World Contraceptive Day: घर बनाने ही नहीं, परिवार को नियंत्रित करने में भी पुरुषों से आगे हैं महिलाएं
गर्भ निरोधक साधनों को अपनाने वालों की तादाद हर साल बढ़ रही थी लेकिन 2020-21 सत्र की शुरुआत ही कोविड के दौरान हुई जिससे इन आंकड़ों का नीचे आना स्वाभाविक था। मगर अब स्थिति को सामान्य बनाने की कोशिश की जा रही है।
लखनऊ, (कुसुम भारती)। अनचाहे गर्भ से बचाव करना हो या परिवार का नियोजन हर जगह सिर्फ एक महिला ही आगे आती है। पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं ने सबसे ज्यादा नसबंदी कराई है। ऐसा आंकड़े कहते हैं। यही वजह है कि अनचाहे गर्भ के जोखिम से महिलाओं को उबारने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और स्वास्थ्य विभाग के जरिए परिवार कल्याण कार्यक्रमों के तहत जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। महिलाओं को इन्हीं जोखिमों से बचाने के लिए हर साल 26 सितंबर को विश्व गर्भनिरोधक दिवस मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य गर्भ निरोधक साधनों के प्रति जागरूकता बढ़ाना व युवा दंपति को यौन व प्रजनन स्वास्थ्य के साधनों की जानकारी देकर परिवार के प्रति निर्णय लेने में सक्षम बनाना है।
अंतरा अपना रहीं
झलकारीबाई में फैमिली प्लानिंग काउंसलर डॉ. संगीता सिंह के मुताबिक स्थाई और अस्थाई गर्भनिरोधक साधनों की मौजूदगी के बाद भी अनचाहे गर्भधारण की स्थिति किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है क्योंकि इसके चलते कई महिलाएं असुरक्षित गर्भपात का रास्ता चुनती हैं जो उनके लिए बहुत ही जोखिम भरा होता है। वहीं, जल्दी-जल्दी गर्भधारण भी मां और बच्चे के स्वास्थ्य के लिए सही नहीं होता है। हालांकि, महिलाएं अब जागरूक हो रही हैं। वैसे महिलाएं अन्य साधनों की अपेक्षा अंतरा को अपना रहीं हैं।
महिलाएं आ रहीं आगे
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तर प्रदेश के अपर मिशन निदेशक डॉ. हीरा लाल कहते हैं, गर्भ निरोधक साधनों को अपनाने में जहां महिलाएं आगे आ रहीं हैं, वहीं सबसे ज्यादा नसबंदी भी महिलाएं ही करा रही हैं। इससे स्वास्थ्य को बेहतर बनाने सहित मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को भी कम करने में मदद मिल रही है।
13 जिलों में अक्टूबर भर चलेगा विशेष अभियान
प्रदेश के 13 जिलों में एक अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक 'दो गज की दूरी, मास्क और परिवार नियोजन है जरूरी' अभियान चलाया जाएगा।
क्या कहते हैं आंकड़े
पिछले तीन साल के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो गर्भ निरोधक साधनों को अपनाने वालों की तादाद हर साल बढ़ रही थी लेकिन 2020-21 सत्र की शुरुआत ही कोविड के दौरान हुई, जिससे इन आंकड़ों का नीचे आना स्वाभाविक था। मगर अब स्थिति को सामान्य बनाने की कोशिश की जा रही है। पुरुष नसबंदी वर्ष 2017-18 में 3884, वर्ष 2018-19 में 3914 और 2019-20 में 5773 हुई।
महिला नसबंदी
वर्ष 2017-18 में 258182, वर्ष 2018-19 में 281955 और 2019-20 में 295650 हुई। इसी तरह वर्ष 2017-18 में 300035, वर्ष 2018-19 में 305250 और 2019-20 में 358764 महिलाओं ने पीपीआइयूसीडी की सेवा ली। वर्ष 2017-18 में 23217, वर्ष 2018-19 में 161365 और 2019-20 में 344532 महिलाओं ने अंतरा इंजेक्शन को चुना।