UP: समाज कल्याण विभाग की शुल्क प्रतिपूर्ति घोटाले से उठेगा पर्दा, 32 जिलों की ITI में हुआ था घोटाला

मथुरा में अकेले 62 आइटीआइ में 23 करोड़ का घोटाला सामने आया है। शासन स्तर से गठित समिति की जांच में घोटाले की पुष्टि के बाद जिला प्रशासन को वसूली के लिए टीम बनाई गई है। घोटाले में शामिल 62 संस्थानों में 11 ऐसी हैं जो गैर मान्यता प्राप्त हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sun, 24 Jan 2021 07:30 AM (IST) Updated:Sun, 24 Jan 2021 08:23 AM (IST)
UP: समाज कल्याण विभाग की शुल्क प्रतिपूर्ति घोटाले से उठेगा पर्दा, 32 जिलों की ITI में हुआ था घोटाला
32 जिलों की आइटीआइ में हुआ था घोटाला, अब काली सूची में डाली जाएंगी संस्थाएं।

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। आइटीआइ की मान्यता के लिए फर्जी बैंक गारंटी के मामले की जांच अभी चल ही रही थी कि समाज कल्याण विभाग की शुल्क प्रतिपूर्ति में घोटाले के खुलासे से पूरे सिस्टम को ही कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। राजधानी समेत 32 जिलों की 184 आइटीआइ की जांच पूरी होने के साथ ही शनिवार को इसकी रिपोर्ट समाज कल्याण निदेशक को सौंपी जाएगी। सोमवार से आरोपी संस्थानों के विरुद्ध एफआइआर के साथ ही काली सूची में डालने की प्रक्रिया शुरू होगी।

इन जिलों में मिला फर्जीवाड़ा

लखनऊ, मथुरा, वाराणसी, जौनपुर, आजमगढ़, मऊ ,देवरिया, सिद्धार्थनगर, संत कबीर नगर, बस्ती, बलरामपुर, बहराइच, सुलतानपुर, प्रयागराज, चित्रकूट, फतेहपुर, सीतापुर, शाहजहांपुर, पीलीभीत, झांसी, हमीरपुर, औरैया ,इटावा, कन्नौज, मैनपुरी, आगरा, हाथरस, अलीगढ़, बिजनौर गाजियाबाद, शामली और सहारनपुर।

जांच में भी लापरवाही का आरोप

जिला समाज कल्याण अधिकारियों की जांच प्रक्रिया में नियमों का पालन न करने और जांच में लापरवाही कर संस्थानों को बचाने का आरोप भी शुरू हो गया है। उत्तर प्रदेश समाज कल्याण सुपरवाइजर परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष श्रीश पांडेय का आरोप है कि छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति की जांच नियमानुसार जिला स्तरीय अधिकारी और तहसील स्तरीय समाज कल्याण पर्यवेक्षक की टीम बनाकर नहीं की गई। जिला समाज कल्याण अधिकारी निदेशक समाज कल्याण महोदय के आदेशों के क्रम में टीम न बना कर गड़बडिय़ों को छिपाने का कार्य कर रहे हैं। जिला समाज कल्याण अधिकारी खुद के स्तर पर कॉलेजों को बुलाकर अवैध धन उगाही कर रहे हैं।

मथुरा में अकेले 23 करोड़ का घोटाला

मथुरा में अकेले 62 आइटीआइ में 23 करोड़ का घोटाला सामने आया है। शासन स्तर से गठित समिति की जांच में घोटाले की पुष्टि के बाद जिला प्रशासन को वसूली के लिए टीम बनाई गई है। घोटाले में शामिल 62 संस्थानों में 11 ऐसी हैं, जो गैर मान्यता प्राप्त हैं। संस्थानों के संचालकों और अधिकारियों की मिलीभगत से घोटाला किया गया है। 2015-16 से 2019-20 तक में घोटाला हुआ है।

ऐसे हुआ घोटाला

निजी आइटीआइ संस्थाओं ने फर्जी अभिलेखों से छात्र-छात्राओं का ब्योरा तैयार किया। अपने पाठ्यक्रमों में सीटों की संख्या कई गुना बढ़ाकर दिखाई, परीक्षा फार्म भी फर्जी ब्योरे से भरवाए और परीक्षा भी दिलवा दी गयी। अपर निदेशक प्रशिक्षण नीरज कुमार ने बताया कि समाज कल्याण विभाग के अलावा सेवायोजन एवं प्रशिक्षण निदेशालय की ओर से भी जांच की जा रही है। 

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