World Contraceptive Day: कोरोना कॉल में 81 फीसद बढ़ी गर्भनिरोधक गोली की डिमांड

सीडीआरआई द्वारा विकसित गर्भनिरोधक गोली सहेली महिलाओं की पहली पसंद बनी। सीएचसी एवं पीएचसी पर छाया के नाम से मुफ्त में उपलब्ध कराई जाती है। ये डिफंक्शनल यूट्राइन ब्लीडिंग या अनियंत्रित गर्भाशय रक्तस्राव के दौरान भी बेहद फायदेमंद देखी गई है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sat, 26 Sep 2020 07:00 AM (IST) Updated:Sat, 26 Sep 2020 11:42 AM (IST)
World Contraceptive Day: कोरोना कॉल में 81 फीसद बढ़ी गर्भनिरोधक गोली की डिमांड
विश्व गर्भनिरोधक दिवस आज : सहेली महिलाओं यह सच्ची साथी साबित हो रही है।

लखनऊ, जेएनएन। कोविड महामारी के दौरान गर्भनिरोधक सहेली जो बाजार में छाया नाम से उपलब्ध है के वितरण में 81फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है। विश्व गर्भनिरोधक दिवस के एक दिन पूर्व केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआइ) के निदेशक प्रो. तापस के.कुंडू ने वैज्ञानिकों को सेंटक्रोमान जिसे सहेली नाम से राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम में शामिल किया गया है , के लिए बधाई दी। प्रोफेसर कुंडू ने कहा इस दिवस को मनाने का उद्देश्य गर्भनिरोधक के बारे में लोगों में जागरूकता लाना है।

उन्होंने बताया कि सेंट्रक्रोमान स्टेरायड-रहित मुख से लिए जाने वाला (ओरल) गर्भनिरोधक है जिसे सीडीआरआइ द्वारा तीन दशक पूर्व विकसित किया गया था। इस दवा से किसी तरीके का दुष्प्रभाव नहीं होता । खास बात यह है कि जब भी परिवार बढ़ाना हो, दवा को बंद किया जा सकता है और महिलाएं गर्भधारण कर सकती हैं। इसके सेवन से मितली, उल्टी और वजन बढ़ने जैसी दिक्कतें जो स्टेरॉयड आधारित दवाओं में आम है ,नहीं होती हैं। यह बाजार मे सहेली के रूप में उपलब्ध है एवं सीएचसी एवं पीएचसी पर छाया के नाम से मुफ्त में उपलब्ध कराई जाती है।

शोध बताते हैं कि सेंटक्रोमॉन सेंट्रल नर्वस सिस्टम (CVS) पर एस्ट्रोजन जैसा प्रभाव दिखाता है। इसमें एंटी-ऑस्टियोपोरोटिक गुण है जो महिलाओं को ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी से भी बचाते हैं। अनुसंधान से ऐसे संकेत भी मिल रहे हैं कि यह ओवरी (डिम्बग्रंथि), सिर, गर्दन, क्रोनिक माइलॉयड ल्यूकेमिया कैंसर, एथेरोस्क्लेरोसिस, लिपिड संबंधी बीमारियों के इलाज हेतु रोगनिरोधी (प्रोफायलेक्टिक) औषधि के रूप में भी उपयोगी हो सकती है। यानी एक प्रकार से यह महिलाओं के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए सच्ची सहेली है। इसके अलावा डिफंक्शनल यूट्राइन ब्लीडिंग या अनियंत्रित गर्भाशय रक्तस्राव के दौरान भी बेहद फायदेमंद देखी गई है।

सामाजिक संगठन सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीएफएआर) द्वारा आयोजित एक वेबिनार में, अतिरिक्त मिशन निदेशक, यूपी एनएचएम, हीरा लाल ने बताया कि आंकड़े बताते हैं नॉन-इन्वेजिव (सर्जरी रहित) परिवार नियोजन विधियों जैसे कि कंडोम, गोलियां, आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियों की मांग में वृद्धि देखी गई है। सहेली की डिमांड 81 फीसद तक बढ़ गई है। जाहिर है कि सहेली महिलाओं यह सच्ची साथी साबित हो रही है।

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