World Heart Day 2021: 'साइलेंट किलर' की तरह जीवन में घुसा High Blood Pressure, समय रहते हो जाएं अलर्ट
World Heart Day 2021 हाई ब्लड प्रेशर के साथ 25 प्रतिशत लोग जिंदगी जी रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि उन्हें इस बात का पता भी नहीं है। यह राजफाश केजीएमयू के विशेषज्ञों ने 20 से 60 वर्ष आयु वर्ग के 2500 मरीजों पर शोध के बाद किया।
लखनऊ, [कुमार संजय]। साइलेंट किलर यानी हाई ब्लड प्रेशर के साथ 25 प्रतिशत लोग जिंदगी जी रहे हैं। आश्चर्य की बात है कि उन्हें इसका पता भी नहीं है। इस तथ्य का राजफाश किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के विशेषज्ञों ने 20 से 60 वर्ष आयु वर्ग के 2,500 मरीजों पर शोध के बाद किया है। दांत के इलाज के लिए आए इन मरीजों का रक्तचाप (बीपी) तीन बार लिया गया। सभी रीडिंग को चार श्रेणियों में बांटा गया, जिसमें सामान्य, प्री-हाइपरटेन्सिव स्टेज (उच्च रक्त चाप से तुरंत पहले की स्थिति), स्टेज-वन और उच्च रक्तचाप का स्टेज-टू शामिल है। विशेषज्ञों ने केजीएमयू के ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग की ओपीडी में दांत के इलाज के लिए मरीजों को लोकल एनेस्थीसिया दिया तो 16.71 फीसद मरीजों की बीपी हाइपरटेंशन स्टेज-वन पर आ गई। 31 से 40 आयु वर्ग के 60.11 फीसद लोग प्री-हाइपरटेंशन के शिकार थे। स्टेज-वन बीपी के शिकार सबसे अधिक 51 से 60 आयु वर्ग के 48.02 फीसद लोग मिले।
काफी लोगों में नहीं महसूस होता लक्षण : संजय गांधी पीजीआइ के हृदय रोग विशेषज्ञ और यूपी कार्डियोलाजी सोसाइटी सोसाइटी आफ इंडिया के सचिव प्रो. सुदीप कुमार कहते हैं कि अधिकांश लोग अपने उच्च रक्तचाप से अनजान हैं, क्योंकि उनमें लक्षण नहीं होते। ऐसे में समय-समय पर बीपी की जांच कराते रहना चाहिए। ग्लोबल बर्डन आफ हाइपरटेंशन 2005 के अध्ययन में पाया गया कि 20.6 फीसद भारतीय पुरुषों और 20.9 फीसद महिलाओं को उच्च रक्तचाप था, जिसके परिणामस्वरूप स्ट्रोक के कारण 57 प्रतिशत और कोरोनरी हृदय रोग के कारण 24 प्रतिशत लोगों की असमय मौत हुई।
युवाओं को रहना होगा सचेत : संजय गांधी पीजीआइ के हृदय रोग विशेषज्ञ एवं यूपी कार्डियोलाजी सोसाइटी आफ इंडिया के अध्यक्ष प्रो. सत्येंद्र तिवारी कहते हैं कि हृदय को स्वस्थ रखने के लिए नियमित एक्सरसाइज करें। पैदल चलें। संतुलित और पौष्टिक आहार पर ध्यान दें। युवा भी सचेत रहें।
इन्होंने किया शोध : ओरल और मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग विभाग के डा. सतीश कुमार, डा. हरेराम, मेडिसिन विभाग के डा. ईशा आतम, डा. वीरेंद्र आतम, डा. सत्येंद्र कुमार सोनकर, डा. मुन्ना लाल पटेल और डा. अजय कुमार। नेशनल जर्नल आफ मैक्सिलोफेशियल सर्जरी ने इस शोध को स्वीकृत किया है।