उत्तर प्रदेश में बारिश से नदियों में बढ़ा जलस्तर, पूर्वांचल के 16 जिलों को बाढ़ को लेकर हाई अलर्ट जारी

नेपाल में भारी वर्षा और यूपी के विभिन्न जिलों में हो रही मध्यम से तेज बारिश को देखते हुए पूर्वांचल के 16 बाढ़ प्रभावित जिलों को हाई अलर्ट पर जारी किया गया है। जिलाधिकारियों को बाढ़ की स्थिति की लगातार निगरानी और प्रबंधन के लिए एडवायजरी जारी की गई है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 10:32 PM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 09:01 AM (IST)
उत्तर प्रदेश में बारिश से नदियों में बढ़ा जलस्तर, पूर्वांचल के 16 जिलों को बाढ़ को लेकर हाई अलर्ट जारी
नदियों का जलस्तर बढ़ने के बाद पूर्वांचल के 16 जिलों में बाढ़ के लिए हाई अलर्ट जारी किया गया है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। नेपाल में भारी वर्षा और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में हो रही मध्यम से तेज बारिश को देखते हुए राहत आयुक्त रणवीर प्रसाद ने पूर्वांचल के 16 बाढ़ प्रभावित जिलों को हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश जारी किया है। इन जिलों के जिलाधिकारियों को बाढ़ की स्थिति की लगातार निगरानी और प्रबंधन के लिए एडवायजरी भी जारी की गई है।

नेपाल से आने वाली नदियों के निचले कैचमेंट क्षेत्र में आने वाले पूर्वांचल के इन जिलों में लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, गोरखपुर, गोंडा, बस्ती, संत कबीर नगर, बलिया, बाराबंकी, सीतापुर और मऊ शामिल हैं। हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर से 17 जून को प्राप्त उपग्रहीय चित्रों के मुताबिक महाराजगंज जिले में 28,581 हेक्टेयर और सिद्धार्थनगर में 2674 हेक्टेयर क्षेत्र पानी में डूबे हैं।

सिंचाई विभाग की दैनिक बुलेटिन के आधार पर वर्तमान में रोहिणी नदी खतरे के जलस्तर से 0.9 मीटर ऊपर बह रही है। वहीं शारदा, घाघरा और राप्ती नदियां भी खतरे के निशान के करीब पहुंच रही हैं। लगातार हो रही बारिश से इन नदियों में जलस्तर बढ़ने की संभावना है। इसलिए इन नदियों के क्षेत्र में आने वाले सभी जिलों को हाई अलर्ट पर रहने के साथ आपदा कंट्रोल रूम के माध्यम से स्थिति की लगातार निगरानी करने का निर्देश दिया गया है, ताकि बाढ़ के हालात पैदा होने पर तत्काल स्थिति को नियंत्रित व प्रबंधन किया जा सके।

राहत आयुक्त रणवीर प्रसाद ने महराजगंज और सिद्धार्थनगर जिलों के बाढग़्रस्त क्षेत्रों और वहां किये जा रहे बाढ़ प्रबंधन के काम की रिपोर्ट भी तलब की है। अन्य जिलों से भी बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों और उनमें राहत कार्यों की विस्तृत रिपोर्ट तय प्रारूप पर रोज भेजने के लिए कहा गया है। इन जिलों से कहा गया है कि जलमग्न क्षेत्रों के लोगों को बचाने और उनके लिए शरणालय व भोजन आदि का इंतजाम किया जाए। बाढ़ की रिपोर्ट आनलाइन फीड करने के साथ राहत आयुक्त कार्यालय के वाट्सएप ग्रुप पर भी इसकी रियल टाइम सूचना फोटोग्राफ के साथ भेजने के लिए कहा गया है। बाढ़ प्रबंधन के लिए जिलों को अग्रिम धनराशि भेजी जा चुकी है।

पहाड़ों पर हो रही बारिश से अवध की शारदा, घाघरा, राप्ती और सरयू लाल निशान के करीब पहुंचने को बेताब हैं। बढ़ते जलस्तर ने ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। तटवर्ती गांवों के लोग दहशत में हैं। लखीमपुर में शारदा नदी खतरे के निशान से 15 सेमी नीचे बह रही है। सीतापुर में बारिश व बैराजों से छोड़ा गया पानी रेउसा ब्लाक के बाढ़ प्रभावित गांवों के ग्रामीणों की मुश्किल बढ़ा रहा है। शारदा व घाघरा नदियों के बढ़ते जलस्तर ने फौजदारपुरवा, कोनीपुरवा, परमेश्वरपुरवा, जटपुरवा आदि गांवों के निवासियों की नींद गायब कर दी है। शुक्रवार को भी नदियों के पानी मे बढ़ोतरी दर्ज की गई। नदी का पानी गांव फौजदार पुरवा व कोनीपुरवा के समीप पहुंच गया है। पानी कम न हुआ तो दो दिन में घाघरा का पानी गांव में घुस जाएगा।

बहराइच में घाघरा का जलस्तर स्थिर है। एल्गिन ब्रिज पर घाघरा खतरे के निशान से 44 सेंटीमीटर नीचे बह रही हैं। श्रावस्ती में 18 गांव बाढ़ के पानी से घिरे हैं। नेपाल के पहाड़ों पर बारिश थमने से राप्ती नदी में पानी का आना कम हुआ है। इससे नदी का जलस्तर भी तेजी से घटा है। राप्ती बैराज पर नदी खतरे के निशान से 15 सेंटीमीटर नीचे पहुंच गई है।

बलरामपुर में राप्ती लाल निशान के पास पहुंचने को बेताब है। जलस्तर बढऩे से तटवर्ती गांव के लोगों में बाढ़ की आशंका सताने लगी है। पहाड़ी नालों में उफान आ गया है। गौरा चौराहा-तुलसीपुर मार्ग पर दतरंगवा, भुसैलवा व सिंघवापुर डिप पर पानी का बहाव तेज होने से आवागमन प्रभावित है। गोंडा, बाराबंकी में भी घाघरा खतरे के निशान की ओर बढ़ रही है। अयोध्या में सरयू के जलस्तर लाल निशान से अभी भी 66 सेंटीमीटर नीचे है। सुलतानपुर में गोमती का जलस्तर स्थिर है।

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