प्रदेश में 12 फीसद तक महंगी हो सकती है बिजली, 17 मई को प्रस्ताव पर होगी सुनवाई
प्रदेश वासियों को रेगुलेटरी सरचार्ज से महंगी बिजली का लग सकता है झटका। बिजली कंपनियों ने आयोग में दाखिल किया प्रस्ताव सुनवाई कल। वित्तीय संकट से जूझ रही बिजली कंपनियां बिजली महंगी कर अपनी आय में इजाफा करने की कोशिश में लगी।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। कोविड-19 से परेशान प्रदेशवासियों को बिजली कंपनियां, महंगी बिजली का झटका देने की तैयारी में हैं। कंपनियों ने एक बार फिर उपभोक्ताओं पर रेगुलेटरी सरचार्ज लगाए जाने का प्रस्ताव गुपचुप तरीके से उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में दाखिल किया है। कंपनियों के प्रस्ताव को अगर आयोग की मंजूरी मिलती है तो 12 फीसद तक बिजली महंगी हो सकती है। आयोग 17 मई को बिजली दर संबंधी प्रस्ताव पर सुनवाई करेगा।
दरअसल, कोविड-19 और अगले वर्ष विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अबकी बिजली की दरों में सीधे तौर पर कोई बढोत्तरी प्रस्तावित नहीं है। हालांकि, वित्तीय संकट से जूझ रही बिजली कंपनियों की पहले स्लैब परिवर्तन और अब रेगुलेटरी सरचार्ज के जरिए बिजली महंगी कर अपनी आय में इजाफा करने की कोशिश है। कंपनियों ने राज्य सरकार के एक पुराने आदेश का हवाला देते हुए शुक्रवार देर रात नियामक आयोग में प्रस्ताव दाखिल कर कहा है कि उसका 49,827 करोड़ रुपये उपभोक्ताओं पर निकल रहा है। ऐसे में उपभोक्ताओं पर रेगुलेटरी सरचार्ज लगाया जाए।
गौरतलब है कि उदय व ट्रूअप का समायोजन करते हुए दो वर्ष पहले आयोग ने रेगुलेटरी सरचार्ज खत्म कर दिया था, जिसे सरकार ने ठीक न मानते हुए उस पर पुनर्विचार के लिए कहा था। अब तर्क यह दिया जा रहा है कि बिजली कंपनियों के वर्ष 2000 से 2020-21 तक के ट्रूअप के आकड़ों पर पुनर्विचार किया जाए तो ब्याज सहित उपभोक्ताओं पर 49,827 करोड़ रुपये निकल रहे हैं, जिसकी वसूली के लिए उपभोक्ताओं पर रेगुलेटरी सरचार्ज लगाया जाए। विदित हो कि पूर्व में इस तरह निकलने वाली धनराशि के लिए 3.71 व 4.28 फीसद तक सरचार्ज कंपनियां, उपभोक्ताओं से वसूलती रही हैं। जानकारों का कहना है कि यदि आयोग ने कंपनियों के प्रस्ताव को मान लिया तो 49,827 करोड़ रुपये की वसूली के लिए 12 फीसद तक सरचार्ज लगाया जा सकता है। एक साथ इतना बोझ उपभोक्ताओं पर न डालने की दशा में सरचार्ज की वसूली कई वर्षों तक के लिए लग सकती है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने सरचार्ज लगाए जाने के प्रस्ताव को कंपनियों की साजिश करार देते हुए कहा है कि कोरोना कफ्र्यू के बावजूद 17 मई को आयोग द्वारा की जा रही सुनवाई में वह इसका कड़ा विरोध करेंगे। वर्मा का कहना है कि दरअसल, उपभोक्ताओं का कंपनियों पर वर्ष 2020-21 तक का 19,537 करोड़ रुपये निकल रहा है जिसके लिए मौजूदा बिजली की दरों में एकसाथ 25 फीसद या फिर तीन वर्षों तक आठ फीसद की कमी करने की मांग वह लगातार करते आ रहे हैं। इस संबंध में आयोग में उन्होंने प्रस्ताव भी दाखिल कर रखा है। वर्मा ने कंपनियों पर आपदा में अवसर तलाशने का आरोप लगाते हुए ऊर्जा मंत्री से मांग की है कि वह इसमें हस्तक्षेप कर उपभोक्ताओं को राहत दिलाएं।