UP में अब निर्यात को मिलेगी नई रफ्तार, निर्यातक ग्रीन कार्ड के जरिये बेरोकटोक भेज सकेंगे कंसाइन्मेंट

मौजूदा 1.20 लाख करोड़ रुपये के निर्यात को तीन वर्ष में ढाई गुना बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार निर्यातकों के लिए सुविधाओं का पिटारा खोलने जा रही है। अन्य सुविधाओं के अलावा निर्यातकों को सरकार ग्रीन कार्ड भी देगी।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Fri, 30 Oct 2020 01:22 AM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 07:46 AM (IST)
UP में अब निर्यात को मिलेगी नई रफ्तार, निर्यातक ग्रीन कार्ड के जरिये बेरोकटोक भेज सकेंगे कंसाइन्मेंट
निर्यातक अपने माल का बेरोकटोक तेजी से निर्यात कर सकें, इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार उन्हें ग्रीन कार्ड देगी।

लखनऊ [अजय जायसवाल]। निर्यातक अपने माल का बेरोकटोक तेजी से निर्यात कर सकें, इसके लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार उन्हें ग्रीन कार्ड देगी। ग्रीनकार्ड धारकों के कंसाइन्मेंट का निर्बाध परिवहन संभव होगा। उनके प्रस्तावों का जहां त्वरित निस्तारण होगा, वहीं कार्डधारकों की शिकायतों का तेजी से निराकरण करने के लिए अलग से विशेष शिकायत निवारण प्रकोष्ठ होंगे।

मौजूदा 1.20 लाख करोड़ रुपये के निर्यात को तीन वर्ष में ढाई गुना बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार निर्यातकों के लिए सुविधाओं का पिटारा खोलने जा रही है। अन्य सुविधाओं के अलावा निर्यातकों को सरकार ग्रीन कार्ड भी देगी। ग्रीन कार्ड धारकों के मालवाहक वाहनों का चेकपोस्ट पर न्यूनतम निरीक्षण होगा और उन्हें अनावश्यक रूप से रोका भी नहीं जाएगा। बिना अवरोध उन्हें मांग पर फार्म उपलब्ध कराया जाएगा।

उनके लिए विभिन्न विभागों से लाइसेंस, अनुमति, नवीनीकरण आदि के लिए एकल खिड़की प्रणाली होगी। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम तथा निर्यात प्रोत्साहन विभाग के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने बताया कि ग्रीन कार्डधारक निर्यातकों के प्रस्तावों का सभी विभागों में तेजी से निस्तारण होने के साथ ही उनकी किसी भी विभाग से संबंधित शिकायत का विशेष शिकायत निवारण प्रकोष्ठ के माध्यम से त्वरित निवारण सुनिश्चित किया जाएगा।

ग्रीन चैनल्स की सुविधा वालों को ही ग्रीनकार्ड: क्लियरेंस की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए अच्छा रिकार्ड रखने वाले निर्यातकों को ही ग्रीन कार्ड दिए जाएंगे। सीमा शुल्क विभाग से ग्रीन चैनल्स की सुविधा हासिल करने वालों को राज्य सरकार ग्रीन कार्ड देगी। यहीं नहीं ग्रीन कार्ड देने में सरकार यह भी देखेगी कि निर्यातक का पिछले तीन वर्षों में औसत वार्षिक निर्यात टर्नओवर एक करोड़ रुपये या उससे अधिक हो। संबंधित इकाइयों पर छह माह से अधिक का कोई कर्ज या मुकदमा विचाराधीन न हो। कर चोरी या फ्रॉड के मामले में कभी डिफाल्टर न हो। स्व निर्धारण द्वारा कर की समय से अदायगी और पीएफ धनराशि जमा करने में तत्परता दिखाने वाले ही ग्रीन कार्ड के लिए पात्र होंगे।

खासतौर से 10 देशों में होता है निर्यात: उत्तर प्रदेश से खासतौर से दस प्रमुख देशों में निर्यात किया जाता है। इनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, वियतनाम, यूनाईटेड किंगडम, नेपाल, जर्मनी, चाइना, स्पेन, फ्रांस तथा मलेशिया प्रमुख हैं। पड़ोसी देश नेपाल को पिछले वर्ष 4014 करोड़ रुपये का निर्यात किया गया था। देश के कुल हस्तशिल्प निर्यात में लगभग 45 फीसद, प्रोसेस्ड मीट में 41, कालीन में 39 तथा चर्म उत्पाद में प्रदेश की 26 फीसद हिस्सेदारी है।

निर्यातकों को तमाम सुविधाएं देगी योगी सरकार : सूबे में बड़े पैमाने पर उद्योगों को बढ़ावा देने के साथ ही कारोबारी माहौल सुधारने वाली योगी सरकार की नजर अब निर्यात को रफ्तार देने पर है। पूर्व की अखिलेश सरकार की निर्यात नीति में व्यापक बदलाव कर अब ऐसी नीति को अंतिम रूप दिया जा रहा है, जिससे निर्यातकों को तमाम सहूलियतें मिलेंगी। निर्यातकों को प्रोत्साहन देकर अगले तीन वर्ष में निर्यात को सालाना तीन लाख करोड़ रुपये पहुंचाने का लक्ष्य है।  दरअसल, तमाम खूबियों के बावजूद देश के निर्यात में प्रदेश की हिस्सेदारी मात्र 4.55 फीसद ही है। योगी सरकार के पहले वर्ष में राज्य से 88,966.55 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था, जो अभी 1.20 लाख करोड़ रुपये तक ही पहुंचा है।

सालाना तीन लाख करोड़ का लक्ष्य : सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम तथा निर्यात प्रोत्साहन विभाग के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल का कहना है कि अगले तीन वर्ष में सालाना तीन लाख करोड़ रुपये का निर्यात सुनिश्चित करने का लक्ष्य है। इसके लिए नए सिरे से पांच वर्ष के लिए निर्यात नीति उत्तर प्रदेश 2020-25 को अंतिम रूप दिया जा रहा है। प्रस्तावित नीति को जल्द कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही लागू कर दिया जाएगा। नीति का क्रियान्वयन उत्तर प्रदेश निर्यात प्रोत्साहन ब्यूरो के जिम्मे होगा। गौर करने की बात यह है कि घोषित नीति के तहत प्रोत्साहन स्वरूप स्वीकृत लाभ को भविष्य में संबंधित इकाई से वापस नहीं लिया जा सकेगा। इकाई उस लाभ की हकदार बनी रहेगी।

बनेंगे विशेष आर्थिक परिक्षेत्र : निर्यात की संभावना वाले जिलों में विशेष आर्थिक परिक्षेत्रों की स्थापना के साथ ही निर्यातक इकाइयों को अधिक निर्माण के लिए 25 फीसद अतिरिक्त एफएआर दिया जाएगा। सरकार द्वारा केंद्र-राज्य समन्वय प्रकोष्ठ, जीआई टैग सेल तथा बिजनेस फैसिलिटेशन फोरम के अलावा जिले स्तर पर निर्यात संवर्धन परिषद व जिला निर्यात बंधु का गठन किया जाएगा। पशु क्रय-विक्रय के लिए ई-हाट पोर्टल विकसित किया जाएगा। निर्यातकों को परिवहन लागत, विद्युत व्यय, बाजार विकास, प्रमाणीकरण आदि के लिए वित्तीय सहायता दिलाने के साथ ही मार्केट रिसर्च पर विश्लेषणात्मक डेटाबेस, निर्यात संभावनों पर त्रैमास रिपोर्ट, राज्य स्तर पर प्रतिवर्ष एक्सपोर्टर्स कॉनक्लेव व हैंड होल्डिंग सपोर्ट आदि भी सरकार करेगी। 

निर्यात के फोकस क्षेत्र : हस्तशिल्प, कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद, इंजीनियरिंग गुड्स, हैंडलूम एंड टेक्सटाइल, चर्म उत्पाद, कालीन एवं दरियां, ग्लास एवं सिरेमिक उत्पाद, काष्ठ उत्पाद, स्पोर्ट्स गुड्स व रक्षा उत्पाद। सेवा क्षेत्र के तहत शिक्षा, पर्यटन, आइटी, मेडिकल वैल्यू ट्रैवल्स तथा लॉजिस्टिक्स।

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