World River Day 2020: बारिश भी न धो सकी इन नदियों का आंचल, झेल रही प्रदूषण की मार

World River Day 2020 उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी अगस्त माह की रिपोर्ट में नदियां प्रदूषण से बेहाल मिली हैं। विशेषकर बीते महीनों की तुलना में तकरीबन सभी नदियों में प्रदूषण खूब बहा। सूबे की कई अन्य नदियों में भी जल गुणवत्ता में तुलनात्मक गिरावट पाई गई है।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 12:11 PM (IST) Updated:Sun, 27 Sep 2020 12:11 PM (IST)
World River Day 2020: बारिश भी न धो सकी इन नदियों का आंचल, झेल रही प्रदूषण की मार
World Rivers Day 2020 : हालिया रिपोर्ट से सामने आई नदी प्रदूषण की सच्चाई।

 लखनऊ [रूमा सिन्हा]। World River Day 2020: माना जाता है कि नदियों के नैसर्गिक प्रवाह के साथ उनकी कुदरती सफाई के लिए मानसून संजीवनी साबित होता है।लेकिन सूबे की नदियों को प्रदूषण से राहत देने में यह संजीवनी भी काम नहीं आई। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी अगस्त माह की रिपोर्ट में नदियां प्रदूषण से बेहाल मिली हैं। विशेषकर बीते महीनों की तुलना में तकरीबन सभी नदियों में प्रदूषण खूब बहा।

रिपोर्ट के अनुसार बदायूं के कछला घाट को छोड़ दें तो प्रदेश में गंगा नदी की जल गुणवत्ता बिजनौर से लेकर गाजीपुर के तारीघाट तक आचमन क्या नहाने लायक भी नहीं मिली। वहीं, पहले से ही जबरदस्त प्रदूषण की मार  झेल रही गोमती, काली, हिंडन, रामगंगा,  सई ,सरयू  में भी बीते महीनों की तुलना में जल गुणवत्ता में खासी गिरावट पायी गई है। गंगा के अपस्ट्रीम पर बसे बिजनौर, गढ़मुक्तेश्वर, अनूप शहर, नरोरा में जहां नदी का पानी  अमूमन 'बी ' श्रेणी में होने की वजह से आचमन व नहाने के लायक माना गया है, वहां बोर्ड की ताजा रिपोर्ट में गंगा की जल गुणवत्ता असंतोषजनक यानी 'सी' श्रेणी में पाई गई।   यही नहीं, गंगा के पानी की गुणवत्ता कन्नौज, बिठूर, भैरव स्नान घाट व अपस्ट्रीम कानपुर में फीकल व टोटल कॉलीफॉर्म  जीवाणुओं की संख्या बेहद बढ़ जाने के चलते सी- श्रेणी से भी खराब यानी 'डी'  श्रेणी में पहुंच गई।  इसके आगे शुक्लागंज, गोला स्नान घाट, जाजमऊ स्नान घाट व डाउनस्ट्रीम कानपुर, कौशांबी के कड़ा घाट तथा प्रयागराज के अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम (संगम) पर भी फीकल  जीवाणुओं (मलजनित ) की तादाद में बेहिसाब वृद्धि रिकॉर्ड हुई है। वहीं मिर्जापुर में अपस्ट्रीम विंध्याचल पर भी गंगा की गुणवत्ता बीओडी का स्तर बढ़ने से खराब यानी 'डी 'श्रेणी में पाई गई। उधर, डाउनस्ट्रीम मिर्जापुर, चुनार ब्रिज, वाराणसी व तारीघाट- गाजीपुर के सभी मानीटरिगं स्थलों पर भी जल गुणवत्ता में अपेक्षाकृत भारी गिरावट दर्ज की गई।

अन्य नदियां भी बेहाल 

सूबे की कई अन्य नदियों में भी जल गुणवत्ता में तुलनात्मक गिरावट पाई गई है। इसमें मेरठ के खरखोदा पर काली (ई) तथा फर्रुखाबाद  में राम गंगा के प्रदूषण स्तर में भी इजाफा हुआ है। वहीं उन्नाव में सई नदी , सहारनपुर और नोएडा में हिंडन, अयोध्या में सरयू, लखनऊ में गोमती व झांसी में बेतवा के पानी में प्रदूषण का स्तर खासा बढ़ने से और बदहाल पाया गया। हालांकि, यमुना, वरुणा,  राप्ती, घाघरा, नदियों में प्रदूषण का स्तर पूर्व की भांति ही पाया गया।

नदी विशेषज्ञ एवं अंबेडकर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर वेंकटेश दत्ता कहते हैं कि जब तक सहायक नदियों को पुनर्जीवित कर उनमें प्रवाह सुनिश्चित नहीं किया जाएगा, नदियों में प्रदूषण की समस्या कम नहीं होगी। साथ ही नदियों में शहरी नालों से पहुंच रही गंदगी भी बड़ी समस्या है। गोमती का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि आज भी शहरी नालों से सीवेज सहित घरेलू कचरा नदी की कोख में पहुंच रहा है। यही वजह है कि तमाम प्रयासों के बाद भी गोमती प्रदूषण मुक्त नहीं हो पा रही।

ऐसे बढ़ी फीकल जीवाणुओं की संख्या - जून के मुकाबले अगस्त में सीवेज/ मल जनित जीवाणुओं की संख्या कुछ इस प्रकार बढ़ी 

बिजनौर -  शून्य के मुकाबले 1300 । 

अनूप शहर - शून्य के मुकाबले 780 । 

नरोरा-  शून्य के मुकाबले 1100 । 

 बिठूर -1700 के मुकाबले 3300 । 

संगम प्रयागराज - 790 के मुकाबले 1700 ।

 वाराणसी - 500 के मुकाबले 1300 ।

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