ममता बनर्जी के मंत्रिमंडल में UP निवासी पूर्व क्रिकेटर, पहले लक्ष्मी रतन शुक्ला अब मनोज तिवारी बने मंत्री

Jagran Special उत्तर प्रदेश के लक्ष्मी रतन शुक्ला पहले खेल एवं युवा कल्याण मंत्री थे तो अब मनोज तिवारी ने मंत्री पद की शपथ ली है। लक्ष्मी रतन शुक्ला उन्नाव के शुक्लागंज के मूल निवासी हैं तो नवनिर्वाचित विधायक और मंत्री मनोज तिवारी का पैतृक निवास प्रतापगढ़ में है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Mon, 10 May 2021 04:56 PM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 10:48 AM (IST)
ममता बनर्जी के मंत्रिमंडल में UP निवासी पूर्व क्रिकेटर, पहले लक्ष्मी रतन शुक्ला अब मनोज तिवारी बने मंत्री
ममता बनर्जी के मंत्रिमंडल में उत्तर प्रदेश का दबदबा

लखनऊ [धर्मेन्द्र पाण्डेय]। पश्चिम बंगाल के ममता बनर्जी के मंत्रिमंडल में  उत्तर प्रदेश का जलवा भी पहले ही जैसा कायम है। मूलत: उत्तर प्रदेश के लक्ष्मी रतन शुक्ला पहले खेल एवं युवा कल्याण मंत्री थे तो अब मनोज तिवारी ने मंत्री पद की शपथ ली है। लक्ष्मी रतन शुक्ला उन्नाव के शुक्लागंज के मूल निवासी हैं तो नवनिर्वाचित विधायक और मंत्री मनोज तिवारी का पैतृक निवास प्रतापगढ़ में है। यह भी इत्तेफाक है कि दोनों पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर हैं और उत्तर प्रदेश के खिलाफ 2005 में रणजी ट्राफी के फाइनल में भी लखनऊ में मैच खेले थे।

उत्तर प्रदेश के निवासी पूर्व इंटरनेशल क्रिकेटरों का पश्चिम बंगाल की राजनीति से कनेक्शन काफी प्रगाढ़ होता जा रहा है। पार्टी की मुखिया ममता बनर्जी के इससे पहले के मंत्रिमंडल में जहां उन्नाव के निवासी लक्ष्मी रतन शुक्ला मंत्री बने थे तो इस बार यह अवसर प्रतापगढ़ के निवासी मनोज तिवारी को मिला है। रणजी ट्राफी के करीब 87 वर्ष के इतिहास में उत्तर प्रदेश ने सिर्फ एक बार 2005 में खिताब जीता है। लखनऊ में खेले गए फाइनल मैच में उत्तर प्रदेश ने पश्चिम बंगाल को हराया था, जिसमें मनोज तिवारी और लक्ष्मी रतन शुक्ला विपक्षी टीम में थे। इस मैच में बंगाल के कप्तान दीपदास गुप्ता थे तो उत्तर प्रदेश की कमान मोहम्मद कैफ के हाथ में थी।

उत्तर प्रदेश, इंटरनेशनल क्रिकेट और बंगाल की राजनीति का कनेक्शन: उत्तर प्रदेश, इंटरनेशनल क्रिकेट और बंगाल की राजनीति का कनेक्शन काफी पुराना है। या तो यूं कहें कि ममता बनर्जी की सरकार में उत्तर प्रदेश निवासी पूर्व क्रिकेटर मंत्री जरूर बनते हैं। पश्चिम बंगाल से क्रिकेट खेलने के बाद देश का प्रतिनिधित्व करने वाले उत्तर प्रदेश के निवासी लक्ष्मी रतन शुक्ला के बाद मनोज तिवारी का सितारा चमका है।

मनोज तिवारी ने शिबपुर सीट पर भाजपा के उम्मीदवार रथिन चक्रवर्ती को हराया: मनोज तिवारी ने पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के कुछ समय पहले ही तृणमूल कांग्रेस का दामन थामा था। पार्टी ने उनको टिकट दिया और उन्होंने शिबपुर सीट पर हावड़ा के पूर्व मेयर और भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार रथिन चक्रवर्ती को हराया। उनके इस प्रदर्शन से प्रभावित होने ममता बनर्जी ने राज्य मंत्री बनाया है। राज्यपाल जगदीप धनखड़ मनोज तिवारी को राजभवन में मंत्री पद की शपथ दिलाई। मनोज तिवारी उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के मंगरौरा ब्लॉक के सकरा गांव के निवासी हैं। मनोज तिवारी का बचपन हावड़ा की गलियों में बीता है। उनके दादा व्यापार करने कोलकाता गए थे, जहां पर मनोज तिवारी के पिता ने भी उनका हाथ बंटाया। मनोज तिवारी ने करियर के रूप में क्रिकेट को चुना था और महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट भी खेला था। वह पहला चुनाव लड़े और ममता बनर्जी ने युवा नेता को मंत्री बनाया है। मंगरौरा ब्लॉक के सकरा निवासी मनोज तिवारी अपनी पत्नी, बच्चे, पिता श्यामशंकर तिवारी, मां बीना तिवारी, छोटे भाई राजकुमार व महेश के साथ कोलकाता में ही रहते हैं। मनोज तिवारी ने पहला ही चुनाव 32339 वोटों से जीता है।

क्रिकेट की दनिया में कमाया था नाम: मनोज तिवारी ने 2006-07 के रणजी ट्राफी में 99.50 की औसत से शानदार 796 रन बनाए और सभी को अपनी बल्लेबाजी से प्रभावित किया था। जिसकी वजह से बांग्लादेश के दौरे के लिए उनको भारतीय टीम में जगह दी गयी थी। वह आइपीएल के दो सत्र में दिल्ली डेयरडेविल्स की ओर से खेले। इसके बाद 2011 में उनको कोलकाता नाइट राइडर्स ने बुलाया। पांच वर्ष केकेआर के लिए खेलने के बाद 2017 में राइजिंग पुणे सुपरजायंट ने उनको अपनी टीम में जगह मिली थी।

उन्नाव के लक्ष्मी रतन शुक्ला भी थे ममता सरकार में खेल मंत्री: ममता बनर्जी की सरकार में उन्नाव के मूल निवासी लक्ष्मी रतन शुक्ला खेल मंत्री बने थे। लक्ष्मी रतन शुक्ला ने पिछले विधानसभा चुनाव (2016) से पहले तृणमूल कांग्रेस में शामिल होकर अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी। ममता बनर्जी ने उनको टिकट दिया और हावड़ा उत्तर से विधायक चुने गए। इसके बाद ममता सरकार में उन्हेंं खेल और युवा मामलों का मंत्री बनाया गया था।

लक्ष्मी रतन शुक्ला के दादा तथा नाना का गांव भी उन्नाव में है। इसके साथ ही उन्नाव के सिविल लाइंस में बाला जी के मंदिर के सामने भी इनकी मां का घर है। लक्ष्मी रतन शुक्ला के दादा का घर उन्नाव के सुरौली गांव में है जबकि नाना का घर बरौड़ा में है। उन्नाव में लक्ष्मी रतन शुक्ला के पड़दादा कोलकाता में कारोबार के सिलसिले में गए फिर वहीं के होकर रह गए। बीते वर्ष जनवरी में लक्ष्मी रतन शुक्ला अपने गांव और थे। वह कानपुर में अपने रिश्तेदारों से भी मिले थे। इससे पहले टीम इंडिया से खेल चुके ऑलराउंडर लक्ष्मी रतन शुक्ला ने बीती पांच जनवरी को ममता बनर्जी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया था और कयास लगाए जा रहे थे कि वह भी भारतीय जनता पार्टी में शामिल होंगे, लेकिन वह आइपीएल की कमेंट्री टीम का हिस्सा बने। उन्होंने कहा आईपीएल 2021 कमेंट्री से हुई कमाई पश्चिम बंगाल मुख्यमंत्री राहत कोष में डोनेट की। शुक्ला ने देश के लिए तीन वनडे और 137 प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं। वह आईपीएल में भी कोलकाता नाइट राइडर्स, दिल्ली डेयरडेविल्स के बाद सनराइजर्स हैदराबाद का हिस्सा रहे हैं।

बलिया के हरेराम सिंह भी बने विधायक : उत्तर प्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले जिले बलिया के हरेराम सिंह पश्चिम बंगाल के जामुडिय़ा विधायक निर्वाचित हुए हैं। मनियर कस्बा के उत्तर टोला निवासी हरेराम सिंह ने बंगाल चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर जामुडिय़ा सीट से विजय प्राप्त किया है। उन्होंने भाजपा के तापस राय व माकपा के आइशी घोस को हराकर इस सीट पर कब्जा जमाया है।

इस सीट पर वामदलों का कब्जा था। 1973 में वह बंगाल में कोइलरी में नौकरी करने गए थे। 1983 से कोइलरी के मजदूरों के हक के लिए लड़ते रहे। इसके बाद 1998 में मजदूर संघ के महामंत्री बनाए गए। वह फिर सक्रिय राजनीति में आ गए। 2020 में पश्चिम बर्दवान के टीएमसी के कोआर्डिनेटर बनाए गए। 2020 के विधानसभा चुनाव में पश्चिम बर्दवान जिले की जामुडिय़ा विधानसभा से पार्टी का टिकट मिला। यहां उन्होंने 44 वर्ष से वामदल के कब्जे वाली सीट पर अपना परचम लहरा दिया।  

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