DJ पर जबरन डांस कराने से आहत किशोरी के जान देने पर मानवाधिकार आयोग गंभीर, SP हमीरपुर को नोटिस
उत्तर प्रदेश राज्य मानवाधिकार आयोग ने हमीरपुर में किशोरी को जुलूस में खींचकर जबरन डांस कराने के मामले को बेहद गंभीरता से लिया है। मामले में पुलिस ने समय रहते ठोस कार्रवाई नहीं की थी और आहत छात्रा ने आत्महत्या कर ली।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य मानवाधिकार आयोग ने हमीरपुर में किशोरी को जुलूस में खींचकर जबरन डांस कराने के मामले को बेहद गंभीरता से लिया है। मामले में पुलिस ने समय रहते ठोस कार्रवाई नहीं की थी और आहत छात्रा ने आत्महत्या कर ली। आरोप है कि पुलिस ने आरोपितों के विरुद्ध हल्की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की थी। आरोपितों के हौसले इतने बुलंद थे कि वे आए दिन किशोरी को तंग करते थे। इससे परेशान होकर ही किशोरी ने अपनी जान दे दी। आयोग ने मीडिया रिपोर्ट के आधार पर इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया है। आयोग के सदस्य ओपी दीक्षित ने एसपी हमीरपुर को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब तलब किया है। आयोग ने एसपी को एएसपी से प्रकरण की जांच कराकर आवश्यक वैधानिक कार्रवाई सुनिश्चित कराने का आदेश दिया है।
दरअसल, हमीरपुर में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का परिणाम घोषित होने के दो दिन बाद मझगवां क्षेत्र के एक गांव में प्रधान की जीत पर डीजे संग निकाले गए जुलूस के दौरान जबरन नचाए जाने और विरोध करने पर मारपीट की घटना के डेढ़ माह बाद भी कार्रवाई न होने से आहत बीए की 20 वर्षीय छात्रा ने फंदा लगा जान दे दी है। आरोप है कि पुलिस की ढिलाई के कारण आरोपित आए दिन परेशान कर रहे थे।
पीड़ित पिता ने बताया कि ग्राम प्रधान के चुनाव जीतने पर गांव में जुलूस निकाला गया था। उसी समय छह लोगों ने पुत्री को जबरन नचाने के साथ ही अभद्रता और मारपीट की थी। तहरीर पर पुलिस ने आरोपितों चंद्रभान, सचिन, शनि, बलराम, पंकज और शिवाकांत के खिलाफ छेड़खानी व बलवा की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद भी पुलिस ने आरोपितों पर कार्रवाई नहीं की। इससे उनके हौसले बुलंद हो गए और आए दिन पुत्री के साथ गलत व्यवहार और छींटाकशी करने लगे।
रविवार सुबह सात बजे वह ऊपरी हिस्से के कमरे में झाड़ू की बात कहकर चली गई। जब वह नीचे नहीं आई तब मां ने जाकर देखा तो वह पंखे के कुंडे से दुपट्टे के फंदे पर लटकी हुई थी। उसकी मौत हो चुकी थी। सीओ अखिलेश राजन ने बताया कि आरोपितों पर दर्ज मुकदमे की चार्जशीट अदालत में दाखिल की जा चुकी है। कोरोना काल के चलते सात साल से कम सजा वाले मामलों में गिरफ्तारी नहीं की जा रही। मामला न्यायालय के संज्ञान में लाया जा चुका है।