गरीबों के लिए पक्के 'कागजी' मकान बनाने में उत्तर प्रदेश सबसे आगे

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने उप्र को बेहतर प्रदर्शन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा है। इधर हकीकत कागजी आंकड़ों के ठीक उलट है।

By Ashish MishraEdited By: Publish:Thu, 20 Sep 2018 01:26 PM (IST) Updated:Tue, 25 Sep 2018 07:35 AM (IST)
गरीबों के लिए पक्के 'कागजी' मकान बनाने में उत्तर प्रदेश सबसे आगे
गरीबों के लिए पक्के 'कागजी' मकान बनाने में उत्तर प्रदेश सबसे आगे

लखनऊ (जेएनएन)। प्रधानमंत्री ग्र्रामीण आवास योजना का प्रथम चरण पूर्णता की ओर है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने उप्र को बेहतर प्रदर्शन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा है। इधर हकीकत कागजी आंकड़ों के ठीक उलट है। पुरस्कार प्राप्त अफजलगढ़, जोया और धनोरा विकासखंडों से सचाई सामने लाती लाइव रिपोर्ट।

उप्र के बिजनौर का अफजलगढ़ विकासखंड राष्ट्रीय फलक पर तो चमका लेकिन यह चमक फीकी साबित हुई। अमरोहा के जोया और धनौरा में भी यही स्थिति मिली। यहां अनेक गरीब परिवार अब भी आवास को तरस रहे हैं। उप्र के इन विकासखंडों को प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्र्रामीण) में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया है।

पहला चरण समाप्ति की ओर : प्रधानमंत्री आवास योजना यानी 2022 तक हर परिवार को पक्का मकान। जनवरी, 1996 से चली आ रही इंदिरा आवास योजना को 'दुरुस्त कर 01 अप्रैल, 2016 को नया नाम दे दिया गया- प्रधानमंत्री आवास योजना। प्रथम चरण के तहत 2016-17 से 2018-19 तक प्रारंभिक तीन वर्ष में देश के एक करोड़ वंचित परिवारों को पक्का मकान मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया। इस समय सीमा की समाप्ति में अब महज छह माह का समय शेष है।

 

उप्र को क्यों मिले पुरस्कार : बीते दिनों केंद्रीय ग्र्रामीण विकास मंत्रालय ने आवास योजना सहित ग्र्रामीण विकास की अन्य योजनाओं में बेहतर प्रदर्शन के आधार पर उत्तरप्रदेश को सर्वाधिक 12 राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा। सात पुरस्कारों के साथ छत्तीसगढ़ दूसरे स्थान पर रहा। यूपी के दो जिलों और पांच विकासखंडों को पुरस्कार हासिल हुआ। राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल करने वाले बिजनौर के अफजलगढ़ (कासमपुरगढ़ी) विकासखंड ने कोई अलग करिश्मा नहीं किया है।

केवल प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) को लागू करने में 'तत्परता दिखाई। इसी तरह अमरोहा के जोया और धनौरा ब्लॉक में ऑनलाइन फीडिंग का काम 'तत्परता से किया गया। इसे ही पुरस्कार का आधार बनाया गया न कि आवास की उपलब्धता को। आंकड़ों में अब इन विकासखंडों में कोई गरीब बेघर नहीं है, लेकिन हकीकत यह है कि बारिश से धराशायी दर्जनों कच्चे मकानों में गरीब परिवारों को अब पन्नी का सहारा है, कई के पास तो यह भी नहीं है।

ये है अफजलगढ़ की 'तत्परता का राज : 76 ग्राम पंचायतों वाले अफजलगढ़ ब्लॉक में लक्ष्य महज 30 आवासों का ही था, लिहाजा समय से पूरा कर लिया गया। पहले वर्ष 16-17 में तो मात्र तीन आवासों का ही लक्ष्य था, जबकि वर्ष 17-18 में 27 आवास स्वीकृत किए गए। चालू वर्ष में ब्लॉकका लक्ष्य शून्य है। जबकि ग्राम पंचायत आसफाबाद चमन में ओममप्रकाश, अशोक, फूल सिंह, बिजेंद्र आदि अनेक लोग आवास की राह देख रहे हैं। ग्राम प्रधान सुधा देवी का कहना है कि पात्रों की सूची ब्लॉक को दे दी है।

अमरोहा में जारी है वंचित परिवारों की खोज : अमरोहा जिले के जोया विकास खंड ने वित्तीय वर्ष 2016-17 और 2017-18 में प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत केवल 9 ही आवास बनाए हैं। इसी तरह धनौरा में 21 आवास दो साल में बनाए गए हैं। मौजूदा वित्तीय वर्ष में भी 32 आवास का लक्ष्य आया था, लेकिन अधिकारियों ने इसको वापस यह कहते हुए भेज दिया कि जिले में अब कोई पात्र लाभार्थी नहीं है, सर्वे कराया जा रहा है। सचाई यह है कि आज भी कई पात्र परिवार आवास को तरस रहे हैं।

 

उप्र में प्रथम चरण का हाल : ग्राम्य विकास विभाग, उ.प्र. के आधिकारिक पोर्टल में सितंबर के दूसरे सप्ताह में जारी की गई प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) की भौतिक प्रगति रिपोर्ट (2016-17, 2017-18 एवं 2018-19 के लक्ष्य के सापेक्ष) में यह कहीं भी दर्ज नहीं है कि कुल कितने आवास बनकर तैयार हो गए। प्रथम किस्त जारी कर देने को ही प्रगति का पैमाना दर्शा दिया गया है। इस प्रगति रिपोर्ट के अनुसार उक्त अवधि में उप्र में कुल 11 लाख 71 हजार 852 आवासों का लक्ष्य था। इनमें से 10 लाख 83 हजार 118 स्वीकृत हुए। जबकि 10 लाख 70 हजार 294 लाभार्थियों को प्रथम किस्त की राशि प्रदान कर दी गई। प्रथम किस्त प्राप्त लाभार्थियों का प्रतिशत 91.33 रहा।

100.88 और 100.31 प्रतिशत प्रदर्शन : सूची में पहले और दूसरे नंबर पर दर्ज संत कबीर नगर और रामपुर जिले ने तो 100 प्रतिशत का आंकड़ा भी पार कर दिया है। यहां प्रथम किस्त प्राप्त लाभार्थियों का प्रतिशत क्रमश: 100.88 और 100.31 है। संत कबीर नगर में 13 हजार 996 आवास का लक्ष्य था जबकि 14 हजार 175 आवास स्वीकृत हुए। रामपुर में 2572 आवास का लक्ष्य था, 2559 आवास स्वीकृत हुए, जबकि 2580 लाभार्थियों को प्रथम किस्त जारी की गई। यानी स्वीकृति हुई 2559 की और किस्त जारी कर दी गई 2580 को। प्रतिशत हो गया 100.31। गौतम बुद्ध नगर और बागपत में सभी आंकड़े शून्य के रूप में दर्ज हैं यानी यहां योजना लागू ही नहीं हुई।

10 लाख 70 हजार 294 लाभार्थियों को प्रथम किस्त, मकान बने 8 लाख 85 हजार : उप्र में 8.85 लाख पक्के मकान बनाए जा चुके हैैं, जबकि अक्तूबर तक यह संख्या 11 लाख को पार कर जाएगी। यह देश में किसी भी राज्य के मुकाबले सबसे अधिक है। उप्र ग्र्राम्य विकास विभाग को पहली बार राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है।

-नागेंद्र प्रसाद सिंह, ग्राम्य विकास आयुक्त, उप्र

chat bot
आपका साथी