लखीमपुर में दहशत में मर गईं 131 भेड़ें, पांच भेड़ों को भेड़ियों का शिकार होते देख लगा सदमा
इलाके के कलुआपुर सिसैया में छत्रपाल पुत्र शीशपाल की लगभग दो सौ भेड़ें घर के बाहर बने बाड़े में बंधी थीं। भेडिय़ों की दहशत में 131 भेड़ों की मौत हो गई। लोग जब पहुंंचे तो देखा कि पांच भेड़ों के अधखाए शव मिले।
लखीमपुर, जेएनएन। फूलबेहड़ के कलुआपुर सिसैया में रात के समय अचानक बाड़े में घुसे भेडिय़ों ने पांच भेड़ व एक बकरी को मार डाला। जबकि भेडिय़ों की दहशत में 131 भेड़ों की मौत हो गई। लोग जब पहुंंचे तो देखा कि पांच भेड़ों के अधखाए शव मिले। इलाके के कलुआपुर सिसैया में छत्रपाल पुत्र शीशपाल की लगभग दो सौ भेड़ें घर के बाहर बने बाड़े में बंधी थीं। बताया जता है कि रात में तीन भेडि़ए अंदर घुस गए और भेड़ों पर हमला कर दिया। भेडिय़ों ने भेड़ों व बकरी को मारना शुरू किया। इस बीच भेड़ों की आवाज सुनकर छत्रपाल जग गया। उसके शोर मचाया तो गांव के तमाम लोग आ गए।
देखा कि तीन भेडिय़ा बाड़े के अंदर भेड़ों को खा रहे थे। लोगो ने शोर मचाकर किसी तरह भेडिय़ों को भगाया। सुबह जब गिनती की तो कुल 131 भेड़ें मर चुकी थी। छत्रपाल की सूचना पर पशुचिकित्साधिकारी डॉ. मनवर बेग, लेखपाल अनुपम रस्तोगी मौके पर पंहुचे। मृत भेड़ों का डॉ. राकेश कुमार, जितेंद्र मणि त्रिपाठी ने मिलकर पोस्टमार्टम किया। इसकी सूचना शारदानगर रेंजर एनके राय को भी दी गई।
लगातार बढ़ रहे गिद्ध, जिले में मिले 299
तराई में गिद्धों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ये हम नहीं कह रहे, बल्कि वन विभाग की नई गणना रिपोर्ट में सामने आया है। सबसे ज्यादा 195 गिद्ध बफरजोन में पाए गए हैं। डीडी डॉ. अनिल पटेल के मुताबिक, इस बार गिद्धों की गणना का जिम्मा राज्य जैव विविधता बोर्ड ने लखनऊ विश्वविद्यालय को सौंपा था। शुक्रवार को हुई गणना कार्य वन विभाग ने किया, लेकिन विश्वविद्यालय से भी ऑब्जर्वर आए हुए थे, जो गणना की मॉनीटङ्क्षरग कर रहे थे। पूरे दुधवा टाइगर रिजर्व में गिद्धों की गणना हुई तो इसमें सबसे अधिक धौरहरा रेंज में 102 गिद्ध मिले हैं। इसके अलावा मजगई रेंज में 75, संपूर्णानगर में 10 और साउथ निघासन रेंज में आठ गिद्ध पाए गए हैं। हैरानी की बात ये है कि प्राकृतिक रूप से समृद्ध बफरजोन के भीरा, मैलानी व पलिया रेंज में एक भी गिद्ध नहीं चिन्हित हुए हैं। वहीं डीडी मनोज सोनकर ने बताया कि दुधवा क्षेत्र में गणना के दौरान 104 गिद्ध चिन्हित किए गए हैं। जबकि दक्षिण खीरी वन प्रभाग में एक भी गिद्ध का न मिलना चिंंता की बात है।