विश्व पर्यटन दिवस पर लुंबिनी में बड़ी संख्या में पहुंचे लोग

विश्व पर्यटन दिवस पर सोनौली से लुंबिनी तक एक इलेक्ट्रिक बस संचालन शुरू किया गया। माया मंदिर स्तूप ज्वाला दर्शन बौद्ध स्तूप समेत लुंबिनी क्षेत्र के सभी मंदिरों के कपाट पर्यटकों के लिए खोल दिए गए।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 02:24 AM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 02:24 AM (IST)
विश्व पर्यटन दिवस पर लुंबिनी में बड़ी संख्या में पहुंचे लोग
विश्व पर्यटन दिवस पर लुंबिनी में बड़ी संख्या में पहुंचे लोग

महराजगंज: भारत-नेपाल सीमा से यात्री प्रवेश को हरी झंडी मिलते ही लुंबिनी में यात्रियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। विश्व पर्यटन दिवस के एक दिन पूर्व नेपाल सीमा पर्यटकों के लिए खोल दिए जाने से लुंबिनी क्षेत्र के होटल व्यवसाइयों व मंदिरों के संरक्षकों में सोमवार को दोहरी खुशी रही।

विश्व पर्यटन दिवस पर सोनौली से लुंबिनी तक एक इलेक्ट्रिक बस संचालन शुरू किया गया। माया मंदिर, स्तूप, ज्वाला दर्शन, बौद्ध स्तूप समेत लुंबिनी क्षेत्र के सभी मंदिरों के कपाट पर्यटकों के लिए खोल दिए गए। कार्यक्रम व बैठक कर लुंबिनी क्षेत्र के पर्यटक को पुन: पटरी पर लाने की तैयारियों पर चर्चा की गई। लुंबिनी विकास कोष उपाध्यक्ष बौद्ध भिक्षु मेतेया ने कहा कि गौतम बुद्ध के 18 तीर्थ स्थल भारत-नेपाल दोनों देशों में हैं। बौद्ध दर्शन के लिए थाईलैंड, वर्मा, श्री लंका आदि देशों से जो भी यात्री आते हैं, वहां से विचार बनाकर चलते हैं कि मुख्य चार धामों के दर्शन करेंगे। लुंबिनी आते हैं तो बौद्ध गया, कुशीनगर व सारनाथ जाना चाहते हैं। नेपाल में गौतम बुद्ध अंतरराष्ट्रीय विमान स्थल बनकर तैयार है। ऐसे में बौद्ध सर्किट के विकास को लुंबिनी को जोडकर बनाया जाए। उन्होंने कहा दोनों सरकारें मिलकर बौद्ध सर्किट के विकास के लिए प्रयत्न करें। बौद्ध गया से तीर्थ यात्री बस से आते हैं, उनको सोनौली मार्ग से आने पर बहुत दिक्कतें होती हैं। उन्होंने कहा बार्डर क्रासिग को सहज बनाया जाए और सड़कों का विस्तार किया जाए। सूचना प्रमुख डा. हरि राई, लीलाराम, सभापति नेपाल महासंघ राजाराम पोखरील, लुंबिनी बौद्ध विश्वविद्यालय उप कुलपति डा.हृदय रत्न ब्रजाचार्य आदि उपस्थित रहे।

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