उत्तर प्रदेश विधि विज्ञान संस्थान में नौ विषयों पर होगा अध्ययन, गृह मंत्री दिखाएंगे हरी झंडी
करीब 50 एकड़ भूमि में उत्तर प्रदेश विधि विज्ञान संस्थान का निर्माण होगा जबकि उसके पड़ोस में 50 एकड़ भूमि पर डीएनए सेंटर फार एक्सीलेंस का निर्माण कराया जाएगा। यह सेंटर राष्ट्रीय फोरेंसिक विश्वविद्यालय गुजरात से संबद्ध होगा।
लखनऊ राज्य ब्यूरो। उत्तर प्रदेश पुलिस की सूरत बदलेगी। वैज्ञानिक साक्ष्यों में उसका दखल बढ़ेगा। इतना ही नहीं युवाओं के लिए अपराध शास्त्र समेत नौ विषयों में दक्षता हासिल करने की नई राह भी खुलेगी। गृह मंत्री अमित शाह एक अगस्त को लखनऊ के पिपरसंड में उप्र विधि विज्ञान संस्थान का शिलान्यास कर इस सपने को आधार देंगे। शिलान्यास के अवसर पर गृह मंत्री को उप्र पुलिस की उपलब्धियों व संस्थान की खूबियों पर आधारित करीब साढ़े चार मिनट की एक फिल्म भी दिखाई जाएगी।
संस्थान में छात्र भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र, जीव विज्ञान, कंप्यूटर साइंस, बिहेवियरल साइंस, अपराध शास्त्र, विधि, पुलिस विज्ञान व पुलिस प्रशासन विषयों पर परास्नातक व शोध कर सकेंगे। संस्थान में पुलिस प्रशासन, फोरेंसिक साइंसेज तथा विज्ञान, प्रोद्योगिकी व प्रबंधन के क्षेत्र में नवीन शिक्षण, प्रशिक्षण व शोध संभव होगा। इसे राष्ट्रीय फोरेंसिक विश्वविद्यालय, गुजरात व डा.एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, लखनऊ से तकनीकी सहयोग भी मिलेगा। संस्थान में निदेशक, अपर निदेशक, उपनिदेशक, प्रशासनिक अधिकारी, वित्त नियंत्रक व विभिन्न संकायों में प्रोफेसर समेत कुल 351 पद प्रस्तावित हैं।
करीब 50 एकड़ भूमि में विधि विज्ञान संस्थान का निर्माण होगा, जबकि उसके पड़ोस में 50 एकड़ भूमि पर डीएनए सेंटर फार एक्सीलेंस का निर्माण कराया जाएगा। यह सेंटर राष्ट्रीय फोरेंसिक विश्वविद्यालय, गुजरात से संबद्ध होगा। संस्थान में मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में प्रशिक्षण की भी व्यवस्था होगी। इनमें फोरेंसिक साइंस के वैज्ञानिकों, पुलिस अधिकारियों व न्यायिक अधिकारियों के प्रशिक्षण शामिल होंगे। संस्थान के निर्माण के लिए करीब 209 करोड़ रुपये स्वीकृत किए जा चुके हैं। संस्थान मुख्य रूप से तकनीक व विज्ञान के सहयोग से आपराधिक मामलों के शीघ्र निस्तारण की दिशा तय करेगा। सूबे में पहले ऐसे संस्थान की स्थापना के प्रस्ताव को कैबिनेट ने फरवरी, 2020 में मंजूरी दी थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस के आधुनिकीकरण व साइबर अपराध की चुनौती से निपटने के लिए प्रदेश में ऐसे संस्थान की स्थापना को बेहद महत्वपूर्ण बताया था और इसकी स्थापना के लिए सभी तरह की प्रक्रिया को जल्द पूरा करने का निर्देश दिया था। संस्थान का निर्माण कार्य लोक निर्माण विभाग करेगा।