Water Conservation: सीएम योगी आदित्यनाथ बोले-ग्राउंड वॉटर का उचित संरक्षण व नियोजन आवश्यक

Water Conservation in UP सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गंगा नदी को लेकर अभियान का बड़ा असर हो गया। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कानपुर में सीसामऊ नाला का सीवर गंगा नदी में गिरने से रोका गया। जिससे गंगा की निर्मलता में बढ़ोतरी हुई।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Sat, 28 Nov 2020 12:39 PM (IST) Updated:Sat, 28 Nov 2020 01:31 PM (IST)
Water Conservation: सीएम योगी आदित्यनाथ बोले-ग्राउंड वॉटर का उचित संरक्षण व नियोजन आवश्यक
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कानपुर में सीसामऊ नाला का सीवर गंगा नदी में गिरने से रोका गया।

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में नदियों के जल को अविरल करने के प्रति बेहद गंभीर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अब ग्राउंड वॉटर के उचित संरक्षण के साथ नियोजन को भी बेहद जरूरी बताया है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में जल सरंक्षण पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित किया।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गंगा नदी को लेकर अभियान का बड़ा असर हो गया है। उन्होंने नमामि गंगे का उदाहरण दिया। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कानपुर में सीसामऊ नाला का सीवर गंगा नदी में गिरने से रोका गया। जिससे गंगा की निर्मलता में काफी बढ़ोतरी हुई है। प्रयागराज कुंभ में भी इसका बड़ा असर देखने को मिला। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कानपुर के सीसामऊ नाले के बारे में तो आप जानते ही हैं, जहां पर 14 करोड़ लीटर सीवर प्रतिदिन गिरता था। बीते वर्ष जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नमामि गंगे की राष्ट्रीय परिषद की बैठक कानपुर में ली। उस समय स्वयं हम लोगों ने नाले के मुहाने पर खड़े होकर तस्वीर लेकर सबके सामने यह प्रदर्शीत किया था कि गंगा नदी में एक भी बूंद सीवर का पानी नहीं गिरेगा। यह बात एक नदी संस्कृति की अविरलता और निर्मलता के प्रति केंद्र तथा राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को प्रदर्शीत करती है।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि लखनऊ में गोमती नदी अपने मुहाने पर सूख चुकी थी। गोमती नदी में लगभग 36 किलोमीटर तक का कार्य मनरेगा के अंतर्गत एवं शासन की अन्य योजनाओं के माध्यम से किया गया, इन कार्यों के चलते ही आज गोमती नदी की अविरल धारा प्रवाहित हो रही है। उन्होंने कहा कि पिछले छह वर्ष में जिस प्रकार के कार्यक्रम प्रारंभ हुए, उसमें सबसे पहला कार्यक्रम नमामि गंगे परियोजना का है, जिसमें देश की पवित्र नदियों की अविरल धारा और निर्मलता को बनाए रखने के लिए एक अभियान चलाया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हम जल की बात करते हैं, तब हमें इसके दोनों रूपों को ध्यान में रखना होगा। पहला ग्राउंड वॉटर, जिसका उचित संरक्षण व नियोजन आवश्यक है। दूसरा सरफेस वॉटर, जिसके लिए हमें अपनी पवित्र नदियों, ताल-तालाबों की स्वच्छता को बनाए रखना है। प्रदेश के अंदर वॉटर रिचार्जिंग के अनेक मॉडल खड़े किए जा रहे हैं। ग्राउंड वॉटर खत्म होने पर कोई भी हैंडपंप खराब हो जाता है। वाराणसी मॉडल में खराब हैंडपंप का ऊपरी हिस्सा निकालकर उसका उपयोग वॉटर रिचार्जिंग के लिए किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वाराणसी मंडल ने प्लास्टिक का विकल्प देना प्रारम्भ कर दिया है। प्लास्टिक बैन होने से पर्यावरण की रक्षा हुई है। मिट्टी के बर्तन बनने से तालाब भी साफ-सुथरे हुए हैं। इस तरह से जल संरक्षण का एक मजबूत प्रयास हुआ है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश के अंदर वॉटर रिचाॄजग के अनेक मॉडल खड़े किए जा रहे हैं। ग्राउंड वॉटर खत्म होने पर कोई भी हैंडपंप खराब हो जाता है। वाराणसी मॉडल में खराब हैंडपंप का ऊपरी हिस्सा निकालकर उसका उपयोग वॉटर रिचाॄजग के लिए किया जा रहा है। यहां पर रेन वॉटर हार्वेस्टिंग का एक बेहतरीन मॉडल चित्रकूट में खड़ा किया गया है। चित्रकूट में काफी सरकारी विद्यालयों और अन्य सरकारी भवनों की छतों से बारिश का पानी इकट्ठा कर उससे ग्राउंड वॉटर को रिचार्ज किया जा रहा है। यह बारिश के पानी का सबसे अच्छा सदुपयोग है।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सबसे अधिक समृद्धशाली है, क्योंकि यहां भूजल सबसे अधिक है। यहां सरफेस वॉटर भी प्रचुर मात्रा में है। उत्तर प्रदेश दुनिया का सबसे अधिक सौभाग्यशाली और समृद्धशाली क्षेत्र है, क्योंकि यहां मीठे जल की भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बुंदेलखंड में जनवरी से ही पेयजल संकट खड़ा हो जाता था, वहां टैंकर से पानी पहुंचाया जाता था। पानी लेने के लिए मारामारी होती थी। बीते साढ़े तीन वर्षों में पेयजल संकट दूर करने के लिए बड़े कदम उठाए गए हैं, अब तो जल्द वहां पेयजल संकट खत्म हो जाएगा। बुंदेलखंड को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में 15,500 करोड़ रुपए की हर घर नल योजना शुरू की गई। इसके साथ ही जलजीवन मिशन के तहत सोनभद्र और मिर्जापुर में 5,500 करोड़ रुपए की लागत से 41 लाख की आबादी तक पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा।

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