World Parkinson Awareness Day: दवा से संभव है अंगों के कंपन पर नियंत्रण, जानिए क्या है डीप ब्रेन स्टिमुलेशन तकनीक
जब दवा काम नहीं करती तब डीप ब्रेन स्टिमुलेशन तकनीक का किया जाता उपयोग। संजय गांधी पीजीआइ की न्यूरोलाजिस्ट प्रो. रुचिका टंडन ने संस्थान के न्यूरो सर्जरी रेडियोलाजी व एनेस्थीसिया विभाग की मदद से यह तकनीक स्थापित की है।
लखनऊ, [कुमार संजय]। पार्किंसन तंत्रिका तंत्र की बीमारी है, जिसमें अंगों में कंपन शुरू हो जाता है। काफी लोगों में दवा से कंपन नियंत्रित किया जाता है, लेकिन जब दवा काम नहीं करती, तब डीप ब्रेन स्टिमुलेशन तकनीक कारगर होती है। संजय गांधी पीजीआइ की न्यूरोलाजिस्ट प्रो. रुचिका टंडन ने संस्थान के न्यूरो सर्जरी, रेडियोलाजी व एनेस्थीसिया विभाग की मदद से यह तकनीक स्थापित की है। विश्व पार्किंसन जागरूकता दिवस (11 अप्रैल) के अवसर पर उन्होंने इस तकनीक और रोग के इलाज के बारे में जानकारी दी।
रुचिका के मुताबिक देश में हर साल 10 लाख लोग इस बीमारी से पीडि़त होते हैं। पार्किंसन मस्तिष्क में डोपामाइन की कमी के कारण होता है। इससे मस्तिष्क में न्यूरान्स के बीच संचार कम हो जाता है। न्यूरान आपस में मिलकर अंगों को जरूरत के अनुसार काम करने के लिए गति देते है। संपर्क खत्म होने के कारण अंगों पर नियंत्रण खत्म या कम हो जाता है। कोरोना काल में इस बीमारी के मरीज दवा बंद न करें।
यह परेशानी, तो हो जाएं सावधान : हाथों में कंपकंपी, मांसपेशियों में जकडऩ, अनचाही हरकत, खड़े रहने में परेशानी, चलने में परेशानी, चाल में धीमा फेरबदल, तालमेल में समस्या, धीमी शारीरिक गतिविधि, मांसपेशी में अकडऩ, मांसपेशी में लयबद्ध संकुचन, या शारीरिक गतिविधियों में कठिनाई, दिमाग की काम करने की क्षमता कम हो जाना, भूलने की बीमारी, सोचने और समझने में कठिनाई, कोमल आवाज, ध्वनि पेटी में ऐंठन या बोलने में कठिनाई, चेहरे के भावों का कम होना या जबड़े में कठोरता।
व्यायाम से करें बचाव : ताजी सब्जियों का सेवन करें। ग्रीन टी पीएं। व्यायाम करें। यदि कोई व्यक्ति हर रोज एक्सरसाइज करता है, तो उसमें पार्किंसन रोग जैसी बीमारियां होने की संभावना काफी कम रहती है।
क्या होता है डीप ब्रेन स्टिमुलेशन : डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस) मस्तिष्क में असामान्य विद्युत सिग्नलिंग पैटर्न को नियंत्रित करता है। अंगों की गति नियंत्रित करने के लिए मस्तिष्क की कोशिकाएं विद्युत संकेतों का उपयोग करके अंगों के कोशिकाओं के साथ संवाद करती हैं। डीबीएस अनियमित सिग्नलिंग पैटर्न को नियमित या बाधित कर सकता है, जिससे कोशिकाएं अधिक संचार करने लगती हैं और रोग के लक्षण कम हो जाते हैं।