..और जब अंग्रेज शासक को छोड़ना पड़ा बृजमनगंज

ब्रिटिश हुकूमत स्टेट के मुख्य अधिकारी के तौर पर जानहाल बृजमैन यहां के शासक हुआ करते थे जिसने कस्बे को बसाया था उस दौरान इस कस्बे को साहबगंज के नाम से भी जाना जाता था। व्यापारिक दृष्टि से कस्बा अनाज कारोबार के लिए दूरदराज तक प्रसिद्ध था।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 11 Aug 2021 02:21 AM (IST) Updated:Wed, 11 Aug 2021 02:21 AM (IST)
..और जब अंग्रेज शासक को छोड़ना पड़ा बृजमनगंज
..और जब अंग्रेज शासक को छोड़ना पड़ा बृजमनगंज

महराजगंज : बृजमनगंज क्षेत्र में ब्रिटिश शासन के कई ऐसे सुबूत देखने को मिलते हैं, जो अंग्रेजी हुकूमत की हकीकत बयां करती है। इस क्षेत्र को लेहड़ा स्टेट के नाम से जाना जाता था। लेहड़ा स्टेट के साहब बृजमैन हुआ करते थे। बृजमैन की लड़की का नाम लैरा था, जिसके नाम से इस क्षेत्र को लेहड़ा स्टेट नाम से जाना जाता था। ब्रिटिश हुकूमत स्टेट के मुख्य अधिकारी के तौर पर जानहाल बृजमैन यहां के शासक हुआ करते थे, जिसने कस्बे को बसाया था उस दौरान इस कस्बे को साहबगंज के नाम से भी जाना जाता था। व्यापारिक दृष्टि से कस्बा अनाज कारोबार के लिए दूरदराज तक प्रसिद्ध था। अंग्रेजों ने तमाम कर लगाकर व्यापारियों का उत्पीड़न करना शुरू कर दिया। करीब 100 वर्ष पूर्व अंग्रेजी हुकूमत द्वारा व्यापारियों के उत्पीड़न के विरुद्ध स्थानीय व्यापारी मुखर हुए और एकजुट होकर विरोध करना शुरू किया। व्यापारियों की एकजुटता के सामने ब्रिटिश शासन की कोई आदेश नहीं चली, जिसके बाद धीरे-धीरे अंग्रेजों को क्षेत्र छोड़ कर जाना पड़ा। उसके बाद ब्रिटिश शासक जानहाल बृजमैन के नाम पर कस्बे का नाम बृजमनगंज पड़ा। ककोरी कांड के शहीदों को दी श्रद्धांजलि

महराजगंज : कोल्हुई क्षेत्र के गुर्चिहा गांव में भाजपा नेता राहुल सिंह के कार्यालय में काकोरी कांड के सपूतों को श्रद्धांजलि दी गई। राहुल सिंह ने कहा कि अंग्रेजी हूकूमत से बदला लेने के लिए हथियार खरीदने के लिए काकोरी स्टेशन पर घटना को अंजाम दिया। बाद में फांसी पर झूल गए। कनक बिहारी सिंह, राहुल सिंह, दिनेश कुमार रौनियार, बृजेश गुप्ता, उमेश रौनियार, जनता सिंह, उमेश कुमार, मनोज सिंह मौजूद रहे।

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