World Brain Tumor Day 2021: ब्रेन का हर ट्यूमर कैंसर नहीं होता, परेशानी होने पर हो जाएं सचेत
जीपीएस और अल्ट्रासाउंड से बिना दिमाग को नुकसान पहुंचाए संभव हो गई सफल सर्जरी। ट्यूमर का पता जल्दी लगे तो बढ़ जाती है इलाज की सफलता दर। विभाग के प्रो. संजय बिहारी कहते है कि न्यूरो सर्जरी की सफलता किसी एक विशेषज्ञ से संभव नहीं है।
लखनऊ, [कुमार संजय]। ब्रेन ट्यूमर का नाम सुनते कई लोग परेशान हो जाते हैं। अब ब्रेन ट्यूमर के इलाज की सफलता दर जीपीएस और अल्ट्रासाउंड जैसे तकनीक से काफी हद तक बढ़ गई है। सर्जरी की सफलता में तकनीक और मल्टी स्पेशलिटी एप्रोच कारगर साबित हो रही है। संजय गांधी पीजीआइ के न्यूरो सर्जरी विभाग के विशेषज्ञों के मुताबिक कैंसर विहीन ब्रेन ट्यूमर मेनिनजियोमा, पिट्यूटरी एडेनोमा, लो ग्रेड ग्लायोमा, स्वानोमा, एपीडर्मायड सहित अन्य ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी की सफलता से जिंदगी काफी अच्छी हो जाती है। अल्ट्रासोनिक सक्शन एस्पिरेटर तकनीक काफी कारगर साबित हो रही है। इस तकनीक के तहत बडे ब्रेन ट्यूमर को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ दिया जाता है। इससे पूरा ट्यूमर सक्शन कर निकाल लेते हैं।
सर्जरी की सफलता के पीछे काम करती है टीम
विभाग के प्रो. संजय बिहारी कहते है कि न्यूरो सर्जरी की सफलता किसी एक विशेषज्ञ से संभव नहीं है। इसके पीछे टीम भवना बहुत जरूरी है जो कि हमारे विभाग में है। प्रो. राजकुमार, डा. अवधेश जायसवाल, डा. अरुण कुमार श्रीवास्तव, डा. अनंत मेहरोत्रा, डा. कुंतल कांति दास, डा. जायस सरदारा, डा. कमलेश सिंह भैसोरा, डा. वेद प्रकाश, डा. पवन कुमार के आलावा न्यूरो ओटी सर्जरी के डा. अमित केशरी और डा. रवि शंकर टीम में हैं। यह एक पूरी यूनिट है जो हर केस की मानीटरिंग करती है। एक केस में तीन से चार सर्जन लगते हैं। रोज चार से पांच सर्जरी का लक्ष्य होता है। इनके आलावा नॄसग, पेशेंट हेल्पर, ओटी टेक्नोलाजिस्ट, सेनेटरी वर्कर की सर्जरी की सफलता में अहम भूमिका है।
परेशानी होने पर हो जाएं सचेत
लगातार सिरदर्द या देर से शुरू होने वाला सिरदर्द (50 साल की आयु के बाद), उल्टी आना, अचानक आंखों में धुंधलापन आना, सिरदर्द के लक्षणों का बार बार बदलना, डबल विजन (दोहरी दृष्टि), शरीर के किसी भी भाग में कमजोरी महसूस होना और खड़े होने और चलने के दौरान असंतुलन का होना, कुछ ऐसे लक्षण हैं जिनके दिखते ही आपको किसी डाक्टर से परामर्श लेने की आवश्यकता है।