35 दिन बाद भी महाव तटबंध की नहीं हो सकी मरम्मत

नेपाल से आए पानी के भारी दबाव के कारण महाव नाला अपने जर्जर तटबंध को तोड़कर तटवर्ती गांवों के किसानों के लिए एक बड़ी मुसीबत बना हुआ है । समाधान के नाम पर की जाने वाली तैयारियां कागजों तक ही सिमट कर रह जाती हैं। समय- समय पर किसान जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों से भी गुहार लगा चुके हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Jul 2021 02:22 AM (IST) Updated:Mon, 19 Jul 2021 02:22 AM (IST)
35 दिन बाद भी महाव तटबंध की नहीं हो सकी मरम्मत
35 दिन बाद भी महाव तटबंध की नहीं हो सकी मरम्मत

महराजगंज: जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही व दायित्व के प्रति संवेदनहीनता देखनी हो तो महाव तटबंध से बेहतर उदाहरण और कहां मिलेगा। यहां सिचाई खंड दो, वन व विकास विभाग के अधिकारी एक दूसरे के उपर जिम्मेदारी थोपकर अपने दायित्व से हाथ खड़ा कर रहे हैं। लापरवाही का आलम यह है कि यहां 35 दिनों से पांच स्थानों पर टूटे महाव तटबंध की मरम्मत नहीं हो सकी है। रिहायशी बस्तियों तक बाढ़ का पानी फैलने से लोगों की दुश्वारियां बढ़ती जा रहीं हैं। फिर भी समस्या के समाधान के नाम पर जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक अमले के लोग चुप्पी साधे बैठे हैं।

नेपाल से आए पानी के भारी दबाव के कारण महाव नाला अपने जर्जर तटबंध को तोड़कर तटवर्ती गांवों के किसानों के लिए एक बड़ी मुसीबत बना हुआ है । समाधान के नाम पर की जाने वाली तैयारियां कागजों तक ही सिमट कर रह जाती हैं। समय- समय पर किसान जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों से भी गुहार लगा चुके हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासनों की घुट्टी पिलाकर शांत करा दिया जाता है। आश्चर्य की बात यह है कि जनपद में बाढ़ बचाव के लिए की जाने वाली कागजी तैयारियों में महाव नाले को प्रमुखता से रखा जाता है। जिला व तहसील प्रशासन के आला अधिकारी भी महाव नाले का निरीक्षण व समस्या के समाधान के लिए बैठकें करते हैं। लेकिन समय आने पर सारी तैयारियां सिर्फ छलावा ही साबित होती रही है। इतना ही नहीं सिचाई विभाग, वन विभाग व ग्राम पंचायतें द्वारा की गई तैयारियां भी हवा हवाई ही साबित होती हैं। तीनों विभागों के लोग समस्या के समाधान का ठिकरा एक दूसरे पर फोड़कर मामले से पल्ला झाड़ लेने में ही अपनी भलाई समझते हैं। किसानों ने कहा, मुकद्दर में लिखी तबाही

महाव नाले की तबाही झेल रहे किसानों का दर्द वर्षों पुराना है। विगत कई दशकों से नाले का तटबंध टूटने व बंधने का खेल देख रहे हैं। फिर भी समस्या का स्थाई समाधान न होता देख उनके चेहरे उदास हैं। जागरण टीम ने जब बाढ़ प्रभावित अमहवा गांव के किसानों से बात की तो उनके आंखों से आंसू छलक पड़े। महाव नाले के जिस स्थान पर बीते पांच वर्षों में मनरेगा से कार्य कराया जा चुका है। उस जगह को छोड़कर अन्य स्थान पर कार्य कराया जा सकता है। इसके स्थलीय निरीक्षण के लिए टीम गठित कर रिपोर्ट प्रेषित करने को कहा गया है।

-डा. सुशांत सिंह, खंड विकास अधिकारी, नौतनवा नारायणी नदी के घटते जलस्तर के साथ तेज हुई कटान

महराजगंज: नेपाल की पहाड़ियों सहित तराई में रुक-रुक हो रही बरसात से जिले के नदी नालों में बाढ़ का पानी लगातार घट बढ़ रहा है। रविवार की शाम को नारायणी नदी से लेकर रोहिन, राप्ती, चंदन, प्यास सहित महाव नाला अपने खतरे के निशान से काफी नीचे बहती पाई गई। नारायणी नदी में पानी घटने के साथ ही नदी ने कटान तेज कर दिया है।

रविवार की शाम चार बजे नारायणी नदी खतरे के निशान से 12 फीट नीचे बहती पाई गई। बाल्मीकि नगर बैराज से नारायणी नदी में कुल 163800 पानी का डिस्चार्ज दर्ज किया गया। नदी का जलस्तर अपने खतरे के निशान 365.30 फीट के सापेक्ष 353.60 फीट दर्ज किया गया। पानी घटने की वजह से नदी अपने पूरब किनारे पर सोहगीबरवा के किनारे कटान शुरू कर दिया है। रविवार को राप्ती नदी अपने खतरे के निशान 80.30 मीटर के सापेक्ष 78.67 मीटर, रोहिन त्रिमुहानी खतरे के निशान 82.44 मीटर के सापेक्ष 82.01 मीटर, चंदन नदी अपने खतरे के निशान 101.05 मीटर के सापेक्ष 99.85 मीटर, प्यास खतरे के निशान 102.25 मीटर के सापेक्ष 101.35 मीटर और महाव नाला खतरे के निशान पांच फीट के नीचे चार फीट पर बह रही है।

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