दिव्यांग बच्चों में शिक्षा का रंग भर रहीं गरिमा
महराजगंज: हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है, जिस तरफ भी चल पड़ेंगे, रास्ता हो जाएगा। पद्यम श्
महराजगंज: हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है, जिस तरफ भी चल पड़ेंगे, रास्ता हो जाएगा। पद्यम श्री पुरस्कार प्राप्त साहित्यकार व लेखक बशीर बद्र की यह लाइन नगर के आजाद नगर में चलने वाले एक्सीलरेटेड लर्निंग कैंप की वार्डेन गरिमा रावत पर सटीक बैठती हैं। तैनाती के उपरांत उन्होंने अशक्त बच्चों को सशक्त बनाने के साथ उनके जीवन में शिक्षा का रंग भर कर उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया है। आठ अगस्त 2018 को कैंप में बतौर वार्डेन काम संभालने वाली गरिमा ने अध्ययनरत 36 श्रवण बाधित बच्चों को शिक्षित करने के लिए जहां स्वयं अपने हाथ से चार्ट, बोर्ड पर वस्तु का चित्र बनाकर उसे सुविधाजनक तरीके से बताने तथा ब्रेल लिपि में उसे लिखाने का कार्य किया, वहीं 22 ²ष्टिबाधित बच्चों को भी शिक्षण अधिगम सामग्री के माडल को स्पर्श करा समझाने का प्रयास किया। अशक्त बच्चों को सशक्त बनाने के लिए वे प्रतिदिन एक घंटे तक उनकी खेल संबंधी गतिविधियां भी कराती हैं। उन्होंने बच्चों को गीत व नृत्य से जोड़ने के लिए भी विशेष पहल की, जिसका परिणाम रहा कि महराजगंज महोत्सव में प्रतिभाग करने वाले 40 विद्यालयों में इस कैंप के बच्चों ने ओरी चिरैया नामक गीत पर बेहतर प्रस्तुति के लिए तीसरा स्थान प्राप्त कर नाम रोशन किया। वार्डेन गरिमा रावत ने कहा कि सामान्य बच्चों से यह बच्चे अलग होते हैं। उनके हाव-भाव व क्रियाओं से उन्हें समझकर हमें कार्य करना होता है। इनके विकास के लिए पर्याप्त समय की आवश्कता होती है। समय अवधि बढ़े तो और अच्छे परिणाम सामने आएंगे।