जब से गांव में फूल झाड़ू बनाने का काम शुरू हुआ है, महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है। घर बैठे रोजगार मिल रहा है। अब तक का अधिकांश मुनाफा कारोबार बढ़ाने में लगाया गया है। आसपास के गांवों की महिलाओं को भी प्रशिक्षित कर रोजगार से जोड़ने की कोशिश हो रही है।

- गीता देवी, अध्यक्ष, महिला किसान समूह, पिपरा रसूलपुर

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