लखनऊ : पेट दर्द के इलाज के लिए 48 घंटे का इंतजार, कोरोना जांच के इंतजार में मरीज परेशान
लखनऊ के सरकार अस्पताल खुल गए हैं। हर एक ही ओपीडी में मरीजों की तादाद बढ़ रही है। बावजूद सामान्य बीमारियों के इलाज में संकट है। यहां कोरोना जांच की चक्कर में पेट दर्द तक का इलाज भी 48 घंटे बाद मिल रहा है।
लखनऊ [संदीप पांडेय]। केस-वन : रायबरेली निवासी संतोष कुमार के 16 वर्षीय भतीजे का पेट फूल गया है। उसे दर्द भी रहता है। मंगलवार को मरीज को सिविल अस्पताल की मेडिसिन ओपीडी में दिखाया गया। डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड लिखा। मगर, कोरोना टेस्ट के चक्कर में इलाज फंस गया। यहां से उसका सैंपल केजीएमयू भेजा गया। इसकी रिपोर्ट 48 घंटे बाद आने की बात कही गई।
केस-टू- : गोलागंज निवासी फातिमा की 22 वर्षीय बेटी काे तीन दिन से अचानक पेट दर्द हो रहा है। मंगलवार को बलरामपुर अस्पताल की ओपीडी में दिखाया। डॉक्टर ने किडनी में पथरी की आशंका जताई। मरीज को अल्ट्रासाउंड लिख दिया। मगर, अस्पताल में तुंरत जांच नहीं हो सकी। मरीज को कोरोना टेस्ट रिपोर्ट लेकर अगले दिन बुलाया गया। लिहाजा, दर्द निवारक दवा देकर टरका दिया।
शहर के सरकार अस्पताल खुल गए हैं। हर एक ही ओपीडी में मरीजों की तादाद बढ़ रही है। मगर, लॉकडाउन के पहले से अब मरीजों की संख्या काफी कम है। बावजूद, सामान्य बीमारियों के इलाज में संकट है। यहां कोरोना जांच की चक्कर में पेट दर्द तक का इलाज भी 48 घंटे बाद मिल रहा है।
राजधानी के चिकित्सा संस्थानों-अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था बेपटरी है। केजीएमयू, लोहिया संस्थान में जहां कोरोना जांच के चक्कर में गंभीर मरीजों का इलाज घंटों फंसा रहता है। यहां होल्डिंग एरिया में भर्ती मरीजों की रिपोर्ट 24-28 घंटे बाद मिल रही है। साथ ही तीमारदारों की कोविड जांच भी भर्ती में अड़ंगा बन रही है। वहीं अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों को सामान्य इलाज में भी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि बलरामपुर, सिविल, लोहिया अस्पताल की ओपीडी में पेट रोग के इलाज में आफत है। यहां बीमारी की पड़ताल के लिए लिखा गया ओपीडी में अल्ट्रासाउंड दो से तीन दिन में हो रहा है। ऐसे में मरीज की समय पर किडनी, लिवर बीमारी की सटीक पहचान होने में भी देरी हो रही है। ऐसा ही हाल सीटी स्कैन जांच का भी है। दूर-दराज से शहर इलाज कराने आए मरीज अधूरा इलाज कर लौट रहे हैं।
अस्पतालों में 50 फीसद घटी जांचें
बलरामपुर : बलरामपुर अस्पताल में लॉकडाउन से पहले 60 से 70 अल्ट्रासाउंड होते थे। वहीं सीटी स्कैन 15 से 20 मरीजों के किए जाते थे। वहीं अब रोजाना अल्ट्रासाउंड सिर्फ 30 से 35 हो रहे हैं। वहीं सीटी स्कैन भी 15 से 20 हीे हो रही हैं।
सिविल अस्पताल : सिविल अस्पताल में लॉकडाउन से पहले राेज 20 से 30 अल्ट्रासाउंड व 15-18 सीटी स्कैन होती थीं। वहीं अब 10 से 12 अल्ट्रासाउंड व आठ से दस सीटी स्कैन हो रही हैं।
लोहिया अस्पताल : लाेहिया हॉस्पिटल ब्लॉक में लॉकडाउन से पहले 80 से 100 अल्ट्रासाउंड हो रहे थे। वहीं 25 से 30 सीटी स्कैन होते थे। वहीं अब प्रतिदिन 30 से 35 अल्ट्रासाउंड व 10 से 12 सीटी स्कैन हो रही हैं।