बहराइच में बनेगी प्रदेश की दूसरी टिश्यू कल्चर लैब, मिलेंगे केले के गुणवत्तायुक्त और सस्ते पौधे
बहराइच प्रदेश में बड़े पैमाने पर केले की खेती की जा रही है। यहां पांच हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में केले की खेती होती है लेकिन किसानों को गुजरात कर्नाटक के बंगलुरू से टिश्यू कल्चर पौधे मंगाने पड़ते हैं जो ढ़ुलाई भाड़ा अधिक होने से काफी महंगे पड़ते हैं
बहराइच, [ मुकेश पांडेय ]। अब वह दिन दूर नहीं, जब यहां के केला काश्तकारों की टिश्यू कल्चर केले के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भरता खत्म हो जाएगी। उत्तर प्रदेश में लखनऊ के बाद बहराइच में दूसरा टिश्यू कल्चर लैब स्थापित होगा। इससे यहां के किसानों को केले के सस्ते एवं उच्च गुणवत्ता के पौधे सुलभ होंगे। इससे उत्तम कोटि की खेती और कम लागत में ही संभव हो सकेगी।
बहराइच प्रदेश के उन जिलोंं में शुमार है, जहां बड़े पैमाने पर केले की खेती की जा रही है। यहां पांच हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में केले की खेती होती है, लेकिन किसानों को गुजरात, कर्नाटक के बंगलुरू से टिश्यू कल्चर पौधे मंगाने पड़ते हैं, जो ढ़ुलाई भाड़ा अधिक होने से काफी महंगे पड़ते हैं। ऐसे में यहां लैब की स्थापना से सस्ता और उच्च गुणवत्ता का पौध किसानों को उपलब्ध हो सकेगा। इससे जिले के अलावा गोंडा, बलरामपुर, लखीमपुर, सीतापुर, बाराबंकी, श्रावस्ती जिलों के भी किसानों को लाभ मिलेगा।
दो एकड़ भूभाग में स्थापित होगी लैब : यह लैब जिले में उद्यान विभाग के राजकीय पौधशाला रिसिया में स्थापित होगी। जिला उद्यान अधिकारी पारसनाथ ने बताया कि मुख्य विकास अधिकारी कविता मीना की पहल पर दो एकड़ भूभाग में लैब स्थापित करने की योजना बनाई गई है। यहां स्थापित होने वाले लैब पर दो करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसके लिए जिलाधिकारी डा. दिनेश चंद्र के माध्यम से शासन को प्रस्ताव भेज दिया गया है।
प्रगतिशील किसान को मिला बेस्ट बनाना ग्रोवर पुरस्कार : नेशनल रिसर्च सेंटर तिरुचिरापल्ली तमिलनाडु में गत वर्ष आयोजित केला किसानों के सम्मेलन में यहां के किसान जय सिंह को एशिया स्तर का बेस्ट बनाना ग्रोवर पुरस्कार मिल चुका है। तीन दशक से केले की खेती कर रहे जय की ऐसी साख है कि दिल्ली की आजादपुर मंडी के किसानों की पहली पसंद यहां का केला बन चुका है। उनसे प्रेरित हजारों किसान केले की खेती कर अपनी आय दोगुनी कर रहे हैं।